असफलता एक चुनौती है, स्वीकार करो
क्या कमी रह गई, देखो और सुधार करो
जब तक न सफल हो, नींद चैन को त्यागो तुम
संघर्ष का मैदान छोड़ मत भागो तुम
कुछ किए बिना ही जय जयकार नहीं होती
कोशिश करने वालों की हार नहीं होती।
-सोहनलाल द्विवेदी
बालाघाट।
बालाघाट में कलचुरी समाज की बेटी पल्लवी विजयवंशी (बिजेवार) की कामयाबी की कहानी महान कवि की इन पंक्तियों को जीती दिखाई देती है। पल्लवी ने संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) परीक्षा में कामयाबी हासिल कर परिवार और समाज का नाम रोशन किया है। पल्लवी का यह छठा प्रयास था, उसे 730वीं रैंक हासिल हुई है। हालांकि वह अपनी रैंक से संतुष्ट नहीं है, और अपनी रैंकिंग सुधारने के लिए उसने अगली बार फिर प्रयास करने की ठानी है ताकि आईएएस बनने के अपने पिता के सपने को साकार कर सके।
बालाघाट जिले में लांजी के भुरसोडोंगरी निवासी प्राचार्य छबिलाल विजयवंशी की मंझली बेटी पल्लवी विजयवंशी की कामयाबी पर पूरा परिवार बहुत खुश है। लांजी क्षेत्र में बिरनपुर सावरी खुर्द के शासकीय हाईस्कूल में बतौर प्राचार्य के रूप में पदस्थ पिता छबिललाल विजयवंशी कहते हैं कि यह बेटी की ही नहीं, मेरी भी परीक्षा थी और आज बेटी के साथ मैं भी सफल हो गया।
बचपन से ही होनहार रही पल्लवी ने हाईस्कूल और इंटरमीडियेट की पढ़ाई वारासिवनी स्थित जवाहर नवोदय विद्यालय से की। उसके बाद नागपुर के वीएनटीआई इंजिनियर कॉलेज से इलेक्ट्रॉनिक एंड कम्युनिकेशन में बीटेक की डिग्री प्राप्त कर पुणे में एक निजी कंपनी में नौकरी की। पल्लवी बताती है कि परिवार के लोगों ने खासकर पिताजी और नानाजी ने उसे सिविल सेवा का सपना दिखाया था और उसे लगा कि नौकरी के चलते उसका लक्ष्य पीछे छूट रहा है। लिहाजा नौकरी छोड़ वह यूपीएससी की तैयारी में जुट गई। यूपीएससी के पहले ही प्रयास में उसने प्रिलिम्स और मेन्स, दोनों क्वालीफाई किए लेकिन इंटरव्यू में रह गई। अगले प्रयास में फिर असफल रहने पर उसने दिल्ली जाकर कोचिंग क्लासेज ज्वाइन की। लगातार असफल होने के बाद भी पल्लवी ने हार नहीं मानी और हर बार दोगुने जोश से तैयारी मे जुटती गई।
कोशिश करने वालों की हार नहीं होती….पल्लवी ने छठवें प्रयास में कामयाबी पा ही ली। बीती 23 मई को घोषित यूपीएससी रिजल्ट में उसे 730वीं रैंक प्राप्त हुई है। लेकिन वह इससे संतुष्ट नहीं है। पल्लवी अपनी रैंक सुधारने के लिए अगली बार फिर प्रयास करेगी ताकि आईएएस अफसर बनकर पिता के सपने को साकार कर सके।
पल्लवी अपनी सफलता का श्रेय अपने माता-पिता को देती है। वह कहती है कि पिता श्री छबिलाल विजयवंशी और नानाजी श्री युवराज धुवारे की प्रेरणा से ही उसने नौकरी छोड़कर सिविल सर्विसेज की तैयारी शुरू की। पहली बार असफलता मिली तो उसकी हिम्मत टूटने लगी थी, और उसने कुछ और करने के बारे में सोचना शुरू कर दिया था, लेकिन पिता और नानाजी उसे हौसला देते रहे। पल्लवी कहती है कि इससे जीवन में असफलता को लेकर उसका नजरिया बदला और उसके बाद हर बार असफलता ने उसके इरादे को और मजबूत किया।
पल्लवी की मां श्रीमती हेमलता विजयवंशी कुशल गृहणी होने के साथ सामाजिक क्षेत्र में भी सक्रिय रहती हैं। उन्होंने हाल में जिला पंचायत का चुनाव भी लड़ा था। बालाघाट में कलचुरी कलार समाज के प्रमुख सामाजिक कार्यकर्ता श्री नरेंद्र धुवारे की बहन श्रीमती हेमलता विजयवंशी बताती हैं कि पल्लवी शुरू से ही कुशाग्र बुद्धि और लगन वाली बच्ची थी, और पढ़ाई में हमेशा अव्वल रही। उसकी कामयाबी उसकी मेहनत और लगन का परिणाम है। पल्लवी परिवार में दूसरे नंबर की बेटी है। उसकी बड़ी बहन पायल एमबीए है, उसका विवाह हो चुका है और वह नागपुर में है। जबकि भाई प्रशांत विजयवंशी, सिविल इंजीनियर है और फिलहाल प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहा है।
पल्लवी के नाना श्री युवराज धुवारे बताते हैं कि पल्लवी शुरू से ही जिज्ञासु रही है। हर बात पर सवाल पूछने और नए विषयों के बारे में जानने की उत्सुकता को देखकर ही हम उसे यूपीएससी की तैयारी करने को कहते रहते थे। पहले तो वह इसके लिए तैयार नहीं थी, कभी-कभार नाराज भी हो जाती थी लेकिन बाद में उसने न केवल हमारी बात मानी बल्कि कामयाब होकर हमारे सपने को पूरा कर दिया।
Leave feedback about this