August 4, 2025
शिवहरे वाणी, D-30, न्यू आगरा, आगरा-282005 [भारत]
समाचार

गणतंत्र को है नाज है इन पर…स्वतंत्रता सेनानी स्व. श्री रामचंद्र राय जिन्होंने कुरीतियों से आजादी के लिए भी किया संघर्ष

शिवहरे वाणी नेटवर्क
तेंदुखेड़ा। 
भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन की खास बात यह रही कि आजादी के दीवाने केवल राजनीतिक आजादी ही नहीं चाहते थे, बल्कि वे समाज को कुप्रथाओं, भेदभाव, संकीर्णताओं, हिंसा से भी आजाद कराना चाहते थे। आज जब हम गणतंत्र दिवस मना रहे हैं, तो एक ऐसी शख्सियत का स्मरण करते हैं जिन्होंने राजनीतिक आजादी मिलने के बाद सामाजिक आजादी के लिए संघर्ष किया जो सही मायने में हमारे गणतंत्र और हमारे संविधान का लक्ष्य है। आइये आज बात करते हैं तेंदुखेड़ा (मध्य प्रदेश) के महान स्वतंत्रता सेनानी स्व. श्री रामचंद्रजी राय के बारे में, जिन्होंने लोगों को मृत्युभोज समाप्त करने के लिए प्रेरित किया जिसके चलते आज तेंदुखेड़ा के मृत्युभोज पर लगभग पूरी तरह रोक लग चुकी है।

admin
नरसिंहपुर जिले के तेंदुखेड़ा स्थित स्व. श्री रामचंद्रजी राय के स्मारक पर आज गणतंत्र दिवस के अवसर पर ध्वजारोहण अनुविभाग के एसडीएम आरएस राजपूत ने तिरंगा फहराया। नगर के गणमान्य नागरिकों की उपस्थिति में एनसीसी कैडेट्स द्वारा  सलामी परेड की गई और अंत में राष्ट्रगान हुआ।। महान स्वतंत्रता सेनानी के समाजसेवी पुत्र श्री किशोर राय ने सभी का आभार व्यक्त किया। 

admin
9 फरवरी 1922 को तेंदुखेड़ा के स्वनामधन्य श्री नर्मदा प्रसाद राय के ज्येष्ठ पुत्र के रूप में जन्मे रामचंद्र राय 15 वर्ष की आयु में ही आजादी के आंदोलन में कूद गए थे। वह लाल कुर्ती सेना में थे जिसका काम स्वतंत्रता आंदोलन से जुड़ी गुप्त सूचनाओ का एक स्थान से दूसरे स्थान पहुंचाना था। वह एक पुराना टाइप राइटर और साइक्लोस्टाइल प्रिंटर को जंगल की झोपडीयों में रखकर सूचनाएं तैयार करते थे और घास-फूस के गट्ठर में उन कागजों को छिपा कर 60 से 100 किलोमीटर तक साइकिल चलाकर उन सूचनाओं को उनके गंतव्य तक पहुंचाते थे। स्व. राय ने आजादी के ‘जंगल चिपको आंदोलन’ में भाग लिया। अंग्रेज सैनिकों  ने उन्हें बुरी तरह पीटा औऱ जेल में ठूंस दिया। 

admin
15 जनवरी को देश आजाद हुआ और उसके दो साल बाद 26 जनवरी,1949 को गणतंत्र दिवस पर देश ने एक बहुत प्रगतिशील संविधान को अपनाया। इधर राजनीतिक आजादी मिलने के बाद रामचंद्रजी राय ने सामाजिक आजादी को अपना लक्ष्य बनाया और समाज को कुरीतियों खासकर मत्युभोज जैसी प्रथा से मुक्त कराने का बीड़ा उठाया। उन्हें जीते-जी इसमें अधिक सफलता नहीं मिली,  वह इस बात से आहत रहते थे कि लोग लाख समझाने पर भी समझ नहीं रहे हैं और सामर्थ्य न होने के बावजूद कर्ज लेकर मृत्युभोज कर रहे हैं। उन्होंने अपने तीनों बेटों को सख्त ताकीद की कि उनका मृत्युभोज नहीं कराया जाए,  चाहे कोई कुछ भी कहे, यह अच्छी शुरुआत तुम्हें अपने परिवार से करनी होगी, तभी समाज के अन्य परिवार इसके लिए राजी होंगे।  

admin
25 जून 2003 को स्व. रामचंद्र राय का देहावसान हो गया। बेटो ने पिता को दिए वचन का अक्षरशः पालन किया। तेंदुखेड़ा में पहली बार ऐसा हुआ जब किसी तेहरवीं पर मृत्युभोज नहीं हुआ। आज स्थिति यह है कि तेंदुखेड़ा में कलचुरी समाज के साथ कई समाजों  जैन,अग्रवाल,गुप्ता गहोई; ने भी मृतक भोज बंद कर दिया है जो अपने आपमें एक मिसाल है। 

admin
स्व. रामचंद्र राय के तीन पुत्र हैं- अशोक राय, किशोर राय और राजेश राय। पांच पुत्रियां हैं-श्रीमती सत्यवती महाजन, श्रीमती उषा जायसवाल,  स्व. श्रीमती नीलम सूर्यवंशी, श्रीमती रजनी गौर एवं श्रीमती ममता मालवीय। स्व. राय ने देशसेवा और समाजसेवा का पाठ अपने बेटों-बेटियोंे को भी पढाया। किशोर राय आज राष्ट्रीय कलचुरी एकता महासंघ के कार्यकारी अध्यक्ष है  और राजेश राय नगर परिषद तेंदूखेडा के उपाध्यक्ष के रूप में सक्रिय हैं। 
admin

    Leave feedback about this

    • Quality
    • Price
    • Service

    PROS

    +
    Add Field

    CONS

    +
    Add Field
    Choose Image
    Choose Video