November 1, 2024
शिवहरे वाणी, D-30, न्यू आगरा, आगरा-282005 [भारत]
शिक्षा/करियर

आईआईटीयन रामेंद्र प्रसाद ने संस्कृत विषय चुनकर तय की मंजिल, 181वीं रैंक लेकर पिता की तरह बना आईपीएस अफसर

मुंबई/बक्सर।
यूपीएससी परीक्षा-2021 में सफल कलचुरी युवाओं की फेहरिस्त में एक और नाम जुड़ गया है। यह हैं रामेंद्र प्रसाद, बक्सर के गांव भदार के रहने वाले ब्याहुत कलार परिवार से हैं, 181वीं रैंक प्राप्त की है। सबसे बड़ी बात यह है कि आईआईटी खड़गपुर से बीटेक रामेंद्र ने परीक्षा में वैकल्पिक विषय के तौर पर संस्कृत को चुना था। बता दें कि शिवहरेवाणी ने आठ सफल कलचुरी युवाओं की जानकारी आप तक पहुंचाई है, इस लिस्ट में रामेंद्र प्रसाद नौंवा नाम है।
रामेंद्र प्रसाद बीटेक करने के बाद निजी सेक्टर की एक कंपनी में आकर्षक पैकेज पर काम कर रहे थे लेकिन पिता श्री चिरंजीव प्रसाद से प्रेरित होकर उन्होंने आईपीएस बनने का फैसला किया और तैयारी के लिए नौकरी छोड़ दी। बता दें कि चिरंजीव प्रसाद आईपीएस अधिकारी हैं और वर्तमान में मुंबई में एडीजी (राज्य रिजर्व पुलिस बल) के पद पर हैं। बड़ी बात यह है कि बीटेक बैकग्राउंड होने के बावजूद रामेंद्र प्रसाद ने संस्कृत को वैकल्पिक विषय चुना, और सेल्फ स्टडी पर भरोसा किया। शुरूआती प्रयासों में उन्हें कामयाबी नहीं मिली लेकिन उन्होंने विश्वास नहीं हारा। दो साल की घमासान तैयारी के बाद उन्होंने महाराष्ट्र के जालना जिले में दत्ता आश्रम को अध्ययन के लिए एकांतवास किया। वह सुबह जल्दी उठकर ताई महाराज के साथ पूजा-अर्चना करते थे, फिर एकांत में रहकर सिर्फ पढ़ाई करते थे। पिछले तीन सालों से एक तपस्वी की तरह यही उनकी दिनचर्या थी। 
रामेंद्र कहते हैं कि सफलता के लिए इच्छाशक्ति का होना जरूरी है। इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि आप कहां पढ़ते हैं, जरूरी यह है कि आप क्या पढ़ते हैं, कैसे पढ़ते है। रामेंद्र ने कहा कि यूपीएससी परीक्षा की तैयारी के लिए लोग दिल्ली, इलाहाबाद या पुणे जैसे बड़े शहरों में रहकर महंगी कोचिंग ज्वाइन करते हैं। जबकि, हम कहीं भी रहकर सेल्फ स्टडी के बल पर भी सफलता प्राप्त कर सकते हैं। यूपीएससी की तैयारी करने वाले अभ्यर्थियों के लिए उनका संदेश यही है, ‘मेहनत करते रहना चाहिए। असफलता से जो लोग घबराते हैं, वे कभी सफल नहीं हो पाते हैं। मैंने तो चौथे प्रयास में यह सफलता प्राप्त की है।‘
बता दें कि रामेंद्र के पिता चिरंजीव प्रसाद 1996 बैच के महाराष्ट्र कैडर के आईपीएस अधिकारी हैं। जबकि उनकी मां ने भी यूपीएससी की परीक्षा पास की थी और सात साल काम किया। हालांकि,  पारिवारिक जिम्मेदारियां आने पर उन्होंने नौकरी छोड़ दी और अब कुशल गृहिणी की भूमिका मे हैं। 
रमेन्द्र की प्रारंभिक शिक्षा महाराष्ट्र के औरंगाबाद स्थित नाथ वैली स्कूल में हुई थी। दसवीं व बारहवीं तक की शिक्षा गोल्डन जुबली स्कूल, जलना में हुई है। आईआईटी खड़गपुर से बीटेक करने के बाद उन्होंने हाउसिंग डॉट कॉम में दो साल नौकरी की। वर्ष 2018 में वह नौकरी छोड़कर सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी में जुट गए, और चौथे प्रयास में कामयाबी हासिल की।

 

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