November 24, 2024
शिवहरे वाणी, D-30, न्यू आगरा, आगरा-282005 [भारत]
समाचार

डिब्रूगढ़ में जुटा कलवार-जायसवाल समाज; असमी भाषा और संस्कृति से समन्वय की मिसाल पेश की; राममनोहर जायसवाल को ‘समाज प्राण’ की उपाधि

डिब्रूगढ़।
हर वह व्यक्ति अपनी संस्कृति का अंबेसडर है, जो सुदूर भूमि पर अपनी विरासत को सहेजते हुए वहां की भाषा और संस्कृति के साथ समन्वय स्थापित करता है। सांसकृतिक समन्वय की शक्ति ही उस समाज की प्रगति का आधार होती है। असम में ‘प्रगतिशील’ कलवार समाज के लोग असमी भाषा और संस्कृति में इस कदर रम गए हैं कि उन्हें देखकर कोई सोच भी नहीं सकता कि इनके पूर्वज 100-200 बरस पहले पूर्वी यूपी और पश्चिमी बिहार से आए थे और खड़ी हिंदी व भोजपुरी बोला करते थे। बीती 30 जून को डिब्रूगढ़ जिले में अखिल असम कलवार समाज के 11वें स्थापना दिवस समारोह में स्वजातीय महिलाओं ने सिल्क कढ़ाई वाली असमिया साड़ी पहनकर जब भूपेन हजारिका के असमी गीत ‘मानुहे मानुहर बाबे’ की प्रस्तुति दी, तो पूरा सदन तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा। कार्यक्रम में संगठन के केंद्रीय महासचिव श्री राममनोहर जायसवाल को ‘समाज प्राण’ की उपाधि से विभूषित किया गया। 
श्री राममनोहर जायसवाल वह व्यक्ति हैं जिनकी असम कलवार समाज स्थापना में न सिर्फ महत्वपूर्ण भूमिका रही, बल्कि प्रदेश के जिले-जिले में घूम-घूमकर कलवार समाजबंधुओं को तलाशा और जिला इकाइयां गठित कर उन्हें सगंठन से जोड़ा। आज असम के सभी 31 जिलों में असम कलवार समाज की जिला इकाइयां हैं जो प्रत्येक वर्ष अपना-अपना स्थापना दिवस बड़ी धूमधाम से मनाती हैं। हर तीन साल में एक महाधिवेशन होता है जिसमें संगठन की सभी जिला इकाइयों की भागीदारी रहती है। मजे की बात यह है कि यह सभी आयोजन वार्षिक कैलेंडर के आधार पर बहुत व्यवस्थित तरीके से होते हैं। डिब्रूगढ़ में बीती 30 जून को जिला इकाई के स्थापना दिवस समारोह में जिले की राजगढ़ तहसील के कलवार समाजबंधुओं ने श्री राममनोहर जायसवाल को ‘समाज प्राण’ उपाधि भेंट की तो श्री राममनोहर जायसवाल ने बड़ी विनम्रता के साथ इसे स्व. श्री प्रेमनारायण गुप्ता को समर्पित कर दिया जिन्होंने डिब्रूग़ढ़ इकाई के जिला अध्यक्ष रहते हुए कलवार समाज को एकजुट करने मं अहम योगदान किया था। 
श्री राममनोहर जायसवाल ने शिवहरेवाणी को बताया कि असम में कलवार समाज की संख्या बहुत अधिक तो नहीं है लेकिन सूबे के सभी 31 जिलों में इसकी मौजूदगी है। कम से कम 100-50 घर तो हर जिले में हैं ही। डिब्रूगढ़ शहर से 50 किमी दूर राजगढ़ तहसील में 250 से अधिक परिवार कलवार समाज के हैं। इस तरह पूरे डिब्रूगढ़ जिले में कलवार समाज के लगभग 400 परिवार हैं। पूर्वी यूपी और पश्चिमी बिहार से आए इन कलवार परिवारों में ज्यादातर बिजनेस से जुड़े हैं, किसी की किराना की दुकान है