August 4, 2025
शिवहरे वाणी, D-30, न्यू आगरा, आगरा-282005 [भारत]
समाचार

55 साल का नौजवान जिसने हाथ में तिरंगा लेकर बनाया वर्ल्ड रिकार्ड

  • लगातार 12.5 घंटे दौड़ते हुए 80.5 किलोमीटर दौड़े नागपुर के राजेंद्र जायसवाल
  • इच्छाशक्ति से 5 साल में बदली जिंदगी, एशियन बुक ऑफ रिकार्ड में नाम दर्ज

शिवहरे वाणी नेटवर्क
नागपुर। 
वह युवा हैं, लेकिन उम्र है 55 साल। आप उन्हें 55 साल का नौजवान भी कह सकते हैं। नौजवान इसलिए, कि जो कारनामा उन्होंने कर दिखाया है, वह उनके शारीरिक और मानसिक रूप से युवा होने की तस्दीक करता है। हम बात कर रहे हैं नागपुर के राजेंद्र जायसवाल की जिन्होंने गणतंत्र दिवस पर अपने हाथों मे तिरंगा लेकर बिना थके…बिना रुके..कोई एक भी ब्रेक लिये बिना..लगातार साढ़े बारह घंटे दौड़ते हुए 80.5 किलोमीटर दूरी तय की, और एशियन बुक ऑफ रिकार्ड्स में अपना नाम दर्ज कराया। शायद ही कोई यकीन करे कि आज से पांच साल पहले यही राजेंद्र जायसवालजी घुटनों के दर्द से इस कदर पीड़ित थे कि उनका चलना-फिरना तक बंद हो गया था। बैठे रहने की लाचारी के चलते डायबिटीज, कोलेस्ट्रॉल और ब्लडप्रेशर जैसी गंभीर बीमारियों ने उन्हें घेर लिया था। जिंदगी की चुनौतियों और बीमारियों को प्रारब्ध मानकर उनके सामने समर्पण कर देने वालों के लिए राजेंद्र जायसवाल की उपलब्धि प्रेरणा देती है कि वे अपनी भी इच्छाशक्ति मजबूत करें, फिर से उठें और दौड़ते हुए दुख-बीमारियों के पड़ाव को पार करें..क्योंकि इसके पार जिंदगी की खुशियां बाहें फैलाएं उनका इंतजार कर रही हैं। 

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राजेंद्र जायसवाल ने बीती 25 जनवरी को रात 8:22 बजे दौड़ शुरू की और अगले दिन गणतंत्र दिवस की सुबह 8:26 बजे तक दौड़ते रहे। दौड़ के लिए सिविल लाइन इलाके में 8 किलोमीटर का एक लूप बनाया गया था, जिसके दस चक्कर उन्होंने लगातार दौड़ते हुए लगाए यानी 80.5 किलोमीटर की दूरी तय की। 25 जनवरी की रात राजेंद्र जायसवाल की सहायता के लिए उनके साथ नागपुर के एक और अल्ट्रा-रनर अतुल चौकसे ने दौड़ लगाई। 26 की सुबह गणतंत्र दिवस के मौके पर नागपुर के सौ से अधिक धावकों ने राजेंद्र जायसवाल का साथ दिया। 

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राजेंद्र जायसवल ने कहा कि एशिया बुक ऑफ रिकार्ड मे अपना नाम दर्ज कराने के लिए गणतंत्र दिवस से बेहतर कोई और दिन नहीं हो सकता है। उन्हें अपनी यह उपलब्धि भारतीय सेना के जवानों को समर्पित की जो सीमा पर देश के लिए लड़ रहे हैं। शिवहरेवाणी से बातचीत में राजेंद्र जायसवाल ने साथ दौड़ने के लिए अतुल चौकसे का विशेष आभार व्यक्त किया।

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राजेंद्र जायसवाल बीते तीन साल में कई हाफ और फुल मैराथन दौड़ चुके हैं। बीते वर्ष हैदराबाद में तैराकी, साइकिलिंग और दौड़ के क्रमबद्ध (बिना ब्रेक लिए) और समयबद्ध लक्ष्य को पारकर आयरनमैन का खिताब हासिल किया। वह 100 किमी और 161 किमी की अल्ट्रा मैराथन भी दौड़ने के साथ 200 किमी और 300 किमी की साइकिल स्पर्धा में भी सफलता हासिल कर चुके हैं। 

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शिवहरे वाणी से बातचीत में राजेंद्र जायसवाल ने बताया कि करीब 5 साल पहले उन्हें घुटने की ऐसी तकलीफ हुई, कि चलना-फिरना भी बंद हो गया। लगातार बैठे रहने से उन्हें डायबिटीज (टाइप-2) और बीपी की समस्या हो गई, कोलेस्ट्रॉल लेवल भी बहुत बढ़ गया। डाक्टरों ने घुटनों का आपरेशन कराने की सलाह दी। ऐसे मे मुंबई के डा. अनंत जोशी की सलाह ने उनकी दिशा बदल दी। डा. जोशी ने उन्हें कुछ एक्सरसाइज बताईं जिससे कुछ राहत मिली। करीब साढ़े तीन साल पहले उन्होंने दौड़ने का अभ्यास शुरू किया और फिर, ऐसा दौड़े कि जिंदगी संवर गई, बीमारियों से उबर गई। जायसवाल बड़े फख्र से बताते हैं कि उन्होंने लाचारियों को हरा दिया, वह हर तीन महीने पर डायबिटीज का एचबीए1सी टेस्ट कराते हैं और रिजल्ट 5.5. पर स्थिर है। दो साल से डायबिटीज और बीपी की एक गोली तक नहीं खाई है। 

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अपनी कंस्ट्रक्शन कंपनी चलाने वाले राजेंद्र जायसवाल मूल रूप से मध्य प्रदेश के पंचमड़ी जिला पिपरिया के रहने वाले हैं। उनके पिता स्व. जगन्नाथ प्रसादजी जायसवाल वहां की प्रतिष्ठित शख्सियत थे। करीब 25 वर्ष पूर्व पूरा परिवार नागपुर में आ बसा। नागपुर में उनके बड़े भाई नलिन जायसवाल कलचुरी समाज के अग्रणी कार्यकर्ता हैं। 
राजेंद्र जायसवाल ने इंदौर से सिविल इंजीनियरिंग करने के बाद अपनी कंस्ट्रक्शन कंपनी स्थापित की। उनकी धर्मपत्नी श्रीमती विनीता जायसवाल वर्धा की हैं। दो बेटे हैं। बड़ा पुत्र माहीन जायसवाल वेल्लूर इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (वीआईटी) से आईटी इंजीनियरिंग कर रहा है, छोटा पुत्र रित्विक अभी दसवीं कक्षा का छात्र है। 
राजेंद्र जायसवाल की इच्छाशक्ति की सफलता, बीमारियों और उदासी से निकलकर जिंदगी की खुशियों के गले लगने की उनकी कहानी लोगों को प्रेरित करती है। वह खुद भी एक मोटीवेशनल स्पीकर की प्रतिष्ठा बना चुके है जिसने कइयों की जिदंगी को बदल दिया है। जायसवाल कहते हैं कि जिंदगी में फिटनेस बहुत जरूरी है, इसके बिना न तो आप जिंदगी की चुनौतियों का सामना कर सकते हैं, और ना ही जिंदगी का लुत्फ ले सकते हैं।

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