शिवहरे वाणी नेटवर्क
नई दिल्ली।
किसी भी समाज के उत्थान में उस समाज की महिलाओं की बड़ी भूमिका रही है। महिलाओं के कारण ही संस्कृति, संस्कार और परंपराएं पीढ़ी दर पीढ़ हस्तांतरित होती हैं जो समाज की पहचान का आधार हैं। यही वजह है कि सामाजिक, शैक्षणिक और धार्मिक क्षेत्र में महिलाओं के कार्य व्यक्ति, परिवार और समाज को सशक्त बनाते हैं। कलचुरी समाज के लिए शुभ संकेत हैं कि सामाजिक क्षेत्र में महिलाएं भी पुरुषों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर आगे बढ़ रही हैं।
बीते एक वर्ष में कलचुरी समाज की आधी आबादी ने भाषा और संस्कृति की संकीर्णता को नजरअंदाज कर एकता के नए आधार तलाशे हैं। खासतौर पर भारतीय कलचुरी जायसवाल समवर्गीय महासभा (बीकेजेएसएम) की राष्ट्रीय महिला समिति ने बीते वर्ष 2018 में तमिलनाडु और आंध्र प्रदेश जैसे गैर-हिंदीभाषी सूबों में प्रदेश स्तर पर सजातीय महिला समितियों के गठन कर कलचुरी महिला एकता को मजबूती देने का काम किया है।
यही नहीं, बीकेजेएसएम की महिला समिति ने वर्ष 2019 की शुरुआत गैर-हिंदीभाषी प्रदेश उड़ीसा मे महिला समिति का गठन करने के साथ की है।
कलचुरी समाज की महिलाओं में एकता की यह अलख जलाने में राष्ट्रीय महिला समिति की अध्यक्ष श्रीमती सुमन राय और महिला महासचिव श्रीमती आशा राय की अहम भूमिका रही है। इन्हीं के निर्देशन में उपरोक्त गैर-हिंदीभीषा राज्यो के अलावा मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश जैसे हिंदीभाषी राज्यो में भी संगठन को मजबूत करने को लेकर काम चल रहा है।
बीती 6 जनवरी को उड़ीसा के ब्रह्मपुर में नव वर्ष कलचुरि कलेंडर का विमोचन समारोह हुआ जिसमें उड़ीसा,आंद्रप्रदेश और तमिलनाडु की महिला समिति का शपथ ग्रहण समारोह श्रीमती सुमन राय और आशाराय की देखरेख में हुआ।
इस दौरान महिला प्रभारी डा. तेजराज मेवाड़ा, सहप्रभारी अवधेशजी, राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष प्रताप वेहरा ने नवीन महिला समितियों की सदस्यों एवं पदाधिकारियों को शपथ ग्रहण कराई। इससे पहले बीते वर्ष 25 नवंबर को भारतीय कलचुरि जायसवाल महासभा ने तमिलनाडु में महिला सभा का गठन किया, जिसकी अध्यक्ष के रूप में विजयाचन्द्रन को चुना गया।
इसमें कोई दो राय नहीं कि समाज के उत्थान में महिलाओं की भूमिका आवश्यक और बेहद महत्वपूर्ण होती है। यह बात किसी भी सजातीय संगठन पर भी उतनी ही लागू होती है, जितनी कि संपूर्ण समाज अथवा जीवन से जुड़े सभी क्षेत्रों पर लागू होती है। विशेष तौर पर संवेदनशील मुद्दों पर महिलाओं की भागीदारी बौद्धिक या कार्य स्तर अथवा किसी भी स्तर पर कहीं अधिक लाभकारी होती है।
सामाजिक संगठनों का ध्येय अपने समाज की ताकत दिखाना नहीं, बल्कि समाज को ताकत देना होता है। किसी भी ऐसे समाज को शक्तिशाली नहीं कहा सकते, जिसमें मातृ शक्ति की सामाजिक भागीदारी कम हो।
कलचुरी समाज में महिला शक्ति को संगठित होने से उम्मीद करनी चाहिए कि संपूर्ण समाज इससे लाभान्वित होगा, विशेषतौर पर शैक्षणिक और सांस्कृतिक क्षेत्र में समाज में नई जागृति पैदा होगी।
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