शिवहरे वाणी नेटवर्क
भोपाल/आगरा
बीते रोज विश्व पर्यावरण दिवस पर पूरी दुनिया में पर्यावरण के गिरते स्तर और बढ़ते प्रदूषण को लेकर गंभीर चिंता जताई गई है। लेकिन, अफसोस कि ये चिंताएं रस्मी ही साबित हो रही हैं। पर्यावरण संरक्षण को लेकर हर साल शपथें ली जाती हैं, और बात यहीं खत्म हो जाती है। इन सबके बरक्स ,मध्य प्रदेश में कलचुरी सेना नाम के एक संगठन ने अपनी छवि ऐसी पर्यावरण प्रेमी सामाजिक संस्था के रूप में बनाई है, जो नित-प्रतिदिन पर्यावरण के संरक्षण की दिशा में प्रयास करती है। आपको जानकर आश्चर्य होगा कि कलचुरी सेना अपने विभिन्न कार्यक्रमों के माध्यम से बीते एक वर्ष में हजारों पौधे कलचुरी समाज के लोगों को उनके जन्मदिन और विवाह वर्षगांठ पर उपहार स्वरूप दे चुकी है। रोचक बात यह है कि कलचुरी सेना अपने कलचुरी समाज के सदस्यों को उनके विवाह की वर्षगांठ पर पौधे भेंटकर उन्हें सपत्नीक आठवां वचन भी दिलाते हैं, और यह वचन होता है समाज सेवा और पर्यावरण संरक्षण का।
बीते रोज पर्यावरण दिवस पर कलचुरी सेना के पदाधिकारियों ने भोपाल के रविशंकर नगर, बोर्ड कालोनी स्थित जहार पार्क में 21पौधे लगाकर पर्यावरण जागरूकता का संदेश दिया। वैसे यह आयोजन भी पर्यावरण दिवस पर होने वाले अन्य रस्मी आयोजन की तरह ही लगता है, लेकिन पर्यावरण संरक्षण के लिए कलचुरी सेना द्वारा पूरे साल जो प्रयास किए जाते हैं, वे वास्तव में सराहनीय और अनुकरणीय होने के साथ ही समाज को गौरवान्वित करने वाले भी हैं। कलचुरी सेना के अध्यक्ष श्री कौशल राय ने शिवहरे वाणी को बताया कि उनकी संस्था समाज के सदस्यों को उनके जन्मदिन पर उपहारस्वरूप एक पौधा भेंट करते हैं। यह अभियान पिछले एक साल से चल रहा है। इसके तहत कलचुरी सेना के पदाधिकारी समाज के किसी भी सदस्य के जन्मदिवस पर उसके घर जाते हैं, उन्हें पौधा भेंट करते हैं। गमले में लगा यह पौधा जासौन का होता है जिसके लाल फूल देवी मां पर चढ़ाए जाते हैं। इस तरह प्रतिदिन उपयोग के कारण सदस्य इन पौधों को स्वतः ही संरक्षित करते हैं, उन्हें पुष्पित-पल्लवित करते हैं।
श्री कौशल राय के मुताबिक, समाज के सदस्यो के विवाह की वर्षगांठ पर भी कलचुरी सेना इस तरह शुभकामनाएं देती है। कलचुरी सेना के सदस्य समाज के किसी भी सदस्य की विवाह वर्षगांठ पर जासौन का पौधा लेकर उनके घर जाते हैं, और पति एवं पत्नी को इस पौधे को साक्षी मानकर विवाह का आठवां वचन दिलाया जाता है। उन्हें पौधे को साक्षी मानते हुए समाज की तन-मन-धन से सेवा करने और पर्यावरण संरक्षण की दिशा में प्रयास करने का वचन देना होता है। पत्नी को वचन देना होता है कि वह समाज की सेवा के कार्य में जाने से कभी पति को रोकेंगी नहीं, और इस कार्य में कंधे से कंधा मिलाकर पति का साथ देंगी। दोनों मिलकर पौधे की सेवा करेंगी, उसे पुष्पित-पल्लवित करेंगे। बदले में कलचुरी सेना के मौजूद पदाधिकारी उन्हें शुभकामनाएं देते हैं कि आपका परिवार जासौन के फूलों की तरह हंसता-खिलखिलाता रहे।
कलचुरी सेना की इस पहल को समाज के सभी हलकों में बहुत सराहा गया है। यही नहीं, कई अन्य समाजों के लिए इसने मिसाल बनने का काम किया है। खास बात यह है कि भेंट किए जाने वाले पौधों की जीवन दर बहुत अधिक रहती है, श्री कौशल राय के मुताबिक, यह दर सौ फीसदी होती है, फिर भी वह 95 फीसदी का ही दावा करते हैं। उनका कहना है कि जासौन के पौधे की उपयोगिता के साथ ही कलचुरी सेना की भावना को सम्मान दिए जाने के कारण ये पौधे घरों में शोभायमान होते हैं। कलचुरी सेना के सदस्य खुद समय-समय पर इन पौधों की प्रगति पर नजर भी रखते हैं।
बीते रोज पर्यावरण दिवस के अवसर पर भी कलचुरी सेना ने जहाज पार्क में 21 पौधों लगाकर समाज को पर्यावरण संरक्षण का संदेश दिया। कौशल राय ने बताया कि आज बारिश कम होने की वजह से पेड़ पौधों की भारी कमी हो रही है। जितने ज्यादा पेड़ होंगे उतना ही वातावरण शुद्ध होगा और बारिश लाने में भी सहायक होंगे, पेड़ों से हमें ताजा हवा मिलती है। जड़ी बूटियां भी प्राप्त होती हैं। इस अवसर पर सर्वश्री विपिन राय, संजय चौकसे, वीरसिंह राय, वैभव वर्मा, प्रमोद राय, सौरभ चौकसे, संतोष चौकसे, संतोष राय विदिशा, राधेश्याम शिवहरे, एडवोकेट महाजन, कालका, सहित कलचुरी सेना के पदाधिकारी शामिल हुए।
समाज
अनोखी मिसाल….शादी का आठवां वचन- सेवा और पर्यावरण
- by admin
- October 29, 2016
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- 8 years ago
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