शिवहरे वाणी नेटवर्क
आगरा।
संघ लोक सेवा आयोग (यू.पी.एस.सी.)-2017 के अंतिम परिणाम में कलचुरी अभ्यर्थियों उल्लेखनीय कामयाबी हासिल की है। अब तक ज्ञात जानकारी के मुताबिक, कलचुरी समाज के पांच अभ्यर्थियों ने इसमें सफलता पाई है। जिनमें पंजाब के वर्जित वालिया को 21वीं रैंक, मध्य प्रदेश के अभिनव चौकसे को 143वीं रैंक, राजस्थान के डा. नंदकिशोर कलाल को 145वीं रैंक, बिहार के निशांत कृष्ण को 330वीं रैंक और मध्यप्रदेश के कुशल चौकसे को 557वीं रैंक हासिल हुई है। शिवहरे वाणी को अभी परिणामों की पूरी जानकारी हासिल नहीं हुई है, लिहाजा सफल अभ्यर्थियों की संख्या बढ़ भी सकती है।
पंजाब में जालंधर के रहने वाले वर्जित वालिया ने वर्ष 2015-16 में यूपीएससी परीक्षा मेंसफलता पाई थी और उन्हें 557वीं रैंक मिली थी। तब उन्हे भारतीय रेलवे ट्रैफिक सर्विसेज मिली थी और वह वर्तमान में लखनऊ में तैनात हैं। लेकिन, इस बार चौथे प्रयास में उन्होंने शानदार 21वीं रैंक हासिल करने में कामयाबी हासिल कर ली। वर्जित के पिता वरिन्द्र वालिया पंजाबी समाचार पत्र के एडिटर हैं तथा माता अमरजीत कौर गृहिणी हैं। वर्जित की बहन अविन्द्र कौर कनाडा में सॉफ्टवेयर इंजीनियर है। वर्जित ने आई.आई.टी., दिल्ली से कैमिकल इंजीनियरिंग की डिग्री प्राप्त की। वर्जित पढ़ाई में शुरू से ही अव्वल रहने के साथ अन्य गतिविधियों में भी आगे रहे। उन्होंने कराटे में ब्लैक बैल्ट हासिल की और स्केटिंग के नेशनल चैंपियन भी बने।
जबलपुर के अभिनव चौकसे ने 143वीं रैंक हासिल की है। हालांकि अभिनव से पिछले वर्ष यूपीएससी की परीक्ष में भी कामयाबी हासिल की थी और तब उन्हें 760वीं रैंक मिली थी। उन्होंने अपनी रैंक को बेहतर करने के लिए इस बार कड़ी मेहनत की और उसका सुखद परिणाम भी सामने आया। अभिनव के पिता डा. चंद्रकुमार चौकसे जबलपुर के जीएस कालेज में सीनियर असिस्टेंट प्रोफेसर हैं। अभिनव ने आईआईटी रोपण से इंजीनियरिंग की और डीआरडीओ जैसे संस्थान से ट्रेनिंग भी की ली।
राजस्थान के टोडाभीम में रहने वाले डा.नंद किशोर कलाल ने परीक्षा में 145लीं रैंक हासिल की है। आईएएस बनने पर भीम के लोगों ने उनका जोरदार स्वागत किया है। डा. नंदकिशोर मूल रूप से भीलवाड़ा जिले के बदनोर क्षेत्र के कलालों की भादससी के रहने वाले हैं। डॉ. नंदकिशोर की प्रारंभिक शिक्षा भीम में हुई। उनके पिता अम्बालाल कलाल ने उन्हें पढ़ाई के लिए कोटा भेजा था। दिया। वहां रहते हुए उन्होंने एमबीबीएस की परीक्षा पास की और जयपुर के एसएमएस अस्पताल से डाक्टर की ट्रेनिंग की। डा. नंदकिशोर बताते हैं कि बचपन में दादी के बीमार होने पर उन्होंने डॉक्टर बनने का सपना देखा था। डॉक्टर बनने का सपना पूरा करके दिखाया। लेकिन नंदकिशोर को मानव सेवा के साथ ही देश सेवा करने का जज्बा था। वे सिविल सेवा में भी आ गए।
बिहार के निषांत कृष्ण ने 330वीं रैंक पाने में कामयाबी हासिल की है। चतरा शहर के निशांत कृष्ण ने चौथे प्रयास में यह कामयाबी हासिल की है। वैसे निशांत ने 2014 में इस परीक्षा में सफल रहे थे और आईपीएस के रूप में उन्हें मेघालय कैडर दिया गया था। एक माह पूर्व शिलांग जिले में बतौर पुलिस अधीक्षक कार्यरत निशांत को सरकार ने मेघालय-6 बटालियन का कमांडेंट बनाकर उनकी पोस्टिंग दिल्ली में कर दी है। वो अभी दिल्ली में हैं। निशांत के पिता कृष्ण कुमार जायसवाल रिटायर्ड बैंककर्मी हैं, जबकि मां रेखा जायसवाल शिक्षिका हैं।
मध्य प्रदेश के छत्तरपुर के रहने वाले कुशल चौकसे ने परीक्षा में 557वीं रैंक हासिल की है। कुशल ने चौथे प्रयास में यह सफलता हासिल की है। 2015 में अपने दूसरे प्रयास मे कुशल ने मुख्य परीक्षा पास की थी लेकिन इंटरव्यू में सफल नहीं हो पाए। तीसरे प्रयास में दुर्भाग्य के चलते वह कामयाब नहीं हुए। यह उनका अंतिम प्रयास था।
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