कोरबा।
हाल ही में एक वर्चुअल कवि सम्मेलन को ‘इंडिया वर्ल्ड रिकार्ड’ में दर्ज किया गया है। दरअसल ‘ बुलंदी- जज़्बात-ए- कलम’ नाम के एक साहित्यकार समूह द्वारा आयोजित यह ऑनलाइन कवि सम्मेलन निरंतर 207 घंटे चला, जो अब तक का सबसे लंबी अवधि का कवि सम्मेलन है। इसमें 65 कवियों ने अपनी रचनाओं का पाठ किया। इस कवि महासम्मेलन में छत्तीसगढ़ के कोरबा की कवियत्री भुवनेश्वरी जायसवाल ने डेढ़ घंटे काव्यपाठ किया जिसके लिए उन्हें काव्यश्री सम्मान से नवाजा गया है।
कोरबा के डीएवी पब्लिक स्कूल में हिंदी की टीचर श्रीमती भुवनेश्वर जायसवाल सामाजिक सरोकारों व मानवीय संवेदनाओं और भावनाओं से जुड़े विषयों पर गीत लिखने के लिए जानी जाती हैं। उनके गीतों व मुक्तकों के शिल्प और भाषा इतनी सहज और मौलिक होती है कि वे श्रोताओं को मन में सीधे उतर जाते हैं। उस पर उनकी गायकी इसे और प्रभावशाली बना देती है।
भुवनेश्वरी जायसवाल ने शिवहरेवाणी को बताया कि ‘बुलंदी-जज्बात-ए-कलम’ उत्तराखंड के साहित्यकारों का ग्रुप है जिसने वर्चुअल कवि सम्मेलन आयोजित किया था। यह ऑनलाइन कवि सम्मेलन इसी वर्ष 11 जुलाई को शुरू हुआ था और बिना रुके 20 जुलाई तक चला। बीते रोज उन्हें आयोजकों की ओर से काव्यश्री सम्मान दिए जाने की जानकारी दी गई। खासबात यह है कि मूलतः ‘खड़ी’ हिंदी में गीत रचने वाली भुवनेश्वर जायसवाल ने कुछ समय से छत्तीसगढ़ी भाषा में लिखना शुरू किया है, और इसमें उनकी लोकप्रियता इस कदर बढ़ गई है कि उनके लिखे 40 से अधिक छत्तीसगढ़ी गीतों को संगीतबद्ध कर अमारा म्यूजिक कंपनी, जी म्यूजिक और आरके म्यूजिक जैसी प्रतिष्ठित कंपनियों ने एल्बम के रूप में लांच किए हैं। हाल ही में उनके गीतों का एल्बम ‘मया के पाखी’ लांच हुआ है। ‘मया के पाखी’ का हिंदी अर्थ है प्रेम के पंछी।
श्रीमती भुवनेश्वरी जायसवाल बताती हैं कि उन्होंने अपने साथियों के सुझाव पर छत्तीसगढ़ी में लिखना शुरू किया, कुछ गीत लोकप्रिय हो गए तो म्यूजिक कंपनी वालों ने स्वयं उनसे संपर्क किया और लोकल कलाकारों से उनके गीत गवाकर एल्बम लांच कर दिए। अब वह छत्तीसगढ़ी फिल्मों में भी गीत लिख रही हैं। वह छालीवुड (छत्तीसगढ़ फिल्म इंडस्ट्री) रायपुर में है जो कोरबा से 200 किलोमीटर से अधिक दूर है। इसीलिए वह कभी छालीवुड नहीं गईं। छालीवुड के डायरेक्टर उन्हे फोन पर सिचुएशन और धुन देते हैं। कई बार ऐसा भी हुआ है कि डायरेक्टर ने उन्हें केवल सिचुएशन बताई और उन्होंने स्वयं गीत लिखकर उसकी धुन भी डायरेक्टर को भेजी, और संगीतकारों ने थोड़े-बहुत संशोधनों के साथ उसी धुन पर संगीत बांधा।
भुवनेश्वरी जायसवाल कोल इंडिया के टैक्नीकल इंस्पेक्टर श्री प्रदीप जायसवाल की धर्मपत्नी हैं, उनकी नौ साल की बेटी है अद्विका। भुवनेश्वरी बताती हैं कि उनके भाई श्री मनोज महतो वरिष्ठ पत्रकार हैं और साहित्य में उनकी अभिरुचि भाई की ही देन है। (भुवनेश्वरी ने बताया कि छत्तीसगढ़ में कई कलार परिवार अपना सरनेम महतो लिखते हैं।)
भुवनेश्वरी के कुछ गीत और मुक्तक
गीत
1
कैसे लिख पाऊँ कुछ शब्दों में प्रेम तुम्हारा
तुम मूरत, तुम अक्षत,तुम ही सुमन हमारा
तुम मेरे सर्वस्व , तुम्हीं पर सब है मेरा समर्पण
मुझमें कुछ मेरा ना है, सब कुछ हुआ तुम्हारा
तुम बिन दूजी आस नहीं, ना प्यास किसी की नैनन में
तुम दर्पण, श्रृंगार तुम्हीं, तुम ही संसार हमारा
कैसे लिख पाऊँ कुछ शब्दों में मैं प्रेम तुम्हारा।।
2
अंर्तमन में उठें उमंगें,
द्वार ह्रदय के तनिक तो खोलो,
यदि मिथ्याविकार हों मन में,
स्नेहाश्रुओं से उनको धोलो,
अंतर्मन में उठें उमंगें
अनमोल हैं प्रेम की लड़ियाँ,
स्वर्ण-रजत से इन्हें न तोलो,
मूल्यवान उपहार प्रेम है,
इससे मेरे मन को मोलो,
अंतर्मन में उठें उमंगें
मुक्तक
1
कभी अन्याय के आगे मैं अपना सर झुकाऊँ ना
हो चाहे कष्ट कितने भी मेरा स्वाभिमान बिकाऊँ ना
मनोबल तोड़ने को साजिशें तुम लाख रच लेना
मैं हार मानती नहीं कि जब तक जीत जाऊँ ना
2
अगर तुम पूर्ण थे हरदम तो मुझमें भी कमी ना थी
किसी से माँगूँ या छीनूँ ये फितरत तो कभी ना थी
जो पाया अपनी मेहनत बुद्धि बल के दम पे पाया है
किसी अहसान की मुझको ज़रूरत तो कभी ना थी
3
तुम्हारे बिन खुशी के सूख जाते श्रोत ही सारे
सभी सुख वैभवों से भी तुम्हारे दर्श हैं प्यारे
जो तुम दो साथ तो हर बार मंज़िल मिल ही जाएगी
तुम्हारी चाह में तज दूँ मैं अपने स्वप्न ही सारे
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