नागपुर।
क्या मांगलिक होना गुनाह है? यदि मांगलिक शख्स अपने जीवनसाथी की मृत्यु का कारण हो सकता तो ईश्वर उसे उसकी जिंदगी में भेजता ही क्यूं भला? जोड़े तो ईश्वर ही तय करके भेजता है ना! तो क्या ईश्वर इतना निष्ठुर भी हो सकता है?
नागपुर के इंटरनेशनल अल्ट्रा रनर अतुल कुमार चौकसे और निकिता ने साथ मरने की कमस खाई थी, मगर अफसोस…वो साथ जी भी न सके। एक अंधविश्वास पर भरोसा कर निकिता डिप्रेशन में आ गई और शादी के कुछ महीने बाद ही उसने खुदकुशी कर ली।
अतुल कुमार चौकसे शायद पहले शख्स होंगे जो समाज की उस धारणा और अंधविश्वास के खिलाफ अभियान पर निकल पड़े हैं, जिसने उनके जीवन की खुशियां उनसे छीन लीं। मंगलवार को उन्होंने अतुलनीय फाउंडेशन नाम से एक संस्था की घोषणा की है जो समाज में व्याप्त रूढ़ियों और अंधविश्वासों के खिलाफ लोगों को जागरूक करेगी। साथ ही प्रभावित लोगों को डिप्रेशन से उबारने के लिए काम करेगी और यदि उनके दिमाग में आत्महत्या के विचार आ रहे हैं, तो उनका मार्गदर्शन करेगी, टेली-काउंसिलंग और उपचार करेगी। इसके लिए उन्होंने एक हेल्पलाइन 7276022300 शुरू की है, जिसके माध्यम से पीड़ित व्यक्ति या उसके परिजन अतुलनीय फांउडेशन की सहायता ले सकते हैं।
यही नहीं, अतुल ने अंधविश्वासों के खिलाफ इस फाउंडेशन के प्रचार-प्रसार के लिए दौड़ते हुए थार रेगिस्तान पार करने का ऐलान भी किया है जो 1200 किलोमीटर का एक दुरुह मार्ग है। इसकी शुरुआत वह 31 दिसंबर को गुजरात में रन ऑफ कच्छ के नादबेट से करेंगे जो राजस्थान, हरियाणा और पंजाब को पार करते हुए 26 जनवरी, 2021 को भटिंडा में समाप्त होगी। वर्ल्ड रिकार्ड में दर्ज होने वाले इस प्रोजेक्ट को पूरा करने में अतुल को कुछ संसाधनों और उपकरणों की जरूरत अतुल को होगी, मसलन एक्शन कैमरा, सोलर पैनल व बैटरी, जीपीएस डिवाइस, टैंट और वर्ल्ड रिकार्ड संगठनों की फीस आदि। क्या आप इस नोबल कॉज में अतुल की कुछ सहायता कर सकते हैं? यदि हां तो आप अतुल कुमार चौकसे से उनके मोबाइल नंबर 8446399988 या 9595503164 पर संपर्क कर सकते हैं।
अतुल की दर्दभरी दास्तान
अतुल ने 2 फरवरी, 2020 को अपनी लांगटाइम फ्रेंड निकिता से शादी की थी। दोनों बहुत खुश थे। 22 मार्च को लॉकडाउन लागू होने के बाद दोनों घर में उन दिनों को एन्जॉय कर रहे थे। यूट्यूब देखकर नई-नई रेसिपी बनाते थे, साथ खाते थे। लेकिन, इन्हीं दिनों निकिता का व्यवहार बदलने लगा। वह गुमसुम रहने लगी, किसी काम में मन नहीं लगता था। बहुत पूछने पर उसने बताया कि शादी से पहले उसके एक रिश्तेदार ने कहा था कि ‘अतुल मंगली है औऱ मंगली से गैरमंगली की शादी होने पर दोनों में एक पागल हो जाता है या मर जाता है। मैं अपने जीवन की खुशियों को छिनने नहीं देना चाहती।‘
अतुल के खूब समझाने का भी निकिता पर असर नहीं हुआ। वह डिप्रेशन में आई थी। कभी अतुल के हाथ की जीवनरेखा देखती तो कभी अपना हाथ देखती। अतुल उसे मनोचिकित्सक के पास ले गया। मनोचिकित्सक ने निकिता का काउंसलिंग की और कुछ टेस्ट लिखे। लॉकड़ाउन के चलते अतुल वे टेस्ट तो नहीं करा पाया लेकिन काउंसलिंग के असर से निकिता सामान्य होने लगी।
फिर 13 जून का वह मनहूस दिन आया। रोज की तरह दोनों ने मिलकर घर के काम किए। अतुल ने आलू की सब्जी तैयार की, निकिता ने चावल और रोटी बनाई। दोपहर को साथ खाना खाया जिसके बाद अतुल काम पर चला गया। शाम को लौटा, घर का दरवाजा खटखटाया, लेकिन अंदर से कोई रेस्पांस नहीं आया। आवाजें दीं..निकिता..निकिता…मगर कोई जवाब नहीं। उसके मोबाइल पर घंटियां मारी…कोई रेस्पांस नहीं। फिर उचककर झरोखे से देखा तो..उफ! निकिता फंदे से लटकी थी। अतुल की चीख निकल गई। अतुलस दरवाजा तोड़कर जब तक अंदर जा पाता…तब तक निकिता उससे बहुत दूर जा चुकी थी, फंदे पर उसका जिस्म लटका था।
दुनिया के कई मुश्किल रास्तों पर दौड़ चुके अतुल को सबसे मुश्किल सफर करना है, निकिता के बिना जिंदगी का सफर। लेकिन, अपने दर्द से दुनिया का दर्द समझने वाले अतुल जैसे लोग हालात से हारते नहीं है। दुनिया में हर दस में से 4 व्यक्ति डिप्रेशन में हैं, और आत्महत्या के मामले भी तेजी से बढ़ रह हैं। इनमें कई मामले हमारे समाज में प्रचलित अंधविश्वासों के कारण भी हैं। दुनियाभर की सरकारें इस हालात से चिंतित है, कई संगठन विभिन्न स्तरों पर लोगों को डिप्रेशन से उबारने के लिए काम कर रहे हैं। अब एक कोशिश अतुल कुमार चौकसे ने भी की है।
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