ग्वालियर।
मार्गशीर्ष माह की पूर्णिमा को दत्तात्रेय जयंती मनाई जाती है। दत्तात्रेय कलचुरी समाज के आराध्य राजराजेश्वर भगवान कार्तवीर्य सहस्त्रबाहु अर्जुन के गुरू थे, और उन्हें तंत्र विद्या में दीक्षित किया था। इस लिहाज से कलचुरी समाज के लिए यह दिवस गुरु पूर्णिमा के समान होता है। ग्वालियर के कलचुरी समाज ने महाराज बाड़े में दत्त मंदिर में दत्तात्रेय का प्राकट्योत्सव मनाया।
कलचुरी महासंघ ग्वालियर के मीडिया प्रभारी नरेंद्र राय कलार ने बताया कि 29 दिसंबर को दत्त मंदिर में आयोजित इस समारोह में सहस्त्रबाहु अर्जुन के गुरू श्री दत्तात्रेय भगवान की आरती और पूजा अर्चना की गई। इस अवसर पर केक भी काटा गया। इस दौरान कलचुरी महासंघ ग्वालियर के अध्यक्ष सतीश जायसवाल, हरिबाबू शिवहरे, राकेश शिवहरे, चंद्रप्रकाश शिवहरे, योगेश शिवहरे, दिनेश शिवहरे, विनोद शिवहरे, सोनू जायसवाल, हरिमोहन गुप्ता, जितेंद्र जायसवाल, आकाश शिवहरे, अरुणा गुप्ता, अर्चना जायसवाल, खुश्बू जायसवाल समेत समाजबंधु उपस्थित रहे।
भगवान दत्तात्रेय को सनातन धर्म के त्रिदेव ब्रह्मा, विष्णु, महेश का संयुक्त रूप माना जाता है। नाथ संप्रदाय के प्रवर्तकों में शामिल दत्तात्रेय ने वेद और तंत्र मार्ग को सम्मिलित किया था। दत्तात्रेय ने मुनि सांकृति को अवधूत मार्ग, नागार्जुन को रसायन विद्या और परशुराम को श्रीविद्या-मंत्र प्रदान किया था। उन्होंने गोरखनाथ को योगासन और शिवजी के पुत्र कार्तिकेय को भी अनेक विद्यायें प्रदान की थीं। खास बात यह है कि दत्तात्रेय भगवान बहुत बड़े वैज्ञानिक थे और उन्होंने रसायन शास्त्र में काफी शोध किया था। उन्हें पारा यानी मर्करी के माध्यम से वायुयान उड़ाने की प्रक्रिया ज्ञात थी।
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