November 23, 2024
शिवहरे वाणी, D-30, न्यू आगरा, आगरा-282005 [भारत]
समाचार

आगराः सरजू शिवहरे को सैल्यूट तो बनता है…गौर करें क्या कहते हैं वो

आगरा। 
यह घोर संकट का दौर है, लोगों की जान के लाले पड़े है। खुद को समाज की अलमबरदार बताने वाले सामाजिक सस्थाओं के पदाधिकारी, समाजसेवी और समाज के नेता…सब खौफजदा हैं, अपने-अपने घरों में हैं  खुद को  महफूज रखने की जुगत में। समाज, सेवा, सहायता..सहयोग जैसे शब्द मानो इस दौर में अपने मायने खो चुके हैं। लेकिन, कोरोना विपदा के इस दौर में भी एक शख्स है जो समाज के काम आने की अपनी इच्छा, जज्बे और एसएन मेडिकल कालेज में चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी की अपनी मामूली हैसियत के साथ समाज के लोगों की सेवा में निरंतर सक्रिय है। यह है सरजू शिवहरे उर्फ काके भाई। 
सरजू शिवहरे बीते दो महीने के अंदर समाज के सैकड़ों लोगों का टीकाकरण एसएन मेडिकल कालेज में करा चुके हैं। कुछ लोगों ने इसके लिए सरजू को फोन किया, तो बड़ी संख्या ऐसे लोगों की है जिन्हें खुद सरजू भाई ने फोन कर टीकाकरण की जानकारी दी, टीका लगवाने के लिए प्रेरित किया और उन्हें एसएन बुलाकर टीका लगवाया। नाइट ड्यूटी में होने के बावजूद इस काम के लिए उन्हें लगभग रोज दिन में एसएन मेडिकल कालेज आना पड़ता है। सरजू भाई की सेवा का यह क्रम तब भी जारी रहा, जब खुद उनकी धर्मपत्नी श्रीमती भावना गुप्ता कोरोना से संक्रमित थीं और उनकी तीमारदारी के लिए उन्होंने आठ दिन की छुट्टी ली थी। इससे पहले भी एसएन में कोरोना की जांच कराने और इमरजेंसी सेवा में समाजबंधुओं को सरजू शिवहरे की सहायता मिलती रही है। समाज की इस अप्रतिम सेवा के लिए सरजू भाई को सैल्यूट करना तो बनता है।
फिलहाल,  अब 18 वर्ष से 44 वर्ष के आयु वर्ग के टीकाकरण अभियान शुरू होने के साथ ही ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन की व्यवस्था लागू हो चुकी है। ऐसे में सरजू भाई भी टीका लगवाने में किसी प्रकार की सहायता कर पाने की स्थिति में नहीं है। उन्होंने समाजबंधुओं से अपील की है कि वे अपने और अपने परिवार की सुरक्षा की खातिर कोरोना का टीका अवश्य लगवा लें। इसके लिए अब 45 वर्ष से अधिक आयु के लोगों को भी ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन कराना होगा, रजिस्ट्रेशन कराने पर टीकाकरण के लिए आपका शेड्यूल और स्वास्थ्य केंद्रों की उपलब्धता दर्शाई जाएगी, आप अपनी सहूलियत के अनुसार समय और स्थान का चयन कर सकते हैं। 
टीका आज की सबसे बड़ी जरूरत है, क्योंकि कोरोना के खिलाफ लड़ाई में यही सबसे असरदार हथियार है। अस्पतालों का बुरा हाल है, दवाओं की किल्लत है, ऑक्सीजन की मारामारी है..। यानी अब लापरवाही की कोई गुंजाइश नहीं।
 

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