आगरा।
आगरा में शिवहरे समाज की प्रमुख धरोहर मंदिर श्री दाऊजी महाराज में बुधवार को दाऊजी की पूर्णिमा का पर्व पूरी आस्था और श्रद्धा के साथ मनाया गया। पूरा मंदिर परिसर फूलों की सजावट से जगमगा उठा। शहनाई की धुन और ताशों की धमक के बीच श्रद्धालुओं ने दाऊजी के दर्शन कर माखन-मिश्री से उनका भोग लगाया। और, मंदिर प्रबंधन की ओर से स्वादिष्ट मोहन-बाटी का प्रसाद ग्रहण किया।
सुबह सात बजे से ही मंदिर के प्रवेश द्वार पर शहनाई शुरू हो गई, जिसके साथ ही दाऊजी और रेवती मैया के दर्शन के लिए श्रद्धालुओं का आगमन शुरू हो गया। ब्रजराज दाऊजी महाराज, रेवती मैया के साथ ही भगवान श्रीकृष्ण ने भी फूलबंगले में आकर्षक श्रृंगार-पोशाक के साथ भक्तों को दर्शन दिए। श्रद्धालुओं ने भगवान की पूजा अर्चना के साथ ही माखन-मिश्री का भोग चढ़ाया। मंदिर के पुजारी श्री राजू महाराज और श्री राजकुमार शर्मा ने प्रबंध समिति के कोषाध्यक्ष श्री संतोष गुप्ता से दाऊजी, माता रेवती और कृष्ण दरबार की पूजा अर्चना कराई जिसके बाद भक्तगणों को माखन-मिश्री से निर्मित स्वादिष्ट मोहन-बाटी का प्रसाद वितरित किया गया। इस अवसर पर मंदिर परिसर की सजावट देखते ही बन रही थी। पूरे मंदिर को फूलों से सजाया गया, विद्युत झालरों के साथ रंगीन लाइटें मंदिर परिसर के सौंदर्य में चार चांद लगा रहे थे। दोपहर तक भक्तों का तांता लगा रहा। शाम को विद्युत झालरों की चमक फूलों की सजावट को और भी आकर्षक बना रही थी।
मंदिर के पुजारी श्री राजकुमार शर्मा ने शिवहरेवाणी को बताया कि मार्गशीर्ष माह की पूर्णिमा को दाऊजी और रेवती मैया का विवाह हुआ था, इसलिए इस दिन को दाऊजी की पूनो के नाम से जाना जाता है। इस दिन सभी जगह भक्तगण दाऊजी और रेवती मैया को रजाई ओढ़ाते हैं, जो संदेश है कि सर्दी बढ़ गई है, इससे बचने का उपाय करो। मंदिरों में इस दिन शहनाई की मंगलधुन दाऊजी और रेवती मैया के विवाह के शुभअवसर का संकेत देती है। उन्होंने बताया कि कंस के वध के बाद भगवान श्रीकृष्ण गुजरात के द्वारिका चले गए थे और उनके बड़े भाई बलदाऊजी ब्रज के राजा बने। इसीलिए दाऊजी को ब्रजराज भी कहा जाता है। उन्होंने बताया कि ब्रज में दाऊजी की मान्यता इतनी है कि हर गांव में दाऊजी का छोटा ही सही, एक मंदिर अवश्य होता है।
खास बात यह है कि इस दिन माखन-मिश्री का भोग चढ़ाया जाता है जो भगवान श्रीकृष्ण और दाऊजी का पसंदीदा व्यंजन है। माखन मिश्री बहुत स्वादिष्ट होने के साथ ही बहुत पौष्टिक और स्वास्थ्यवर्धक व्यंजन होता है। अधिक जाड़ों में शरीर और त्वचा में चिकनाई की कमी हो जाता है जिसे माखन मिश्री के नियमित सेवन से कम किया जा सकता है। यह आंखों और मस्तिष्क के लिए बहुत लाभकारी है, साथ ही मुंह के छालों में भी लाभदायक होता है।
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