बरेली (रायसेन)।
एक दौर था जब पुनर्विवाह को समाज मान्यता नहीं देता था, लेकिन अब ऐसा नहीं है। पूरी तरह नहीं तो काफी हद तक इसे मान्यता मिलने लगी है। इस दिशा में रायसेन जिले के बरेली निवासी श्री कैलाश राय के प्रयास विशेष तौर पर सराहनीय हैं जो अब तक कई पुनर्विवाह करा चुके हैं, और कई रिश्तों की नींव रख चुके हैं। खास बात यह है कि स्वयं उन्होंने भी पत्नी के देहांत के बाद जवान बच्चों की रजामंदी से पुनर्विवाह किया है। और, इससे भी बड़ी बात यह कि उन्होंने अपने पुनर्वैवाहिक जीवन को एक आदर्श के तौर पर समाज के सामने प्रस्तुत किया है।
कैलाश राय के अपनी पहली पत्नी स्व. श्रीमती राखी से तीन बच्चे हैं, एक 26 वर्षीय बेटी जो अब विवाहित है, दो बेटे 23 और 19 वर्ष के हैं। वहीं, दूसरी पत्नी श्रीमती साधना जायसवाल के दो बच्चे हैं, 16 साल की बेटी और 13 वर्ष का बेटा। इस तरह श्री कैलाश राय के परिवार में अब पांच बच्चे हैं, और परिवार के सभी सदस्यों के रिश्ते बहुत मधुर और सौहार्दपूर्ण हैं। एक वर्ष पूर्व उन्होंने अपनी बेटी प्रिया का विवाह मंडीदीप के हेमंत चौकसे से किया है। प्रिया की अपनी नई मां साधना से ऐसी बांडिंग है कि कोई दिन ऐसा नहीं जाता, जब दोनों फोन पर घंटा-आधा घंटा बात न करते हों। यही बांडिंग अन्य बच्चों के साथ भी है।
श्री कैलाश राय ने शिवहरेवाणी को बताया कि उनकी धर्मपत्नी श्रीमती राखी राय कैंसर से पीड़ित थीं, जिसके चलते 18 मार्च 2018 को उनका देहांत हो गया। उम्र का पचासा पार कर चुके श्री कैलाश राय ने कहा कि प्रौढ़ावस्था और वृद्धावस्था में जीवनसाथी की सबसे ज्यादा जरूरत होती है। पत्नी के जाने से जीवन में एक रिक्तता आ गई थी, मन में उदासी घर कर रही थी। जीवन जैसे पूरी तरह अस्त-व्यस्त हो गया था। तब उन्होंने पुनर्विवाह करने का निर्णय किया। लेकिन, सवाल यह था कि इस बारे में बच्चों से कैसे बात करें? एक दिन हिम्मत करके उन्होंने तीनों बच्चों को पास बुलाया, झिझकते हुए कहा ‘मैं दूसरी शादी करना चाहता हूं, तुम लोगों की क्या राय है? ‘ मां को गुजरे अभी छह महीने ही हुए थे, पापा के इस सवाल से बच्चे अवाक रह गए। बच्चों ने सोचने विचारने के लिए आधे घंटे का समय मांगा। आधा घंटे बाद तीनों बच्चे उनके पास आए और कहा,, ‘पापा, आपकी खुशी में ही हमारी खुशी है। हम आपके साथ हैं।
कैलाश राय बताते हैं कि इसी दौरान किसी माध्यम से छत्तीसगढ़ के पैंड्रारोड से साधना जायसवाल का रिश्ता उनके पास आया जो विधवा थीं। उनके पति राकेश जायसवाल का रीवा में स्टील कारोबार था, कैंसर से उनका निधन हो गया था। उनके दो बच्चे थे जिनमे एक पुत्र 13 वर्ष एक पुत्री 10 वर्ष की। पैंड्रारोड के प्रतिष्ठित चिकित्सक डा. बीआर जायसवाल की पुत्री साधना जायसवाल के जेठ और वाराणसी में ब्याहीं दोनों ननदें भी उनके पुनर्विवाह के लिए राजी थे। रिश्ता तय हो गया और 23 नवंबर 2018 को दोनों की शादी हो गई। एमए शिक्षित साधना जायसवाल ने अपने व्यवहार से बहुत कम समय में सारे नए रिश्तों को अपना बना लिया। कैलाश राय के तीनों बच्चों के साथ उनकी जबरदस्त बांडिंग लोगों को हतप्रभ करती है। कैलाश राय और साधना जायसवाल दोनों पुनर्विवाह के अपने फैसले से बहुत खुश हैं। कैलाश राय भी साधना के दोनों बच्चों की जिम्मेदारी उठाने में पीछे नहीं हैं। साधना अब भी अपनी दोनों ननदों की भाभी हैं, और कैलाश राय को भईया कहती हैं। श्रीमती साधना जायसवाल कहती हैं कि पुराने सभी रिश्तों को सहेजते हुए नए रिश्ते में आगे बढ़ना ही पुनर्विवाह की सफलता की कसौटी है।
पुनर्विवाह के इस सुखद अनुभव ने ही कैलाश राय को प्रेरित किया, कि वे ऐसे लोगों को आपस में मिलाने का पुण्य कार्य करें जो किसी न किसी कारण से एकाकी जीवन जी रहे हैं। उनकी इस इच्छा को देखते हुए कलचुरी एकता महासंघ की राष्ट्रीय संयोजक डा. श्रीमती अर्चना जायसवाल ने उन्हें कलचुरी समाज में पुनर्विवाह को प्रोत्साहन देने हेतु नियुक्त किया। बरेली के प्रमुख टैंट व्यवसायी एवं लाइसेंसशुदा साहूकार श्री कैलाश राय ने एक पुनर्विवाह ग्रुप का निर्माण किया है जिसके माध्यम से वह पुनर्विवाह के इच्छुक विधवा, विधुर, परित्यक्त या किसी कारण से पुनर्विवाह के इच्छुक महिला पुरुषो से फोटो बायोडाटा लेकर फोनिक संपर्क करते हुए लोगो को जोड़ने का प्रयास कर रहे हैं। अब तक वह लगभग चार पुनर्विवाह करा चुके हैं, दो की तारीख तय हो गई है और लगभग पांच रिश्तों पर चर्चा चल रही है। भविष्य में पुनर्विवाह के लिए परिचय सम्मेलन जैसे आयोजन करने का भी इरादा रखते हैं।
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