नई दिल्ली।
दिल्ली के तेजतर्रार आईपीएस अधिकारी शशांक जायसवाल एक बार फिर सुर्खियों में हैं। उन्होंने दक्षिण दिल्ली इलाके में एक स़ॉक हादसे में गंभीर घायल व्यक्ति को समय रहते अस्पताल पहुंचाकर उसकी जान बचा ली। यही नहीं, उन्होंने मरीज के उपचार के खर्च की पेशकश भी की। आईपीएस शशांक जायसवाल के इस कार्य की हर ओर सराहना हो रही है, कहा जा रहा है कि यदि सड़क हादसों में घायलों को इसी तेजी के साथ अस्पताल पहुंचाया जा सके, तो कई लोगों की जान बचाई जा सकती है।
ईपीएस शशांक जायसवाल दिल्ली पुलिस में डीसीपी ट्रैफिक हेड क्वॉर्टर और वीवीआईपी रूट के पद पर कार्यरत हैं। बीती 2 सितंबर की रात करीब 8.10 बजे वह गश्त से लौट रहे थे, रास्ते में महिपालपुर बाइपास के निकट उन्हें भीड़ जमा दिखाई दी तो वहां पहुंच गए। देखा कि एक मोटरसाइकिल सड़क पर गिरी हुई है और उसके पास खून से लथपथ एक व्यक्ति अचेत अवस्था में पड़ा है। भीड़ तमाशबीन बनी थी, उसकी मदद के लिए कोई आगे नहीं आ रहा था। आईपीएस शशांक ने बिना कोई देरी किए एक आटोरिक्शा पकड़ा, घायल को उसमें बिठाकर वसंतकुंज स्थित इंडियन स्पाइनल इंजुरीज सेंटर की ओर चल दिए, अपने टीम को निर्देश दिए कि वे आटो के आगे-आगे चलकर रास्ता साफ कराते आगे बढ़ें, ताकि घायल को यथाशीघ्र अस्पताल पहुंचाया जा सके। घायल युवक के सिर, मुंह और शरीर के अन्य हिस्सों में गंभीर चोटे थीं, उसका काफी खून भी बह चुका था। यदि उसे अस्पताल ले जाने में देर हो जाती तो उसे बचा पाना मुश्किल होता। लेकिन अस्पताल में चिकित्सकों के प्रयास से अब घायल व्यक्ति अब खतरे से बाहर है। इस घटना का पता चलने पर पुलिस विभाग के उच्च अधिकारियों ने आईपीएस शशांक के सेंसिबल एक्ट की खुलकर सराहना की। बता दें कि गत वर्ष स्वतंत्रता दिवस पर लालकिले की प्राचीर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा फहराए गए तिरंगे को सलामी देने का गौरव शशांक जायसवाल को ही प्राप्त हुआ था। इसे लेकर वह खूब मीडिया की सुर्खियों में रहे थे। इसी गणतंत्र दिवस परेड में उन्होंने दिल्ली पुलिस की गारद का नेतृत्व भी किया था।
शशांक जायसवाल 2014 बैच के आईपीएस हैं। दिल्ली के शाहदरा में रहने वाले शशांक जायसवाल के बारे में खास बात यह है कि उन्होंने बहुत हाईपैकेज और सुविधाओं वाली लग्जरी कॉरपोरेट लाइफ छोड़कर समाज की सेवा करने के इरादे से पुलिस सेवा ज्वाइन की थी । 2006 में दिल्ली कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग से मैकेनिकल इंजीनियरिंग (बीई) करने के बाद शशांक ने देश की एक प्रतिष्ठित कंपनी में दो साल नौकरी की। इसके बाद उन्होंने नौकरी छोड़कर शीर्ष प्रबंधन संस्थान आईआईएम कोझीकोड से एमबीए किया। फिर एक नामी कंपनी में वाइस प्रेसिडेंट के पद पर काम किया। यहां दो लाख रुपये प्रतिमाह से अधिक का वेतन मिलता था, रहने की शानदार सुविधाएं, प्राइवेट जेट्स में सफर..। लेकिन शशांक जायसवाल संतुष्ट नहीं थे।
इसकी वजह उनकी पृष्ठभूमि से जुड़ी थी। शशांक जायसवाल के पिता स्व. श्री अक्षय जायसवाल एक प्रतिष्ठित कांग्रेसी नेता थे और कांग्रेस सेवादल के ऑर्गनाइजर भी रहे थे। जनसेवा के प्रति श्री अक्षय जायसवाल के समर्पण भाव से कांग्रेस का शीर्ष गांधी परिवार तक प्रभावित रहता था। तीन वर्ष पूर्व कोरोना काल में उनका निधन हो गया था। शशांक ने बचपन से अपने पिता को जनसेवा करते हुए देखा था, और पिता से उन्हें वही संस्कार मिले थे। इसी के चलते शानदार पैकेज और आकर्षक सुविधाओं वाली लग्जरी लाइफ भी उनके मन को बांध नहीं सकीं और वह पांच वर्ष के कारपोरेट करियर को छोड़ सिविल सर्विसेज की तैयारी में जुट गए। वर्ष 2014 में यूपीएससी की परीक्षा में उन्हें 444वीं रैंक मिली और आईपीएस अधिकारी बनने का उनका सपना साकार हुआ। शशांक कहते हैं कि वह समाज के बीच काम करना चाहते थे, पुलिस सेवा इसलिए चुनी कि इसमें रहकर जरूरत मंदों की मदद की जा सकती है। शशांक कहते हैं कि लापता बच्चों को खोजकर उनके माता-पिता तक सौंपना उन्हें सबसे ज्यादा संतोष प्रदान देता है।
शशांक जायसवाल मूल रूप से दिल्ली के रहने वाले हैं। चांदनी चौक में उनका पुश्तैनी घर है। उनके पिता परिवार के साथ शाहदरा में शिफ्ट हो गए थे जहां उनका परिवार आज भी रहता है। शशांक जायसवाल की पत्नी श्रीमती कनिका जायसवाल भी कॉरपोरेट जॉब में हैं और एक प्रतिष्ठित कंपनी की एचआर मैनेजर हैं। उनका एक बेटा है, शौर्य जायसवाल। शशांक की एक बहन प्राची जायसवाल हैं जो स्वयं भी आईआईएम रांची से एमबीए हैं और वर्तमान में एचडीएफसी में कार्यरत हैं। प्राची के पति श्री शुभम श्रीवास्तव भी एचडीएफसी में उच्च पद पर कार्यरत हैं।
शशांक जायसवाल का आगरा और ग्वालियर से भी निकट का रिश्ता है। शशांक की मम्मी श्रीमती गोमती जायसवाल ग्वालियर की हैं। शशांक के तीनों मामा ओमप्रकाश शिवहरे, घनश्याम शिवहरे और मुकेश शिवहरे ग्वालियर में ही रहते हैं। शशांक की मौसी श्रीमती नीलिमा शिवहरे आगरा में विभव नगर में रहती हैं। मौसाजी स्व. श्री अरविंद शिवहरे की ताजगंज में ज्वैलर्स की दुकान हुआ करती थी।
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