आगरा।
आगरा में शिवहरे समाज की धरोहर राधाकृष्ण मंदिर में हनुमान जयंती के उपलक्ष्य में ‘श्री राम कथा श्री हनुमान चरित्र ज्ञान यज्ञ सप्ताह’ का आयोजन किया जा रहा है, जिसमें रामकथा मर्मज्ञ स्वजातीय संत श्री अभिरामदास जी महाराज प्रतिदिन ‘अजः’, ‘अजर’, ‘अमृत्य’ भगवान हनुमान के ‘श्रुतिगम्य’ चरित्र और जीवन का रोचक व संगीतमयी वर्णन करेंगे। रामनवमी के दिन 30 मार्च से प्रतिदिन दोपहर 2 बजे से सायं 5 बजे तक चलने वाले इस ‘ज्ञान यज्ञ’ का समापन 6 अप्रैल को हनुमान जयंती पर पूर्णाहुति एवं भंडारे के साथ होगा। आयोजक श्री भगवान स्वरूप शिवहरे एवं उनकी धर्मपत्नी श्रीमती मालती शिवहरे ने समस्त शिवहरे समाजबंधुओं और बहन-बेटियों से हनुमान कथा का श्रवण कर पुण्यलाभ प्राप्त करने का आह्वान किया है। वहीं, राधाकृष्ण मंदिर के अध्यक्ष श्री अऱविंद गुप्ता ने भी समस्त समाजबंधुओंं से अपनी उपस्थिति से इस पावन आयोजन के उद्देश्य को सफल बनाने का अनुरोध किया है।
दाऊजी मंदिर के पूर्व अध्यक्ष श्री भगवान स्वरूप शिवहरे ने शिवहरेवाणी को बताया कि यूं तो उनका परिवार हर वर्ष हनुमान जयंती पर विशेष पूजा एवं भंडारे का आयोजन करता रहा है, लेकिन आगरा में ‘हनुमान कथा’ का आयोजन कराने की इच्छा बहुत समय से उनके मन में थी, सो इस बार ‘विश्वध्येयः’ भगवान हनुमान की विशेष कृपा प्राप्त हो गई है। रामकथा मर्मज्ञ स्वजातीय संत श्री अभिराम दासजी महाराज की स्वीकृति मिलने के बाद उन्होंने यह कार्यक्रम निर्धारित किया है, इस उम्मीद और अनुरोध के साथ कि समाजबंधु अधिक से अधिक संख्या में इसके श्रवण का धर्मलाभ औऱ पुण्यलाभ अर्जित करें।
संत श्री अभिराराम दासजी महाराज ने शिवहरेवाणी को बताया कि वह अपने साथ दो साजिन्दे साथ लेकर आएंगे जो कथा वाचन के दौरान ढोलक और कीबोर्ड पर उनको संगत देंगे। हारमोनियम वह स्वयं संभालेंगे। उन्होंने बताया कि हनुमानजी की कथा के समानांतर रामकथा भी चलती रहेगी क्योंकि भगवान राम के वर्णन के बिना रामभक्तः हनुमानजी की कथा पूर्ण नहीं हो सकती, ठीक वैसे ही जैसे हनुमानजी के बिना राम की कहानी अधूरी है। भगवान और भक्त के इस अद्भुत रिश्ते में ही इस जगत और जीवन का सार समाहित है, और इसीलिए इसके श्रवण को परमकल्याणकारी माना जाता है। उन्होंने कहा कि भगवान राम का जन्म, हनुमानजी के ‘तीनों’ जन्म, भगवान राम का वनवास, किष्कंधा कांड, सुंदरकांड समेत तुलसी रचित ;रामचरित्र मानस’ में वर्णित विभिन्न प्रसंगों की संगीतमयी प्रस्तुति वह देंगे। चौपाइयों का आसान भाषा में भावार्थ भी साथ-साथ करते जाएंगे ताकि ‘ज्ञानमूर्तिः’ ‘कामधुकः’ हनुमानजी के चरित्र और जीवन का सार श्रोताओं के अंतस तक उतर जाए।
कौन हैं संत श्री अभिराम दास महाराज
संत श्री अभिराम दास महाराज का मूल नाम श्री बाबूलाल शिवहरे है। 55 वर्षीय श्री बाबूलालजी शिवहरे मध्य प्रदेश के श्योपुर के रहने वाले हैं, गृहस्थ संत हैं। जन्म श्योपुर के गांव प्रेमसर में हुआ, पिता स्व. श्री मदनलाल शिवहरे किसान थे, माताजी श्रीमती परताबाई गृहणी थीं। गांव में ही संत श्री श्री 1008 संत शिरोमणि श्री जानकीदासजी महाराज का आश्रम था, जहां बचपन से जाते थे। 16 साल की आयु में कैलाशीबाई से विवाह हुआ। उनका परिवार अब श्योपुर में रहता है। उनके तीन पुत्र देवेश, गौरव कृष्ण, रवि शिवहरे और सबसे छोटी पुत्री भारती शिवहरे (16 वर्ष) हैं। देवेश विवाहित हैं और भाई गौरव के साथ मिलकर मोटर पार्ट्स की दुकान करते हैं। रवि प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे हैं, जबकि बेटी 11वीं कक्षा में है। बेटी के जन्म के बाद श्री बाबूलालजी का मन रामकथा और रामभक्ति में रम गया, और अपने गुरु संत शिरोमणि श्री जानकीदासजी महाराज के आदेश पर उन्होंने भगवा धारण कर लिया। गुरुजी ने ही अध्यात्म की दुनिया में उनका नामकरण ‘संत श्री अभिरामदासजी महाराज’ कर दिया। तब से वह श्री राम कथा का वाचन कर रहे हैं। वह वृंदावन, गोवर्धन, प्रयागराज, चित्रकूट, कोटा, जयपुर समेत देशभर में कई शहरों में रामकथा कर चुके हैं। भजनों की संगीतमयी प्रस्तुति उनकी रामकथा का विशेषता है।
रामकथा में सहस्त्रबाहु कथा के संदर्भ
संत श्री अभिराम दासजी महाराज (श्री बाबूलाल शिवहरे) ने बीते दिनों प्रयागराज में पहली बार बुद्धिजीवी परिषद के अध्यक्ष श्री कमलेंद्र जायसवाल की पहल पर श्री रामलखन जायसवाल द्वारा लिखी गई सहस्त्रबाहु कथा का वाचन दिया था और संकल्प व्यक्त किया था कि वह जहां-जहां भी रामकथा कहेंगे, वहां बीच-बीच में भगवान सहस्त्रबाहु कथा के संदर्भों को भी जोड़ेंगे।
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