शिवहरे वाणी नेटवर्क
नई दिल्ली।
केंद्रीय लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) की वर्ष 2019 की परीक्षा के मंगलवार को घोषित अंतिम परिणाम में 5 कलचुरी युवाओं ने शानदार सफलता अर्जित की है। चंडीगढ़ की डा. दर्पण अहलुवालिया ने 80वीं रैंक हासिल की है। वहीं महाराष्ट्र के अभिषेक शिवहरे ने 414वीं रैंक, शुभम जायसवाल ने 482वीं रैंक, नरसिंहपुर के अंकित कुमार चौकसे ने 500वीं तथा छतरपुर के कुशल चौकसे ने 521वीं रैंक हासिल की।
मध्य प्रदेश के नरसिंहपुर जिले की करकबेल कस्बे में साइकिल पार्ट्स की दुकान चलाने वाले कृष्ण कुमार चौकसे और शिक्षिका श्रीमती पूनम चौकसे के होनहार पुत्र अंकित कुमार चौकसे की उपलब्धि ने समाज को गौरवान्वित किया है। खास बात यह ह कि अंकित चौकसे की कामयाबी दरअसल सीमित संसाधनों और ग्रामीण पृष्ठभूमि जैसी बाधाओं पर लगन और कठिन परिश्रम की विजय की कहानी है। अंकित ने दूसरे प्रयास में यह सफलता हासिल की है। पिछले वर्ष उन्हें इंटरव्यू में सफलता नहीं मिली थी। इस बार उन्होंने 500वीं रैंक हासिल की है। करकबेल कस्बे के युवाओं को अंकित की मिसाल तभी से दी जाने लगी थी जब उनका दाखिला आईआईटी कानपुर में हुआ जहां से मैकेनिकल एमटेक किया। अंकित ने सरस्वती शिशु मन्दिर करकबेल से प्राथमिक शिक्षा हासिल की और उन्होंने नवोदय से 12वीं की।
वहीं पंजाब में मोहाली की डा. दर्पण अहलुवालिया ने यूपीएससी में 80वीं रैंक हासिल की है। 26 वर्षीय डा. दर्पण अहलुवालिया ने पटियाला स्थित गवर्नमेंट मेडिकल कालेज से एमबीबीएस किया। दर्पण ने बताया कि यह उनका दूसरा प्रयास था। 2018 में उन्होंने यूपीएससी प्रारंभिक और मुख्य परीक्षा क्लीयर कर इंटरव्यू तक का सफर तय किया था। डा. दर्पण का कहना है कि इस बार का रिजल्ट उनके लिए सरप्राइज है क्योंकि उन्हें इतनी अच्छी सफलता का उम्मीद नहीं थी। उनका कहना है कि इंटरव्यू देने के बाद से ही तीसरे प्रयास की तैयारी में जुट गई थीं।
डा. दर्पण के मुताबिक, उन्होंने वैकल्पिक विषय के तौर पर मेडिकल साइंस को चुना, जो उनके लिए बेहतर रहा। ‘आमतौर पर प्रतिभागी हाइ स्कोरिंग वाले आसान वैकल्पिक विषयों को चुनते हैं, लेकिन मैं उस विषय को नहीं छोड़ना चाहती थी जिसकी मैंने पढ़ाई की है, और इसीलिये मैंने कठिन विषय चुना।‘
भारतीय प्रशासन सेवा यानी आईएएस डा. दर्पण की पहली पसंद है लेकिन यदि विदेश सेवा (आईएफएस) या पुलिस सेवा (आईपीएस) भी मिलती है तो भी उन्हें कोई दिक्कत नहीं है। डा. दर्पण के पिता गुरिंदर सिंह वालिया पंजाब सरकार के एनिमल हसबैंडरी डिपार्टमेंट में ज्वाइंट डायरेक्टर हैं। उनकी मां श्रीमती नवनीत वालिया जो इकोनॉमिक्स में एमफिल हैं, निःशक्त बच्चों को पढ़ाती हैं। डा. दर्पण का छोटा भाई आफताब सिंह तमिलनाडु के वेल्लोर इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी से सूचना प्रौद्योगिकी से बीटेक कर रहा है।
आगे शिवहरेवाणी आपको तीन अन्य सफल युवाओं अभिषेक शिवहरे, शुभम जायसवाल और कुशल जायसवाल की सक्सेस स्टोरी से भी रूबरू कराएगी।
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पांच कलचुरी युवा बने IAS…डा. दर्पण और अंकित चौकसे की सक्सेस स्टोरी
- by admin
- October 29, 2016
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