शिवपुरी।
शिवपुरी की कोलारस विधानसभा सीट से प्रत्याशी तय कर पाना भाजपा के लिए मुश्किल हो गया है। भाजपा प्रत्याशियों की दूसरी सूची में भी कोलारस का नाम नहीं होना इसकी तस्दीक करता है। मौजूदा विधायक वीरेंद्र रघुवंशी के भाजपा छोड़ने के बाद महेंद्र यादव की संभावनाएं प्रबल मानी जा रही थीं लेकिन उनके दामाद का ऑडियो क्लिप वायरल होने से उनकी स्थिति खासी कमजोर हो गई है। ऐसे में टिकट दावेदारों की दौड़ में रविंद्र शिवहरे का नाम स्वतः ऊपर आ गया है।
18 वर्षों से कोलारस नगर पालिका पर एकछत्र राज करने वाले रविंद्र शिवहरे वैसे तो ज्योतिरादित्य सिंधिया के काफी करीबी माने जाते हैं। लेकिन, सियासत के रुख को भांपने में माहिर रविंद्र शिवहरे टिकट के लिए लिए सिर्फ सिंधिया के भरोसे नहीं है। वह समझ गए हैं कि सिंधिया के करीबी होने का उन्हें शायद ज्यादा फायदा नहीं मिल पाएगा। लिहाजा वह ज्यादातर समय भोपाल में रहकर पार्टी में अपने समीकरण साध रहे हैं। सूत्रो का यह भी मानना है कि रविंद्र शिवहरे पार्टी की प्रदेश आलाकमान से सीधे संपर्क कर रहे हैं। यही वजह है कि इन दिनों भोपाल में उनके लगातार चक्कर लग रहे है।
दूसरी तरफ, कोलारस में बीते दिनों भाजपा के अंदर जो घटनाक्रम हुए हैं, उससे भी रविंद्र शिवहरे की दावेदारी और मजबूत हो गई है। इस सीट पर रविंद्र शिवहरे के साथ देवेंद्र जैन और युवा नेता सुरेंद्र शर्मा का नाम भी टिकट के दावेदारों में है। लेकिन, क्षेत्र की जनता के लिए रविंद्र शिवहरे एक जांचा-परखा नाम है। एक ऐसा नाम जिसने कोलारस का चेयरमैन रहते हुए अपने विकास कार्यों से नगर की तस्वीर बदल दी है। आम मतदाताओं के बीच रविंद्र शिवहरे की छवि विकास पुरुष की है। कोलारस नगर ही नहीं, आसपास के ग्रामीण इलाकों में भी उनके बारे में यही आमराय है।
रविंद्र शिवहरे के पक्ष में एक और बात है। बीते विधानसभा चुनाव में रविंद्र शिवहरे कांग्रेस में थे और इस चुनाव में भाजपा प्रत्याशी वीरेंद्र रघुवंशी को बहुत कम मार्जिन से जीत हासिल हुई थी। क्षेत्र में भाजपा का एक बड़ा स्थायी मतदाता वर्ग है जो पार्टी प्रत्याशी वीरेंद्र रघुवंशी की जीत में निर्णायक भूमिका निभाई थी। ऐसे में भाजपा यदि रविंद्र शिवहरे को टिकट देती है तो पार्टी के स्थायी मतदाता वर्ग के साथ ऐसे नए वोटर जुड़ने की पूरी उम्मीद है, जो रविंद्र शिवहरे को अपना नेता मानते हैं। जानकारों का कहना है कि भाजपा ने यदि रविंद्र शिवहरे पर दांव खेला तो उसके लिए शिवपुरी की सीट आसान हो सकती है। रविंद्र शिवहरे कलवार समाज (ओबीसी) से हैं और क्षेत्र में ओबीसी मतदाता बड़ी संख्या में हैं जिनमें सबसे अधिक वोटर यादव, जाटव, धाकड़, भील, आदिवासी, कुशवाहा और रावत समाज से हैं। महिला बिल पर कांग्रेस नेता राहुल गांधी के बयान से इस चुनाव में ओबीसी का मुद्दा सियासी चर्चा के केंद्र में आ गया है और इसने भी ओबीसी बहुल कोलारस सीट पर रविंद्र शिवहरे की दावेदारी को बल दिया है। सूत्रों का मानना है कि रविंद्र शिवहरे ने सही तरीके से अपने पत्ते चले तो निश्चय ही वह टिकट के लिए पार्टी की पहली पसंद बन सकते हैं।
आपको बता दें कि गत 18 वर्षों कोलारस नगर पालिका परिषद की कमान रविंद्र शिवहरे के पास ही है। इसमें दो कार्यकाल (2005-2010 एवं 2015-2020) वह स्वयं कांग्रेस प्रत्याशी के तौर पर अध्यक्ष चुने गए थे, एक कार्यकाल (2010-2015) में उनकी धर्मपत्नी श्रीमती निशा भी कांग्रेस प्रत्याशी के रूप ही अध्यक्ष निर्वाचित हुईं। वर्तमान रविंद्र शिवहरे ने अपनी भतीजा-वधु श्रीमती प्रियंका शिवहरे को नगर पालिका अध्यक्ष निर्वाचित कराया है जो उन्हीं के मार्गदर्शन में काम कर रही हैं।
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कोलारस से भाजपा में टिकट के सबसे बड़े दावेदार बनकर उभरे रविंद्र शिवहरे; अब पार्टी के प्रदेश नेतृत्व से सीधे संपर्क में
- by admin
- September 28, 2023
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