आगरा।
उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह के निधन के बाद लोग उन्हें अलग-अलग तरह से याद कर रहे हैं। कोई उन्हें राम मंदिर के नायक के रूप में याद कर रहा है तो कोई उन्हें हिंदू ह्रदय सम्राट बता रहा है। उत्तर प्रदेश भाजपा के मंत्री श्री विजय शिवहरे का मानना है कि पार्टी ने एक कुशल संगठनकर्ता को खो दिया है। उनका मानना है कि यूपी में भाजपा का संगठन आज भी श्री कल्याण सिंह की रखी नींव पर मजबूती से खड़ा है। श्री कल्याण सिंह ने पिछड़ा वर्ग को भाजपा से जोड़ा, जिसके बाद पार्टी ने पहले प्रदेश और अब केंद्र की सत्ता का सफर तय किया।
श्री विजय शिवहरे के मुताबिक, श्री कल्याण सिंह ने पार्टी को सिखाया कि संगठन के साथ चुनाव कैसे जीते जाते हैं। वह श्री कल्याण सिंह के निधन को व्यक्तिगत क्षति मानते हैं। वह याद करते हैं, ‘1987 में मैं पहली बार श्री कल्याण सिंहजी से मिला था, जब आगरा में पार्टी का अधिवेशन किया था। उन दिनों मैं पार्टी का साधारण कार्यकर्ता था और वह पार्टी के स्टार लीडर। इस दौरान एक कार्यक्रम में श्री कल्याण सिंह से दो मिनट की मुलाकात ने मुझे भाजपा कार्यकर्ता होने पर गर्व का अहसास कराया। श्री कल्याण सिंह बहुत आत्मीयता से मिले जैसे मुझे पहले से जानते हों। उसके करीब दो साल बाद पार्टी के एक कार्यक्रम में हुई दूसरी मुलाकात में उन्होंने मुझे मेरा नाम लेकर बुलाया तो मेरे आश्चर्य का ठिकाना न रहा।‘
श्री विजय शिवहरे कहते हैं कि श्री कल्याण सिंह की याददाश्त गजब की थी, वह पार्टी के छोटे से छोटे कार्यकर्ता को भी नाम से पुकारते थे। यही नहीं, वह पार्टी नेताओं और कार्यकर्ताओं के घर-परिवार में होने वाले समारोह में शामिल होने का पूरा प्रयास करते थे। इस तरह अपने कार्यकर्ताओं के साथ उनके घर जैसे रिश्ते हो जाते थे, कार्यकर्ता हमेशा के लिए उनका हो जाता था।
श्री विजय शिवहरे बताते हैं कि 1996 में उनके बड़े भाई स्व. श्री चंद्रप्रकाश शिवहरे ‘चंदू कप्तान’ की बड़ी बेटी की शादी थी, तब श्री कल्याण सिंह आशीर्वाद देने लिए नगला धाकरान स्थित हमारे पुराने घर में आए थे। वह उस समय मुख्यमंत्री पद से हट चुके थे लेकिन आमजन के बीच उनका आकर्षण बरकरार था। श्री कल्याण सिंह के साथ 34 गाड़ियों का काफिला आया था, उन्हें देखने के लिए घर पर भारी भीड़ लग गई। बकौल विजय शिवहरे, ‘श्री कल्याण सिंह जी हमारे निवास पर करीब एक घंटा रुके, पिताजी और मेरे सभी भाइयों और उनके परिवारों से मिले। भतीजी को अपना आशीर्वाद प्रदान किया।‘ इसके बाद श्री कल्याण सिंह दूसरी बार मुख्यमंत्री बने और उनका लगभग दो साल का कार्यकाल घटनाक्रमों से भरपूर रहा जिसमें उन्होनें अपने राजनीतिक कौशल को बार बार साहित किया। लेकिन 1999 में मुख्यमंत्री पद से हटने के बाद कल्याण सिंह की राजनीतिक सक्रियता कम होती गई। लेकिन, हम जैसे पार्टी के साधारण सिपाही आज भी श्री कल्याण सिंह के व्यक्तित्व और राजनीतिक कौशल से प्रेरणा लेता है।
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