शिवहरे वाणी नेटवर्क
ग्वालियर
बच्चों के लिए माता-पिता के त्याग, स्नेह और उनके द्वारा भोगे गए कष्ट की कोई तुलना नहीं की जा सकती। उन लोगों की खुशनसीबी का क्या कहना जिन्हें अपने माता-पिता की वृद्धावस्था में उनकी सेवा करने का मौका मिलता है। लेकिन अफसोस, आज समाज में वृद्धजन अपनों की ही उपेक्षा और प्रताड़ना का शिकार हो रहे हैं। अगर ऐसा नहीं होता तो घर में रहते हुए अपने माता-पिता के साथ दुर्व्यहार करने वाली संतानों को संपत्ति से बेदखल करने का आदेश दिल्ली हाईकोर्ट को नहीं देना पड़ता। जरूरत इस बात की है कि युवा पीढ़ी अपने माता-पिता और बुजुर्गों का सम्मान करे, वहीं बुजुर्गो के लिए बेहद अहम है कि वे उन शक्तियों को याद रखें जो कानून ने उन्हें दी है।
यह सब बातें इसलिए कहनी पड़ रही है कि ग्वालियर में अपने ही समाज से एक ऐसी ही एक अप्रिय घटना सामने आई है। ग्वालियर में गदईपुरा की रहने वाले शिवहरे परिवार की एक वृद्ध महिला ने बीती गुरुवार को एसएसपी से अपने बहू और बेटे की शिकायत की। बुजुर्ग विकलांग महिला का आरोप था कि उसका बेटा और बहू 5 दिनों से उसके साथ मारपीट कर रहे हैं और गंदी-गंदी गाली देते हैं और संपत्ति उनके नाम कर देने का दबाव डाल रहे हैं। ग्वालियर एसएसपी नवनीत भसिम ने तत्काल महिला थाने को आदेशित किया और बेटे बहु को बुलाकर बात की गई। बेटे और बहू को सख्त ताकीद की कि दोबारा ऐसा किया तो उनके खिलाफ केस दर्ज कर कार्रवाई की जाएगी।
समाज में ऐसे मामले बढ़ रहे हैं जिनमें मां-बाप के प्यार और त्याग को भूल कर संतानें उनके साथ दुर्व्यवहार करती हैं, या उन्हें दर-दर की ठोकरें खाने को छोड़ देती हैं। ऐसी बेवफा और कृतघ्न संतानों पर नकेल कसने के लिए माता-पिता के पास कानूनी अधिकार होते हैं लेकिन, इनकी जानकारी बहुत कम लोगों को हैं। हम यहां कुछ कानूनों की जानकारी दे रहे हैंः-
1-धारा 125 के तहत, कोई भी माता-पिता, जो अपने जीवन-निर्वाह में असक्षम हैं, वे अपने बेटे से भरण-पोषण की मांग कर सकते हैं।
2-वर्ष 2007 में देश भर के लिए एक विशेष कानून बनाया गया। 2009 में इसे मध्य प्रदेश में लागू किया गया। यह सिर्फ माता-पिता और वरिष्ठ नागरिकों के भरण-पोषण और कल्याण की दृष्टि से बनाया गया है। यह मेंटीनेंस ऑफ पेरेंट्स एंड सीनियर सिटिजन एक्ट, 2007 के नाम से जाना जाता है। इसके तहत कोई भी वरिष्ठ नागरिक अथवा माता-पिता अपने वयस्क बेटे-बेटी या पोते-पोती से भरण-पोषण की मांग कर सकते हैं। नि:संतान वरिष्ठ नागरिक अपने उस रिश्तेदार से मांग कर सकते हैं, जिसे उनकी संपत्ति में हक मिलना हो। ये आवेदन एक विशेष न्यायाधिकरण में देना होगा, जहां माता-पिता खुद रह रहे हों या जहां उनका बच्चा रह रहा हो। न्यायाधिकरण इसमें मासिक खर्चे एवं भरण-पोषण के प्रावधान का निर्णय देती है।
3-अब हाईकोर्ट का ताजा फैसला भी बेहद महत्वपूर्ण है। इस आदेश में स्पष्ट किया है कि धारा 23 में प्रावधान है कि बच्चे अगर अपने मां-बाप और बुजुर्गों की देखभाल करने में असफल होते हैं तो ऐसी स्थिति में मां-बाप संपत्ति का हस्तांतरण कर दोबारा संपत्ति के हकदार हो सकते हैं।
ये एहतियात भी बरतें
किसी भी स्थिति में बिना पढ़े कोई डॉक्यूमेंट साइन न करें। ऐसी स्थिति में धोखाधड़ी की आशंका रहती है। अगर आपके बेटे आप पर जरूरत से ज्यादा दबाव बनाते हैं, तो थाने या मानवाधिकार आयोग में या मजिस्ट्रेट के पास जाकर शिकायत कर सकते हैं। मेंटीनेंस ऑफ पेरेंट्स एंड सीनियर सिटिजन एक्ट, 2017 के तहत ट्रिब्यूनल में भी शिकायत कर सकते हैं। दबाव की स्थिति में सामान्य कानून के तहत ऐसा कर सकते हैं।
समाज
ग्वालियर में अफसोसनाक वाकया…अपने कानूनी अधिकारों की लाठी का प्रयोग क्यों नहीं करते बुजुर्ग
- by admin
- October 29, 2016
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- 8 years ago
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