by Som Sahu July 08, 2017 जानकारियां, शख्सियत 413
- ताइक्वांडो में नेशनल, इंटरनेशनल प्लेयर्स तैयार कर रहे हैं मनुज
- इंटरनेशनल ताइक्वांडो फोरीगन मास्टर का खिताब किया है हासिल
शिवहरे वाणी नेटवर्क
मुरैना।
दुनियाभर में लड़ने के अलग-अलग तरीके हैं, जो वहां की परंपराओं से जुड़े होते हैं। खास बात यह हैं कि इनमें से ज्यादातर को कला की श्रेणी में रखा गया है, अंग्रेजी में कहें तो इसे मार्शल आर्ट कहते हैं। ये सभी कलाएं सेल्फ डिफेंस यानी आत्मरक्षा के लिए विकसित हुई और इनके पीछे शांतिपूर्ण सहअस्तित्व का दर्शन रहा है। अब ये मार्शल आर्ट्स अपनी परंपरागत भौगोलिक सीमाओं को लांघकर संपूर्ण विश्व में विस्तार पा रही हैं। इनमें चीन और जापान की कलाएं यानी मार्शल आर्ट सबसे ऊपर हैं। शिवहरे समाज के लिए गौरव की बात है कि मनुज शिवहरे ने ताइक्वांडों जैसी मार्शल आर्ट्स में शीर्ष स्थान प्राप्त किया है। और इंटरनेशनल मास्टर के रूप में उनकी ख्याति पूरे देश में है। उनके कई शिष्य नेशनल और इंटरनेशनल स्पर्धाओं में कमाल का प्रदर्शन कर चुके हैं।
मध्य प्रदेश के मुरैना में रहने वाले श्री मनुज शिवहरे ने आज ताइक्वांडो में जो शीर्ष स्थान और सम्मान पाया है, उसके पीछे 25 साल की कड़ी मेहनत और साधना है। रिटायर्ड रेलवे कर्मचारी श्री बद्रीनाथ शिवहरे के पुत्र मनुज शिवहरे अब तक 50 हजार से अधिक लड़कों और 15 हजार से अधिक लड़कियों को ताइक्वांडों की ट्रेनिंग दे चुके हैं। इनमें से कइयों ने ताइक्वांडों में अपने करियर को आगे बढ़ाते हुए राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्पर्धाओं में पदक हासिल किए। वह मुरैना में चंबल ताइक्वांडो एकेडमी चलाते हैं जो उत्तर भारत के प्रमुख ताइक्वांडो ट्रेनिंग सेंटर के रूप में विख्यात हो चुका है।
इसके अलावा मुरैना के जाने-माने नील वर्ल्ड स्कूल में भी वह बच्चों को मार्शल आर्ट की ट्रेनिंग देते हैं। तमाम सरकारी स्कूलों तथा शिक्षण संस्थानों में आयोजित होने वाले ट्रेनिंग कैंपों में उन्हें बुलाया जाता है। मिलिट्री, बीएसफए, आर्मी के लिए भी उनके कैंप आयोजित किए जा चुके हैं। उन्हें मध्य प्रदेश सरकार की ओर से एकलव्य अवार्ड से नवाजा जा चुका है।
श्री मनुज शिवहरे मध्य प्रदेश के पहले प्लेयर हैं जिन्होंने वर्ल्ड ताइक्वांडो एकेडमी कुकीवान द्वारा आयोजित इंटरनेशनल ताइक्वांडो फोरीगन मास्टर ट्रेनिंग पास की और इंटरनेशनल मास्टर का खिताब पाया। इसके साथ ही वह दुनियाभर में कहीं भी ताइक्वांडों की ट्रेनिंग देने के लिए अधिकृत हो गए। इस कोर्स में उनके गुरु रहे कोरिया के जोइन ही ली औऱ किंम जोंग। बाद में वह इनके साथ दक्षिण कोरिया भी गए।
