दतिया।
शुरुआती सपना तो क्रिकेटर बनने का ही था….लेकिन दसवीं करने के बाद जिदंगी ने कुछ ऐसा मोड़ लिया कि महज 23 साल की उम्र में आईएएस बनने का ख्वाब पूरा कर लिया मृदुल शिवहरे ने। दतिया के मृदुल शिवहरे के बारे में सबसे खास बात यह है कि उन्होंने एक साधारण कालेज से बीए किया, और महज एक साल की तैयारी के बाद पहले ही प्रयास में यूपीएससी की परीक्षा में 247वीं रैंक (आल इंडिया) हासिल कर ली।
इस बार यूपीएससी के सफल अभ्यर्थियों में आईआईटी, एनआईटी जैसे कालेजों से इंजीनियरिंग करने वालों और साइंस बैकग्राउंड वालों का अनुपात काफी अधिक है। आर्ट्स स्ट्रीम से सफल होने वाले अभ्यर्थी काफी कम रहे, उनमें ही जेएनयू, डीयू और जामिया जैसे प्रतिष्ठित संस्थानों के अभ्यर्थियों का अनुपात बहुत अधिक है। ऐसे टफ कंप्टीशन में मृदुल की स्थिति वैसी ही थी, जैसे कि फास्ट बॉलर्स के सामने कोई टेलेंडर बिना हेलमेट पहनकर उतरा हो। मगर मृदुल ने अपने संकल्प और मेहनत से सफलता पा ही ली।
बीए तक की पढ़ाई और एक साल की तैयारी के बाद पहले ही प्रयास में सफलता को लेकर आप कितने आश्वस्त थे? शिवहरेवाणी के इस सवाल पर मृदुल का कहना है कि यूपीएससी की परीक्षा का पैटर्न ऐसा है कि कोई भी अभ्यर्थी सलेक्शन को लेकर आश्वस्त नहीं हो सकता। यहां तक कि टॉपर श्रुति शर्मा भी अपने सलेक्शन को लेकर आश्वस्त नहीं थीं। मृदुल ने वैकल्पिक विषय के तौर पर पॉलिटिकल साइंस और इंटरनेशनल रिलेशन्स को चुना था। दिल्ली में रहकर कोचिंग की और मुख्य परीक्षा के बाद उन्होंने कुछ मॉक इंटरव्यू भी किए। मृदुल कहते हैं कि यूपीएससी की तैयारी के लिए कड़ी मेहनत और निरंतरता बेहद जरूरी है। वह स्वयं भी तैयारी के दौरान दिन में 16-17 घंटे पढ़ाई करते थे।
मृदुल शिवहरे की बहुत साधारण पारिवारिक पृष्ठभूमि है। पिता श्री प्रेमप्रकाश शिवहरे शिक्षक हैं और शासकीय प्राथमिक विद्यालय बरगांय में पदस्थ हैं। मां ममता शिवहरे गृहणी हैं। मृदुल बचपन से ही मेधावी छात्र रहे, पहले उनका रुझान क्रिकेट की ओर था। वह अच्छे खासे आलराउंडर था और चंबल की टीम से अंडर-14 स्टेट चैंपियनशिप खेली जिसमें उन्होंने शानदार प्रदर्शन किया। मृदुल की प्रारंभिक शिक्षा दतिया के हंस वाहिनी उच्चतर माध्यमिक विद्यालय से पूरी हुई। दसवीं की परीक्षा (आईसीएसई) में उन्होंने 90 प्रतिशत अंक प्राप्त किए, और यहीं से मृदुल का रुझान क्रिकेट से हट गया और आईएएस बनने की सोचने लगे। बारहवीं (मध्य प्रदेश बोर्ड) की परीक्षा 93 प्रतिशत अंकों से पास की तो आईएएस बनने की ठान ही ली। इसके बाद इंदौर के अरिहंत कालेज में बीए पाठ्यक्रम में दाखिला लिया। 2019 में बीए करने के बाद यूपीएससी की तैयारी के लिए दिल्ली कूच कर दिया।
यूपीएससी का रिजल्ट निकले हफ्ताभर होने को आया लेकिन दतिया की बुंदेला कालोनी में मृदुल के घर बधाई देने वालों का सिलसिला थमा नहीं है। शिवहरेवाणी से बातचीत मे मृदुल शिवहरे ने अपनी सफलता का पहला श्रेय अपने दादाजी श्री अमान प्रसाद शिवहरे को दिया, जो रिटायर्ड शिक्षक हैं। मृदुल ने बताया कि आज वह जो भी हैं, दादाजी के मार्गदर्शन, उनके सहयोग और विश्वास की बदौलत हैं। वहीं दादाजी श्री अमान प्रसाद शिवहरे बड़ी विनम्रता के साथ अपने पोते की कामयाबी को परमपिता परमात्मा की कृपा और सभी के आशीर्वाद का परिणाम मानते हैं। माता-पिता मृदुल की कामयाबी को माई महाराज, अनामय सरकार, बड़े गणेश जी व बड़ौनी के देवी देवताओं के आशीर्वाद के साथ ही मृदुल की लगनशीलता का परिणाम मानते हैं। मृदुल की बहन रेखा शिवहरे भी भाई की कामयाबी से बहुत खुश है जो इंदौर में अपने बिजनेसमैन पति आदित्य राय के साथ रहती है।
फिलहाल पूरे दतिया में मृदुल की कामयाबी का जिक्र है। वह जिले के यूथ आइकन बनकर उभरे है। जिले के पुलिस अधीक्षक ने आज (शुक्रवार, 3 जून) अपने कार्यालय में मृदुल को सम्मानित किया। (ऊपर पहला और अंतिम चित्र) इस दौरान मृदुल के पापा श्री प्रेमप्रकाश शिवहरे एवं ताऊ जी श्री सतीश शिवहरे, नितिन और मित्र सत्तू उपस्थित रहे।
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