October 8, 2025
शिवहरे वाणी, D-30, न्यू आगरा, आगरा-282005 [भारत]
समाचार

मोनिका शिवहरे के भाई ने जुटाए साक्ष्य, हत्या का संदेह मगर सच की राह में रोड़ा बनी पुलिस की सुस्त जांच

by Som Sahu December 02, 2017  घटनाक्रम 278

  • ग्वालियर में 11 नवंबर को किले की दीवार से गिरकर हुई थी मौत
  • मृतका के भाई मनीष साक्ष्य पेश कर मामले में नया मोड़ ला दिया

शिवहरे वाणी नेटवर्क

ग्वालियर। वो खुदकुशी थी, हादसा था या क्या था? हालांकि मोनिका शिवहरे के भाई मनीष शिवहरे ने पुलिस को हादसे से कुछ देर पहले और बाद की दो सीसीटीवी कैमरा क्लिप पुलिस को दी हैं, जिससे हत्या किए जाने के संदेह मजबूत हुई है लेकिन, पुलिस अभी तक चुप्पी साधे हुए है। फिलहाल, अब देखना यह है कि मनीष के दिये सीसीटीवी कैमरा क्लिपों पर पुलिस की क्या कार्रवाई होती है।

बता दें कि लश्कर के सत्यनारायण की टेकरी निवासी अजय शिवहरे की पुत्री मोनिका 11वीं कक्षा की छात्रा थी और 11 नवंबर को वह घर से कोचिंग के लिए सुबह करीब दस बजे अपने स्कूटर से निकली थी। दोपहर में पता चला कि मोनिका ने किले की दीवार से छलांग लगाकर खुदकुशी कर ली है। पुलिस भी इसे खुदकुशी का मामला ही मानकर चल रही थी, लेकिन मोनिका का भाई मनीष लगातार हत्या का संदेह जाहिर करते हुए उसके दो सहपाठी छात्रों पर आरोप लगा रहा था। अब मनीष ने पुलिस को कुछ ऐसे साक्ष्य दे दिए हैं जिससे उसकी बहन की हत्या किए जाने की शंका प्रबल होती है।

घटना के बाद अपने स्तर से की जांच में मनीष शिवहरे ने चौंकाने वाले साक्ष्य प्रस्तुत किए है। मनीष ने पुलिस को किले के रास्ते में पड़ने वाली एक दुकान पर लगे सीसीटीवी कैमरे की क्लिंपिंग सौंपी है।

क्लीपिंग में किले की ओर जाती मोनिका का पीछा करते हुए दो छात्र भी स्कूटी पर देखे गए। यह बात पूर्वाहन 10.59 बजे की है।

इसके ठीक 59 मिनट बाद दोनों छात्र अकेले लौटते हुए देखे गए, लेकिन मोनिका नहीं लौटी। इसके कुछ देर बाद ही मोनिका शिवहरे की लाश मिलने की बात सामने आई।

इसके अलावा मोनिका की हथेली पर लिखे सीडी शब्द से भी संदेह बढ़ता है। मोनिका ने अपने हाथ में हिंदी शब्दों के बीच अंग्रेजी में सीडी लिखा है। सवाल उठता है वह इस बारे में क्या बताना चाहती थी। वह किस बात से परेशान थी। पुलिस का कहना है मोनिका की हथेली पर 5-6 शब्दों की इबारत लिखी थी, लेकिन अधिकतर शब्द धंधुले होने पढ़े जाने की स्थिति में नहीं हैं। फिलहाल मामले की धीमी पुलिसिया जांच पर कई सवाल उठते हैं। ऐसे में जरूरी है पुलिस सत्य का उदघाटन करे।

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