मार्शल आर्ट के क्षेत्र में मनुज शिवहरे का सफर 1980 से शुरू हुआ जब वह 18 वर्ष के थे। बचपन से कसरत और एथलेटिक्स में सक्रिय रहे, लिहाजा कराटे या अन्य मार्शल आर्ट्स के दांव पैतरे उनके लिए कभी बहुत मुश्किल नहीं रहे। उन्होंने कराटे के अलावा कुंगफु, हूसू और ताइक्वांडो जैसी मार्शल आर्ट्स में भी हाथ आजमाएं और सभी में ब्लैक बैल्ड हासिल की लेकिन उन्हें सबसे ज्यादा आकर्षित किया ताइक्वांडो ने। ताइक्वांडो में उन्होंने थर्ड डिग्री बेल्ट हासिल की, जो देश में बहुत कम लोगों को प्राप्त है। उन्होने तमाम राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्पर्धाओं में भाग लिया और पदक हासिल किए। बाद में ताइक्वांडो ट्रेनर बनकर उन्होंने देश को कई शानदार खिलाड़ी दिए। भारतीय खिलाड़ियों के कोच के रूप में वह 2015-16 मलेशिया और 2016 में थाईलैंड की बैंकाक में गए।
ताइक्वांडो के क्षेत्र में मनुज का विशेष उपलब्धि यह रही कि मुरैना जैसे छोटे से शहर से राष्ट्रीय स्तर पर के कई खिलाड़ी दिए। मुरैना के जीवाजीगंज स्थित महावीरपुरा में माता मंदिर के पास उनका चंबल ताइक्वांडो एकेडमी है और यहीं उनका निवास स्थान भा है।
उनकी धर्मपत्नी श्रीमती कामिनी शिवहरे भी इसी एकेडमी में बच्चों को ट्रेनिंग देती हैं। मनुज की ट्रेनिंग में उन्होंने ब्लैक बैल्ट हासिल की थी। वह ताइक्वांडो की नेशनल रैफरी भी हैं। उनका 11 वर्षीय बेटा वरुण शिवहरे ताइक्वांडो में रेड वन बेल्ड जीत चुका है, जबकि 8 वर्षीय बेटी सानिया शिवहरे को ब्लू वन बेल्ट हासिल है। पूरा परिवार जैसे पूरी तरह ताइक्वांडो के लिए समर्पित है। मनुज शिवहरे कहते भी हैं कि उन्होंने कभी किसी सरकारी नौकरी के लिए ट्राई नहीं किया। वह एक खिलाड़ी के तौर पर जीना चाहते थे, और ऐसा हो रहा है। वह खुद को खुशकिस्मत मानते हैं कि उन्होने जो चाहा, जैसा चाहा, ईश्वर ने वरदान के रूप में उन्हें वही बख्शा है।
ताइक्वांडो के क्षेत्र में देश-दुनिया में ख्याति पाने के बाद भी श्री मनुज शिवहरे अपने सामाजिक दायित्व से कभी पीछे नहीं हटे। वह मुरैना मे शिवहरे नवयुवकों के संगठन शिवहरे समाज युवा संगठन के संरक्षक भी है। पिछले दिनों आगरा में हुए शिवहरे मेधावी छात्र-छात्रा सम्मान समारोह में उन्होंने विशिष्ट अतिथि के तौर पर शिरकत की थी और इस बात से प्रभावित हुए कि इतना बड़ा आयोजन को नवयुवकों के संगठन शिवहरे समाज एकता परिषद ने अपने बल पर अंजाम दिया।
इसके अलावा श्री मनुज शिवहरे हर साल झांसी की रानी लक्ष्मीबाई के जन्मदिवस पर एक मशाल यात्रा मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश में संचालित करते हैं। श्री मनुज शिवहरे का व्यक्तितत्व और कृतित्व उनके नाम के अर्थ (मनुष्य) को सार्थक करता है। शिवहरे वाणी उनके उज्ज्वल भविष्य की कामना करती है।
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