तो कोई जूते की दुकान करता है। कुछ के हार्डवेयर स्टोर है तो कुछ शराब की दुकान करते हैं। कई अन्य बिजनेस में भी कलवार समाज के लोग हैं। सरकारी या प्राइवेट नौकरी करने वालों की संख्या बहुत कम है। डिब्रूगढ़ में 30 जून को असम कलवार समाज का 11वां स्थापना दिवस समारोह मनाया गया तो स्थानीय समाज का एक-एक परिवार उसमें शामिल हुआ। राजगढ़ तहसील से भी बड़ी संख्या में स्वजातीय बंधु 50 किमी का सफर तय कर समय से पहुंच गए। असम के गोवाहाटी, तिनसुकिया, जोरहाट, लखीमपुर, गोलाघाट समेत कई जिलों के अलावा नगालैंड और यूपी के वाराणसी से भी समाजबंधुओं ने स्थापना दिवस समारोह में शिरकत की। 
स्थापना समारोह की शुभारंभ भगवान बलभद्र, सहस्रबाहु अर्जुन और डा. काशीप्रसाद जायसवाल के चित्रों पर माल्यार्पण व दीप प्रज्ज्वलन के साथ हुआ। स्वजातीय महिलाओं ने अतिथियों के लिए स्वागत गान प्रस्तुत किया, वहीं राजगढ़ कमेटी की महिलाओं ने असमिया पारंपरिक पोशाक पहनकर भूपेन हजारिका के गीत ‘मानुहे मानुहर बाबे’ प्रस्तुत कर असमिया समाज के साथ समन्वय का परिचय दिया। समारोह के मुख्य अतिथि श्री राममनोहर जायसवाल ने अपने संबोधन में सामाजिक संगठन में महिलाओं और युवाओं की भूमिका, सामाजिक प्रमूल्यबोध तथा पर्यावरण संबंधी विषय पर विचार रखे। उन्होंने डा. काशीप्रसाद जायसवाल, डा. हीरालाल राय, डा. मेघनाद साह, फिल्म अभिनेता प्राण, गीतकार इंदीवर, जासूसी उपन्यास लेखक गोपालराम गामरी, डा. गोरखप्रसाद जायसवाल, साइकिलमैन मिस्रीलाल जायसवाल जैसी अपने-अपने क्षेत्र की शीर्ष विभूतियों का नाम लेते हुए कहा कि हमारे युवाओं को इन महान लोगों के जीवन से प्रेरणा लेकर अपने लक्ष्य निर्धारित करने चाहिए। उन्होंने कहा कि कलवार समाज के लोग आदर्श नागरिक धर्म का अनुपालन करते हुए अपने आसपास की जगह को साफ-सुथरा रखने की विशेष सतर्कता बरतें, अपने यहां हर मंगल कार्य में दो-दो पौधे अवश्य लगाएं। इन सबसे कलवार समाज एक प्रगतिशील समाज के रूप में अपनी छवि का निर्माण करेगा और असमी समाज में सम्मान प्राप्त करेगा। 
कार्यक्रम में महिलाओं और युवाओं व बच्चों ने सांस्कृतिक कार्यक्रमों की प्रस्तुतियां दीं। कार्यक्रम में डिब्रूगढ़ के अध्यक्ष शिवपूजन जायसवाल एवं महिला अध्यक्ष मधुमिता जायसवाल, तिनसुकिया के अध्यक्ष सुनील कुमार जायसवाल एवं सचिव एडवोकेट राजीव शाह, रामेश्वर जायसवाल (केंद्रीय समिति सचिव), रघुनाथ जायसवाल (गोलाघाट), मनोज शाह (तिनसुकिया), शिवसागर एवं चौराहीदेव जिले के अध्यक्ष पन्नालाल जायसवाल, प्रिंसिपल अशोक कुमार भगत (जोरहाट), ममता कलवार (तिनसुकिया), डा. आरके जायसवाल (वाराणसी), मुकेश गुप्ता एवं जगदीश जायसवाल (रायगढ़) की उपस्थिति विशेष रही। कार्यक्रम के बाद के समापन के बाद सभी ने सहभोज का आनंद लिया।

 

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