शिवहरे वाणी नेटवर्क
नई दिल्ली।
हिमाचल प्रदेश के प्रतिभाशाली क्रिकेटर पंकज जायसवाल आईपीएल-12 में मुंबई इंडियन की ओर से मैदान में जलवा बिखेरेंगे। 10 लाख रुपये के बेस प्राइज वाले पंकज जायसवाल को मुंबई इंडियन ने 20 लाख रुपये की बोली में लिया है। पंकज के आने से जहां मुंबई इंडियन का पेस अटैक मजबूत होगा, वहीं एक मजबूत आलराउंडर भी टीम से जुड़ जाएगा। फिलहाल पंकज की इस नई उपलब्धि के लिए उनके पिता पवन जायसवाल के पास बधाई देने वालों का तांता लगा है। मजे की बात यह है कि जाने-माने रेसलर रहे पवन जायसवाल अपने बेटे को भी रेसलर बनाना चाहते थे, लेकिन कुश्ती की ट्रेनिंग लेते-लेते पंकज क्रिकेटर बन गया। अब कुश्ती की ट्रेनिंग पंकज के बहुत काम आ रही है।
आईपीएल में पंकज जायसवाल के चुने जाने पर कलचुरी समाज ने हर्ष व्यक्त किया है। सोशल मीडिया पर समाज के विभिन्न ग्रुपों की ओर से उन्हें बधाइयां दी जा रही हैं।
पंकज जायसवाल हिमाचल प्रदेश में कांगड़ा के रहने वाले हैं, और हिमाचल की रणजी टीम के सदस्य हैं। 20 सितंबर, 1995 को कांगड़ा में जन्मे पंकज इसी वर्ष बंगाल के खिलाफ रणजी मुकाबले में पांच विकेट लेकर लोगों की नजरों में आए। उन्होंने पहले ही प्रथम श्रेणी मुकाबले में पांच विकेट लेने का रिकार्ड बनाया। इसके बाद गोवा के खिलाफ रणजी मुकाबले में महज 16 गेंदों में अर्धशतक जड़या था, जो प्रथम श्रेणी क्रिकेट में दूसरा सबसे तेज अर्धशतक है।
कम ही लोगों को जानकारी होगी कि पंकज जायसवाल जाने-माने रेसलर (कुश्ती पहलवान) रहे हैं और चाहते थे कि पंकज भी उनके नक्शे कदम पर चले। इंडियन एक्सप्रेस को हाल में दिए एक साक्षात्कार में पवन जायसवाल ने बताया कि उन्होंने पंकज को 5 वर्ष की उम्र से ही कुश्ती की ट्रेनिंग देनी शुरू कर दी थी।
लेकिन 13 वर्ष की उम्र होते-होते पंकज का रुझान क्रिकेट की ओर हो गया। वह पाकिस्तानी पेसर शोएब अख्तर को आदर्श मानता था और उसी की तरह 160 किलोमीटर की रफ्तार से गेंद फेंकना चाहता था।
क्रिकेट में पंकज का रुझान बढ़ता देख पहले-पहल तो पवन नाखुश हुए, लेकिन बाद में सोचा कि यदि उन्होंने पंकज को जबरन कुश्ती में धकेला, और वह सफल नहीं हुआ तो जिंदगीभर की शिकायत रहेगी। लिहाजा उन्होंने पंकज को क्रिकेट में ही आगे बढ़ाने की निर्णय कर लिया। उन्होंने पंकज को दिल्ली की एक क्रिकेट एकेडमी में भर्ती कराया, जहां से उसका तेज गेंदबाज बनने का सफर शुरू हुआ। बाद में उसने चंडीगढ़ में राजदीप कलसी की एकेडमी में ट्रेनिंग ली।
बेशक पवन अपने बेटे पंकज को रेसलर नहीं बना पाए लेकिन उन्हें लगता है कि कुश्ती की ट्रेनिंग पंकज के काफी काम आ रही है। पंकज जायसवाल भी कहते हैं कि कुश्ती लड़ते समय हमारा ध्यान सामने वाले रेसलर के फुटवर्क और पोजीशन पर रहता है, उसकी आंखों पर रहता है जिससे पता चलता है कि उसका माइंडसेट क्या है, वह अटैकिंग है या डिफेंसिव। और फिर उसके अनुसार अपनी रणनीति तय करते हैं। क्रिकेट में भी लगभग ऐसा ही होता है। मैं केवल पेस पर ही ध्यान नहीं देता, बल्कि बल्लेबाज की बाडी लैंग्वेज पर भी ध्यान रखता हूं।
कुल मिलाकर पंकज जायसवाल के क्रिकेटर बनने की कहानी पेरेंंट्स के लिए सीख है कि वे बच्चों पर अपने सपने का बोझ न डालें, बल्कि अपने बच्चे की पसंद और रुझान को ध्यान में रखते हुए उसके सपने को साकार करने का जरिया बनें। यदि पवन जायसवाल ऐसा नहीं करते, तो पंकज शायद आज इस मुकाम पर नहीं होता।
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