November 1, 2024
शिवहरे वाणी, D-30, न्यू आगरा, आगरा-282005 [भारत]
समाचार

आगराः 2023 के पहले मंगल को हनुमान की बल-बुद्धि का गान करेंगे ‘राम’…दाऊजी मंदिर में सुंदरकांड का पाठ

आगरा।
वर्ष 2023 संपूर्ण समाज के लिए मंगलकारी हो, इस कामना के साथ शिवहरे समाज एकता परिषद ने साल के पहले मंगलवार यानी 3 जनवरी को  सुंदरकांड के पाठ का आयोजन किया। आगरा में सदरभट्टी चौराहा स्थित शिवहरे समाज की धरोहर दाऊजी मंदिर में ‘हनुमानभक्त’  कुलभूषण गुप्ता ‘रामभाई’ और दीपक गुप्ता दोपहर 12 बजे से सुंदरकांड के सभी तीन श्लोकों, साठ दोहों और 526 चौपाइयों को सुर, लय और ताल में पिरोकर प्रस्तुत करेंगे। प्रसाद वितरण के साथ सुंदरकांड आयोजन का समापन होगा। 

शिवहरे समाज एकता परिषद के अंशुल शिवहरे एवं समस्त कार्यकारिणी ने समाजबंधुओं से सपरिवार पधारकर सुंदरकांड के श्रवण का लाभ प्राप्त करने का अनुरोध किया है। परिषद के संस्थापक/संयोजक अमित शिवहरे बताया कि परिषद संपूर्ण समाज की मंगलकामना के उद्देश्य से हर नए वर्ष के पहले मंगलवार को सुंदरकांड का आयोजन करता आ रहा है। गत वर्ष यह आयोजन आलमगंज स्थित राधाकृष्ण मंदिर में किया गया था। 

सुंदरकांड ही क्यों
हनुमानजी, माता सीता की खोज में लंका गए थे जो त्रिकुटाचल पर्वत पर बसी हुई थी। त्रिकुटाचल पर्वत दरअसल तीन पर्वत थे, पहला सुबैल पर्वत था जहां के मैदान में युद्ध हुआ था। दूसरा था नील पर्वत, जहां राक्षसों के महल बसे हुए थे और तीसरे पर्वत का नाम है सुंदर पर्वत, जहां अशोक वाटिका थी। इसी वाटिका में हनुमानजी और सीताजी की भेंट हुई थी जो इस कांड की सबसे प्रमुख घटना थी। इसलिए इसका नाम सुंदरकांड रखा गया है।
शुभ है सुंदरकांड का श्रवण
शुभ कार्यों की शुरुआत से पहले गोस्वामी तुलसीदासजी द्वारा रचित श्रीरामचरितमानस के सुंदरकांड के पाठ का विशेष महत्व है। माना जाता है कि जीवन में ज्यादा परेशानियां हो, कोई काम नहीं बन पा रहा हो या फिर आत्मविश्वास की कमी हो या कोई और समस्या हो तो सुंदरकांड के पाठ से शुभ फल प्राप्त होने लग जाते हैं। 
सफलता का मंत्र है सुंदरकांड 
माना जाता है कि सुंदरकांड के पाठ में बजरंगबली की कृपा बहुत ही जल्द प्राप्त हो जाती है। जो लोग नियमित रूप से सुंदरकांड का पाठ करते हैं, उनके सभी दुख दूर हो जाते हैं। इसमें हनुमानजी ने अपनी बुद्धि और बल से सीता की खोज की है। इसी वजह से सुंदरकांड को हनुमानजी की सफलता के लिए याद किया जाता है।
देता है आत्मविश्वास
वास्तव में श्रीरामचरितमानस के सुंदरकांड की कथा सबसे अलग है। संपूर्ण श्रीरामचरितमानस भगवान श्रीराम के गुणों और उनके पुरुषार्थ को दर्शाती हैं। सुंदरकांड एकमात्र ऐसा अध्याय है जो श्रीराम के भक्त हनुमान की विजय का है। मनोवैज्ञानिक नजरिए से देखा जाए तो यह आत्मविश्वास और इच्छाशक्ति बढ़ाने वाला कांड है। सुंदरकांड के पाठ से व्यक्ति को मानसिक शक्ति प्राप्त होती है, किसी भी कार्य को पूर्ण करने के लिए आत्मविश्वास मिलता है।
 

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