इंदौर।
व्यक्ति को जो ताकत अपने घर-परिवार से मिलती है, उतनी कहीं और से नहीं मिलती। इसीलिए नियमित रूप से परिवार के संपर्क में रहिए, परिवार से मिलने का कोई मौका छोड़िये मत। यदि मीलों की दूरी आपकी मजबूरी है, तो इंदौर के जायसवाल परिवार से प्रेरणा ले सकते हैं। हर साल रक्षाबंधन पर इस परिवार की चार पीढ़ियों के 65 से अधिक सदस्य छह से अधिक राज्यों से आकर एक जगह एकत्र होते हैं, एक-दूसरे से मिलते हैं, और रिश्ते-नातों गर्माहट पाकर सालभर के लिए ऊर्जित होकर लौटते हैं।
रक्षाबंधन पर ‘वृहद परिवार-मिलन’ की यह गौरवशाली परंपरा इंदौर के प्रतिष्ठित व्यवसायी श्री राकेश जायसवाल और जानी-मानी सोशल वर्कर एवं कांग्रेस नेत्री डा. अर्चना जायसवाल के परिवार की है। पिछले पांच दशकों से परिवार इसी तरह रक्षाबंधन मनाता आ रहा है। राकेश जायसवाल की माताजी श्रीमती सरला जायसवाल इस परिवार की मुखिया हैं, जो 84 वर्ष की हैं। हर साल रक्षाबंधन पर पूरा परिवार अक्सर एक नए सदस्य का स्वागत करता है। इस बार नन्ही आर्या का स्वागत हुआ जो सिर्फ छह माह की है।
डा. अर्चना जायसवाल ने बताया कि उनके विवाह के पहले से ही परिवार में इसी तरह रक्षाबंधन मनाया जाता रहा है। पिछले साल तक तो ‘31/1, कीवे कंपाउंड, इंदौर’ स्थित उनके घर पर ही सेलिब्रेशन होता था, लेकिन इस बार सायाजी होटल का बड़ा हॉल बुक कर लिया था। सब लोग पूरा दिन वहीं रहे, खूब मौज-मस्ती की, मुहुर्त पर राखी बंधवाईं गईं। उन्होंने बताया कि जब वह शादी करके इस घर में आईं तो इतने सदस्य नहीं थे, लिहाजा घर की महिलाएं ही रसोई संभाल लेती थीं। कुनबा बढ़ता गया तो बीते कुछ वर्षों से बाहर की हेल्प ली जाने लगी, फिर भी महिलाओं को लगना तो पड़ता ही था। लेकिन इस बार महिलाओं को किचन के ‘झंझट’ से मुक्त होकर होटल के हॉल में परिवार के साथ मौज-मस्ती करने का पूरा मौका मिला।
छह राज्यों में फैला इलाहाबाद का एक परिवार
परिवार मूल रूप से इलाहाबाद (प्रयागराज) का है, और अब पांच पीढ़ियों बाद इसकी शाखाएं मध्य प्रदेश के इंदौर और झाबुआ, महाराष्ट्र के नागपुर, झारखंड के रांची, गुजरात के अहमदनगर, बिहार के पटना, प.बंगाल के सिलीगुड़ी और दिल्ली तक फैल चुकी हैं। वर्तमान में इस परिवार में चार पीढ़ी के सदस्य हैं।
परिवार से सबको मिलती है ऊर्जा
परिवार की मुखिया श्रीमती सरला देवी जायसवाल आज भी ज्यादातर वक्त प्रयागराज में गुजारती हैं। वहां वह अकेले रहती हैं और वेदलक्ष्मी गेस्टहाउस संभालती है। वेदलक्ष्मी गेस्ट हाउस दरअसल परिवार का पुश्तैनी मकान है जिसमें 25 कमरे हैं। अब इसे गेस्ट हाउस बना दिया है। श्रीमती सरला देवी बताती हैं कि परिवार ही उनकी शक्ति है, जिसकी बदौलत वह इस उम्र में भी अकेले रहती हैं, अकेले सफर करती हैं और अकेले ही गेस्ट हाउस का पूरा काम देखती हैं। कुछ-कुछ समय बाद बेटों-बहुओं से मिलने इंदौर आ जाती हैं, या बेटे-बहू वहां पहुंच जाते हैं।
नई पीढ़ी भी सीखती है परंपरा
परिवार के मुखिया नंबर-2 श्री श्याम नारायण जायसवाल का कहना है कि सभी एकजुट होकर राखी बंधवाते है, एक साथ राखी बनवाने का उद्देश्य है संस्कृति और परंपरा कायम रखना और नई पीढ़ी भी इस परंपरा के अनुपालन के लिए तैयार करना है।
सात दशक पहले प्रयागराज से आए थे इंदौर
पांच पीढ़ी पहले इलाहाबाद के बड़े शराब कारोबारी स्व. लाला शिवदयाल के बड़े पुत्र स्व . श्री लक्ष्मीनारायण जायसवाल करीब सात दशक पूर्व पहली बार इंदौर आए थे। स्व. लक्ष्मी नारायण जायसवाल सीनियर एडवोकेट थे और यहां होल्कर राजघराने के लिए काम करने लगे, साथ ही परिवार के शराब व्यवसाय को यहां शुरू करने के लिए अपने भाई और स्व. श्री गणेश प्रसाद जायसवाल को भी बुला लिया। स्व. श्री लक्ष्मीनारायण के दो पुत्र स्व. श्री कमलनारायण जायसवाल एवं स्व. श्री पदमनारायण जायसवाल ने यहीं पढ़ाई-लिखाई और कारोबार किया। श्री राकेश जायसवाल स्व. श्री कमलनारायण के पुत्र हैं। स्व. कमलनारायणकी दो वर्ष पूर्व कोरोनाकाल में मृत्यु हो गई थी, जिसके बाद उनकी पत्नी श्रीमती सरला देवी ही परिवार की मुखिया हैं। श्री राकेश जायसवाल की दो विवाहित पुत्रियां विधि-सौरभ (इंदौर) एवं अदिति-वरुण (अहमदनगर, गुजरात) हैं, जबकि एक विवाहित पुत्र दयेश-एकता हैं, एक धेवती व एक धेवता है। विधि-सौरभ की ही बेटी है नन्ही आर्या, परिवार की सबसे नई सदस्य। सरला जायसवाल की पुत्री अंजलि और दामाद विपिन गुप्ता रांची में है जिसके दो पुत्र और उनके बच्चे भी रक्षाबंधन पर आए थे। वहीं, स्व. श्री गणेश प्रसाद के दोनों पुत्रों शरद नारायण और श्याम नारायण के परिवारों की तीन पीढ़ियों के सदस्य भी रक्षाबंधन पर मौजूद रहे। रोहित, ऋचा जायसवाल, राजीव-अनुपमा, जयेश-रानू, केतन-निशा,, सुषमा गुप्ता, सुधा जायसवाल, मौली, अरूंधती आदि कुल मिलाकर 65 से अधिक सदस्य एकसाथ थे। इनमें बहुओं के भाई भी परिवार के साथ आए थे, तो सदस्यों की संख्या 75 के पार कर गई।
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