November 1, 2024
शिवहरे वाणी, D-30, न्यू आगरा, आगरा-282005 [भारत]
समाचार

मेयर चुनावः विकलांग प्रेमनाथ जायसवाल के जज्बे को सलाम कर रहे रीवा वाले; ट्यूशन से कमाए पैसों से लड़ रहे चुनाव; बैसाखी और ट्राइसाइकिल से सहारे प्रचार

भंवर से लड़ो तुंद लहरों से उलझो
कहां तक चलोगे किनारे-किनारे।
रीवा।
रीवा के प्रेमनाथ जायसवाल भी इसी हौसले के साथ मेयर के चुनाव में कूद गए हैं। पैरों से विकलांग प्रेमनाथ जायसवाल अपनी बैसाखी या ट्राइसाइकिल के सहारे अकेले ही अपने चुनाव प्रचार में जुटे हैं। 
52 वर्षीय प्रेमनाथ जायसवाल का मुकाबला 13 अन्य प्रत्याशियों से है जो सभी धनबल या किसी भी अन्य मामले में उऩके कहीं अधिक समृद्ध, शक्तिशाली और भाग्यशाली हैं। फिर भी, चुनाव प्रचार में प्रेमनाथ जायसवाल का जुनून लोगों को अचरज में डाल देता है, उनके जमीनी और वाजिब मुद्दे लोगों को सोचने पर मजबूर करते हैं। वह अपनी पूरी ताकत और क्षमता के साथ दिनरात जन-संपर्क में जुटे हैं। कहते हैं कि छह जुलाई को मतदान के बाद ही आराम करेंगे। चुनावी विश्लेषक प्रेमनाथ को मुकाबले में भले ही नहीं मान रहे लेकिन वह सबसे अधिक चर्चित प्रत्याशी हैं। 
प्रेमनाथ का कहना है कि मेयर बनने के बाद वह उन सभी नगरीय समस्याओं का निराकरण करने का प्रयास करेंगे जिनकी निरंतर अनदेखी की जा रही है। उन्हें लगता है कि सड़कों और नालियों पर अतिक्रमण नगर की एक बड़ी समस्या है जिस पर ध्यान नहीं दिया जा रहा है। लोगों ने सड़कों तक अपने घर के रैंप निकाल रखे हैं, जिसकी वजग से मुझे जैसे तमाम लोगों, खासकर विकलांगों को बीच सड़क पर अपनी ट्राइसाइकिल चलाने का जोखिम उठाना पड़ता है। इसकी शिकायत चाहें जोनल अधिकारी से कर लो या नगर प्रशासन या फिर एमपी शासन से, कोई सुनने वाला नहीं है। अतिक्रमण हटाने के नाम पर महज पक्षपातपूर्ण कार्यवाही की जाती है। प्रेमनाथ जायसवाल ने कहा कि वह मेयर बने तो इस ओर सबसे पहले ध्यान देंगे। मेयर बनने पर वह बच्चों की पढ़ाई, महानगर में रोजगार सृजन आदि के लिए विशेष नीति बनाएंगे। ताकि महानगर में शिक्षा और रोजगार से कोई वंचित न रहे। महानगर में वे सभी विकास कार्य कराएंगे जो अभी तक नहीं कराए गए हैं। 
बीए शिक्षित प्रेमनाथ जायसवाल बच्चों को ट्यूशन पढाते हैं, खास बात यह है कि गरीब बच्चों से वह फीस नहीं लेते। ट्यूशन करके जो थोड़ा बहुत पैसा बचाया है, उसी से अपने प्रचार अभियान का खर्चा उठा रहे हैं। वह कहते हैं कि उन्हें किसी बुरी चीज की आदत या लत नहीं है। पान-बीड़ी-गुटखा किसी का शौक नहीं है, चाय तक नहीं पीते। शादी-ब्याह किया नहीं। लिहाजा ट्यूशन पढ़ाकर उनका जीवन चल ही जाता है। प्रेमनाथ जायसवाल को इस बात का अब तक अफसोस है कि वह चाहकर भी एमए नहीं कर सके। समाज ने तब सहयोग किया होता तो आगे की पढ़ाई कर बेहतर जीवन जी सकते थे।
 

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