November 22, 2024
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समाचार

बेटे की खुदकुशी के कुछ घंटों बाद शिवनारायण जायसवाल भी नहीं रहे; महात्मा गांधी के काफी नजदीकी थे रांची के पहले मेयर

रांची (झारखंड)।
अंग्रेजी शासन के खिलाफ राष्ट्रीय आंदोलन में राष्ट्रपति महात्मा गांधी के नजदीकी रहे रांची के पहले मेयर शिवनारायण जायसवाल नहीं रहे। 96 वर्षीय जायसवाल कोरोना संक्रमण से मुक्त होने के बाद भी खराब सेहत से जूझ रहे थे। सेंटेविटा अस्पताल में एक जून की देर रात उनका निधन हो गया। सबसे दुखद पहलू यह है कि उनके निधन से कुछ घंटों पूर्व उनके व्यवसायी पुत्र ओमियो रंजन जायसवाल ने अपने घर की तीसरी मंजिल से कूदकर आत्महत्या कर ली थी। वह एक साल से डिप्रेशन से जूझ रहे थे। 
शिवनारायण जायसवाल 1962 से लेकर 1976 तक 14 साल रांची के मेयर रहे थे। वह डिस्टिलरी पुल के पास घड़ी बंगला में परिवार के साथ रहते थे। शिवनारायण जायसवाल के पिता और दादा ने स्वतंत्रता आंदोलन में हिस्सा लिया था। 1940 में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी रामगढ़ अधिवेशन में भाग लेने रांची आए थे तो शिवनारायण जायसवाल के कोकर स्थित आवास पर ही रुके थे। उनकी याद में इस परिसर में बापू कुटीर को आज भी सहेज कर रखा गया है। महात्मा गांधीजी यहीं से जायसवाल की 1921 मॉडल की ‘फोर्ड ए’ कार पर सवार होकर रामगढ़ अधिवेशन में पहुंचे थे। यह कार शिवनारायण जायसवाल के पौत्र कांग्रेस नेता आदित्य विक्रम जायसवाल के पास आज भी सुरक्षित है, इसे लोग गांधी-कार भी कहते हैं। 
आदित्य विक्रम जायसवाल बताते हैं कि शिवनारायणजी जायसवाल को ब्रितानी सरकार ने राजा की उपाधि से नवाजा था, लेकिन आजादी की लड़ाई के दौरान उन्होंने सरकार की नीतियों का खुलकर विरोध किया। अंग्रेजी शासन के खिलाफ जनजागरण में सराहनीय योगदान के लिए महात्मा गांधी ने उन्हें ताम्रपत्र से नवाजा था। 
मूल रूप से उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर जिले में जमालपुर के राजपरिवार में 1926 में जन्मे शिव नारायण जायसवाल की पढ़ाई लिखाई बिशप वेस्टकॉट से हुई थी। वे सीनियर कैम्ब्रिज पास थे। 
रांची के पहले मेयर के रूप में उन्होंने शहर में कई यादगार काम किये। पुराना नगर निगम भवन, रांची टाउन हॉल और जयपाल सिंह स्टेडियम का निर्माण उनके ही कार्यकाल में हुआ था। शहर में तीन हजार स्ट्रीट लाइटें लगवाने में उनकी भूमिका रही। रांची में रेन वाटर हार्वेस्टिंग की शुरुआत भी उन्होंने मेयर रहते हुए करायी थी। शिव नारायण जायसवाल सामाजिक, धार्मिक, राजनीतिक कार्यक्रमों में खुले हाथ से सहयोग करते थे। रांची कोकर डिस्टिलरी स्थित भगवान बिरसा मुंडा समाधि स्थल की जमीन उन्होंने ही दान में दी थी।
शिवनारायण जायसवाल एक सफल व्यवसायी और उद्यमी थे। रांची, लखीसराय, उज्जैन, भोपाल, यूपी, बिहार, उड़ीसा, मध्य प्रदेश के कई शहरों में वह डिस्टिलरी प्लांट चलाते थे। राजनीति में भी उनकी खासी पकड़ थी। बिहार, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और ओडिशा की राजनीति में शिवनारायण जयसवाल कभी किंगमेकर का किरदार अदा करते थे। इनका पूरा खानदान राजनीति में था। शिवनारायण के चचेरे भाई राजाराम शास्त्री वाराणसी से कांग्रेस के टिकट पर 1971 में सांसद बने थे।
 

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