ग्वालियर।
ग्वालियर में #sarinotsorrygwl और ‘जुगाड़ु’ जैसी अनूठी पहल करने वाली सोशल इंफ्लूएंसर श्रीमती रिचा शिवहरे को ‘चंबल गौरव रत्न-2023’ अवार्ड से नवाजा गया है। गत रविवार 8 जनवरी को ग्वालियर के बालभवन में राष्ट्रीय नारी सशक्तीकरण संघ (आरएनएसएस) के भव्य अवार्ड समारोह में ऊर्जा मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर ने उन्हें यह अवार्ड प्रदान किया। श्रीमती शिवहरे को सामाजिक औऱ पर्यावरण क्षेत्रों में उनके योगदान के लिए यह पुरस्कार दिया गया है।
चंबल संभाग के पूर्व कमिश्नर श्री अशोक शिवहरे (रिटायर्ड आईएएस) की पुत्रवधु रिचा शिवहरे ने शिवहरेवाणी से बातचीत में कहा कि अपने काम को पहचान मिलना ही हर किसी के लिए सुखद अनुभूति होती है। उन्होंने ऊर्जा मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर और आरएनएसएस के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री राजकुमार धाकड़ समेत सभी सम्मानित अतिथियों का आभार व्यक्त किया जिन्होंने उन्हें यह सम्मान प्रदान किया। बता दें कि श्रीमती रिचा शिवहरे को विभिन्न क्षेत्रों में योगदान के लिए पहले भी कई पुरस्कारों से नवाजा चुका है। एमबीए (एचआर एंड मार्केटिंग) रिचा शिवहरे को ##sarinotsorrygwl जैसे चर्चित अभियान को ग्वालियर में लोकप्रिय बनाने का श्रेय जाता है। उन्होंने व्हाट्सएप और फेसबुक के माध्यम से इस हैशटैग के साथ ग्वालियर में विभिन्न सामाजिक वर्गों और क्षेत्रों की घरेलू व कामकाजी महिलाओं को जोड़ा। स्कूल-कॉलेज के छात्राओं के बीच जाकर साड़ी जैसे पहनावे का सौंदर्यबोध उन्हें कराया।
जबलपुर के प्रतिष्ठित संदरिया ग्रुप ऑफ होटल्स एंड मॉल्स के चेयरमैन श्री प्रदीप चौकसे और श्रीमती अर्चना शिवहरे की पुत्री रिचा शिवहरे अपने ग्वालियर शहर को प्लास्टिक मुक्त बनाने के लिए ‘जुगाड़ु’ नाम से एक अन्य खास अभियान चलाए हुए हैं। हाल ही में उन्होंने अपने ग्रुप के सहयोग से प्लास्टिक की खाली बोतलों और कचरे से एमएलबी कॉलेज ग्राउंड में एक जुगाड़ु बेंच का निर्माण कराया है। इसमें इस्तेमाल हो चुकीं पानी की 200 खाली बोतलें और 100 किलो अनुपयोगी प्लास्टिक का उपयोग किया गया था।
रियल एस्टेट व्यवसायी वैभव शिवहरे की पत्नी रिचा शिवहरे एनजीओ के साथ मिलकर मूक-बधिर बच्चों के लिए भी काम काम कर रही हैं। इसके अलावा वह साल में एक बार साड़ियों की एग्जीबिशन भी लगाती हैं। इसके लिए हैंडलूम्स से साड़ियां खरीदती हैं और वाजिब रेट्स पर उपलब्ध कराती हैं। आठ साल के बेटे विराज और घर को संभालने के साथ वह इतना कुछ कर पाती हैं तो इसके लिए अपने सास-ससुर का खास आभार मानती हैं, जो उन्हें बेटी की तरह प्यार करते हैं और हर कदम पर सहयोग देते हैं।
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