आगरा।
भगवान श्रीकृष्ण का जन्मोत्सव यानी जन्माष्टमी का पर्व शनिवार 16 अगस्त को मनाया जाएगा। आगरा में कलचुरी (शिवहरे) समाज की दोनों धरोहरों ‘दाऊजी मंदिर’ और ‘राधाकृष्ण मंदिर’ में जन्माष्टमी महोत्सव की तैयारी जोरों पर हैं। समाजबंधु व श्रद्धालु शनिवार की शाम सात बजे से दोनों मंदिरों में भगवान की झांकियों के दर्शन कर सकेंगे।

भगवान कृष्ण का यह 5253वां जन्मोत्सव माना जा रहा है जो कि सबसे प्रचलित मत है। इसके अनुसार, भगवान कृष्ण का जन्म 3228 ईसा पूर्व हुआ था जो आज से 5253 वर्ष पहले होता है। भगवान कृष्ण ने विष्णु के 8वें अवतार के रूप में जन्म लिया था। 8वें मनु वैवस्वत के मन्वंतर के 28वें द्वापर में भाद्रपद के कृष्ण पक्ष की रात्रि के 7 मुहूर्त निकल गए और 8वां मुहूर्त उपस्थित हुआ, तभी आधीरात के समय सबसे शुभ लग्न में देवकी के गर्भ से भगवान श्री कृष्ण ने जन्म लिया। उस लग्न पर केवल शुभ ग्रहों की दृष्टि थी।
दूसरा मत आर्यभट्ट का है, जिनके अनुसार महाभारत युद्ध 3137 ईस्वी पूर्व में हुआ था। इस युद्ध के 35 वर्ष पश्चात भगवान कृष्ण ने देह छोड़ दी थी, उनकी मृत्यु बहेलिया का तीर लगने से हुई थी। तब उनकी आयु 119 वर्ष थी। यानी इस मत के अनुसार महाभारत युद्ध के समय भगवान कृष्ण की आयु लगभग 84 वर्ष की रही होगी। इस हिसाब से भगवान कृष्ण का जन्म 3222 ईसा पूर्व हुआ था। इस गणना से भगवान श्रीकृष्ण का जन्म 5247 वर्ष हुआ था जो उपरोक्त गणना के (5253 वर्ष) के बहुत निकट है।
शोधकर्ताओं ने खगोलीय घटनाओं, पुरातात्विक तथ्यों आदि के आधार पर भगवान कृष्ण के जन्म और महाभारत युद्ध के समय का काफी सटीक वर्णन किया है। ब्रिटेन में कार्यरत न्यूक्लियर मेडिसिन के डा. मनीष पंडित महाभारत में वर्णित 150 खगोलीय घटनाओं के संदर्भ में कहते हैं कि महाभारत का युद्ध 22 नवंबर, 3067 ईसा पूर्व को हुआ था। उस वक्त भगवान कृष्ण 55-56 वर्ष के थे। उन्होंने अपनी खोज के लिए टेनेसी के मेम्फिन यूनीवर्सिटी में फिजिक्स के प्रोफेसर डा. नरहरि अचर द्वारा 2004-05 में किए गए एक शोध का हवाला भी दिया था। उनके हिसाब से भगवान कृष्ण का जन्म 3123 ईसा पूर्व हुआ था और यह उनका 5148वां जन्मदिवस होगा।

कुल मिलाकर उपरोक्त तीनों ही गणनाएं एक-दूसरे के बहुत निकट हैं। लेकिन इसमें कोई दो राय नहीं कि भगवान श्रीकृष्णा का जन्मोत्सव इस धरती पर सबसे पुराने उत्सवों में से एक है। ब्रज क्षेत्र में इसे विशेष रूप से मनाया जाता है, और इसी तरह आगरा में शिवहरे समाज की दोनों धरोहरों, दाऊजी मंदिर और राधाकृष्ण मंदिर में भी उनकी स्थापना से लगातार मनाया जाता आ रहा है। कल 16 अगस्त को जन्माष्टमी महोत्सव के लिए दोनों ही मंदिरों में दो दिन से तैयारियां चल रही हैं।

सदरभट्टी चौराहा स्थित दाऊजी मंदिर समिति के अध्यक्ष श्री बिजनेश शिवहरे ने बताया कि हर वर्ष की भांति इस बार भी मंदिर में प्राकृतिक फूलों का भव्य फूलबंगला सजाया जाएगा, और आकर्षक लाइटिंग इसमें चार चांद लगाएगी। फव्वारे पर रंगीन बर्फ की झांकी होगी। लड्डूगोपालजी चांदी के हिंडोले में दर्शन देंगे। अर्धरात्रि 12 बजे भगवान की पूजा-अभिषेक के बाद प्रसाद वितरण होगा। मंदिर परिसर में गत दो दिनों से समिति के पदाधिकारियों की देखरेख में सजावट का कार्य चल रहा है। वहीं लोहामंडी में आलमगंज स्थित राधाकृष्ण मंदिर के अध्यक्ष श्री अरविंद गुप्ता ने बताया कि मंदिर परिसर को आकर्षक तरीके से सजाया गया। सभी स्वरूप नई पोशाकों में दर्शन देंगे। मध्यरात्रि को भगवान का अभिषेक होगा और महाआरती के बाद प्रसाद वितरण किया जाएगा।
Leave feedback about this