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आगरा।
भगवान श्रीकृष्ण हमारी संस्कृति के एक अद्भुत एवं विलक्षण महानायक हैं जिनका जीवन चमत्कारों से भरा है। जिन्होंने जेल की एक अंधेरी कोठरी में जन्म लिया, लेकिन उनके राजनीतिक और जीवन दर्शन ने संपूर्ण जगत को रोशन किया है, जिन्होंने ज्ञान-कर्म-भक्ति का एक समन्वयवादी धर्म प्रवर्तित किया। वह कला, साहित्य और सभी रचनात्मक विधाओं एवं सृजनात्मक प्रवृत्तियों के स्वामी हैं। ऐसे महानायक का जन्मदिन आज हजारों वर्षो के बाद भी बिना सूचना, पत्रक, विज्ञापन के सबको याद रहता है, तो ऐसा होना भी चाहिए।
योगीराज भगवान श्रीकृष्ण के जन्म पर भक्तगण घरों में और मंदिरों में विशेष प्रकार की सजावट कर अपनी कलात्मक सुरुचि प्रदर्शित करते हैं। हम गर्व से कह सकते हैं कि आगरा में शिवहरे समाज की दोनों धरोहरों, मंदिर श्री दाऊजी महाराज और मंदिर श्री राधाकृष्ण में शिवहरे समाजबंधु जन्माष्टमी पर अपनी कल्पनाशीलता, रचनात्मकता और कलात्मक अभिरुचि प्रदर्शित भगवान श्रीकृष्ण के प्रति सच्ची आस्था व्यक्त करते हैं।
सभी जानते हैं कि भाद्रपद कृष्ण अष्टमी तिथि की घनघोर अंधेरी आधी रात को रोहिणी नक्षत्र में मथुरा के कारागार में वसुदेव की पत्नी देवकी के गर्भ से भगवान श्रीकृष्ण ने जन्म लिया था। इस बार यह शुभघड़ी 7 सितंबर को है। हर बार की तरह इस बार भी दोनों धरोहरों में फूलबंगले के बीच ठाकुरजी के अदभुत दर्शन होने वाले हैं। देर रात समाचार लिखे जाने तक दोनों धरोहरों में सजावट का कार्य चल रहा है।
एक दौर ऐसा भी था जब जन्माष्टमी पर लोहामंडी स्थित मंदिर श्री राधाकृष्ण की सजावट की पूरे आगरा में चर्चा रहती थी। उस दौर को लोग आज भी याद करते हैं। मंदिर की झांकियों को लेकर लोगों में ऐसा कौतुहुल और उत्सुकता रहती थी कि रात बारह बजे के बाद भी दर्शनार्थियों की लाइन लगी रहती थी। झांकियों के दर्शन तीन दिन तक चलते थे, और दूरदराज के गांव-कस्बों तक से लोग आते थे। झांकियों में अद्यतन टैक्नोलॉजी का प्रयोग होता था, और उस दौर के ज्वलंत मुद्दों पर युवाओं के प्रगतिशील सोच व दृष्टिकोण के दर्शन होते थे। आज आपको जानकर हैरानी हो सकती है कि श्री राधाकृष्ण मंदिर आगरा के उन पहले मंदिरों में है जहां जन्माष्टमी पर इलेक्ट्रिकल झांकियां सजती थीं। पहली इलेक्ट्रिकल सजावट की कमान नाई की मंडी निवासी स्व. श्री आनंद गुप्ता के संभाली थी।
वहीं सदर भट्टी चौराहा स्थित मंदिर श्री दाऊजी महाराज में जन्माष्टमी की सजावट की जिम्मा भी युवाओं के हाथों में रहता था। साठ के दशक में शिवहरे मित्र मंडल के वालेंटियर्स मंदिर को सजाते थे और उनका लक्ष्य ऐसी झांकियां तैयार करना रहता था जो सामाजिक मुद्दो और समाज सुधार के विषयों को संबोधित करती हों। बाद में इन झांकियों में तकनीकी का प्रभाव बढ़ता गया और भगवान श्रीकृष्ण के जीवन पर केंद्रित होती गईं। सात-आठ वर्ष पहले तक शिवहरे युवा मंडल के नौजवान इस जिम्मेदारी का निर्वहन करते रहे। नाई की मंडी के ये शिवहरे युवा मंदिर में अमरनाथ की गुफा के साथ ही अन्य शानदार झांकियं सजाते थे।
समय की बलिहारी है कि अब जन्माष्टमी का स्वरूप काफी बदल चुका है। बदलते आर्थिक परिवेश में युवा वर्ग के सामने करियर और बिजनेस का भारी दवाब है। रही बात आस्था और भक्ति की, तो कर्म का संदेश देने वाले भगवान श्रीकृष्ण तो इसी में संतुष्ट हैं कि उनके भक्त अपने कर्म में लीन हैं। पाप, लोभ, लालच से दूर रहना ही श्रीकृष्ण का धर्म है, और निस्वार्थ कर्म ही उनकी भक्ति।
इस बार सदरभट्टी चौराहा स्थित मंदिर श्री दाऊजी महाराज में जन्माष्टमी पर ठाकुरजी का विशेष फूलबंगला सजाया जाएगा। इसकी तैयारी एक दिन पहले से शुरू हो गई है। चांदी के हिंडोले में लड्डूगोपाल के अद्भुत दर्शन होंगे। दाऊजी मंदिर के नवनिर्मित धर्मशाला भवन में कमेटी के पदाधिकारियों, सदस्यों और समाजबंधुओं के लिए बैठकर मेल-मुलाकात करने की व्यवस्था रहेगी। मंदिर प्रबंध समिति के अध्यक्ष श्री बिजनेश शिवहरे ने बताया कि मंदिर में सायंकाल से ठाकुरजी के दर्शन शुरू हो जाएंगे, अर्धरात्रि को ठाकुरजी का अभिषेक किया जाएगा जिसके बाद प्रसाद वितरण होगा। उन्होंने सभी समाजबंधुओं से भगवान के दर्शन का लाभ लेने का अनुरोध किया है। वहीं लोहामंडी स्थित मंदिर श्री राधाकृष्ण में जन्माष्टमी की शाम पूरी तरह कृष्ण के रंग में रमी होगी। मंदिर प्रबंध समिति के अध्यक्ष श्री अरविंद गुप्ता ने बताया कि गत वर्ष की भांति इस बार भी मंदिर परिसर में फूलों की आकर्षक सजावट की गई। फूलों के हिंडोले में लड्डूगोपाल विराजमान रहेंगे, भगवान श्रीकृष्ण और राधारानी विशेष पोशाक और श्रृंगार में नयनाभिराम दर्शन देंगे। देर रात लड्डूगोपाल का अभिषेक किया जाएगा औऱ ठीक बारह बजे विशेष आरती के बाद प्रसाद वितरण होगा।
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