शिवहरे वाणी नेटवर्क/एजेंसी
पोचेफ्स्ट्रूम/भदोही।
आईसीसी अंडर 19 क्रिकेट वर्ल्ड कप के सेमीफाइनल मुकाबले में यशस्वी जायसवाल के शानदार शतक की बदौलत टीम इंडिया ने पाकिस्तान दस विकेट से रौंद दिया। यशस्वी ने एक विकेट भी लिया। इस जीत के साथ ही भारत फाइनल में पहुंच गया है। यशस्वी पिता ने इस मुकाबले में बेटे से शतक की इच्छा जाहिर की थी, और होनहार बेटे ने छक्का लगाकर उनकी इच्छा को पूरा कर दिया। मैदान से पैवेलियन लौट रहे शतकवीर के चेहरे पर सिर्फ जीत की खुशी ही नहीं थी, बल्कि पिता की इच्छा पूरी कर देने की शान भी झलक रही थी। उधर, यशस्वी के शहर भदोही में भी उनकी शानदार पारी का जश्न मनाया जा रहा है।
सेमीफाइनल मुकाबले से पहले यशस्वी के पिता भूपेंद्र जायसवाल ने बेटे से शतक की मांग की थी। भदोही में छोटी सी दुकान चलाने वाले भूपेंद्र जायसवाल ने कहा था, 'मैंने यशस्वी से कहा है कि टीम पाकिस्तान के खिलाफ जीत हासिल करे और मैच में शतक बनाएं।' भूपेंद्र ने मीडिया से बातचीत करते हुए कहा, 'यशस्वी ने कड़ी मेहनत की है और मैं चाहता हूं कि वो भारतीय टीम में जगह बनाकर देश को अपने प्रदर्शन से गौरवान्वित करें।' पिता का यह बयान मैच शुरू होने से ठीक पहले चर्चा में आ गया। और, यशस्वी ने वह कर भी दिखाया।
पाकिस्तान की टीम 43.1 ओवर में महज 172 रन ही बना सकी। जवाब में यशस्वी जायसवाल और दिव्यांश सक्सेना की सलामी जोड़ी ने 35.2 ओवर में ही जीत हासिल कर ली। दिव्यांश सक्सेना ने नाबाद 59 रन बनाए। अब आईपीएल के अगले सीजन भी यशस्वी की बल्लेबाजी का जौहर देखने को मिलेगा। यशस्वी राजस्थान रॉयल्स की ओर से खेलेंगे। प्रीती जिंटा की राजस्थान रायल्स ने उन्हें 2.4 करोड़ रुपये में हायर किया है।
यशस्वी जायसवाल उन लोगों के लिए मिसाल है जो गरीबी और कम संसाधनों का रोना रोते हैं। यशस्वी ने महज 11 साल की उम्र में अपना शहर भदोही और अपना घर छोड़ दिया था और क्रिकेटर बनने मुंबई आ गए थे। यहां मुंबई में उनका नाम उस समय मीडिया में छा गया, जब महान क्रिकेटर सचिन तेंदुलकर ने उसे मिलने के लिए अपने घर बुलाया और बल्लेबाजी के कुछ गुर भी दिए। लेकिन इस मुकाम तक पहुंचने के लिए यशस्वी ने क्या नहीं किया। उसे गोलगप्पे बेचने पड़े, दूध की डेयरी में काम किया, रामलीला में चाय बेची, टेंट में रहकर दिन गुजारे लेकिन क्रिकेटर बनने के अपने सपने का पीछा करना नहीं छोड़ा। संघर्ष और सफलता की यह पूरी दास्तान शिवहरे वाणी पर पहले भी प्रकाशित हुई है।
संघर्ष के दिनों में यशस्वी ने कभी अपने पिता भूपेंद्र और मां कंचन को नहीं बताया, क्योंकि अगर उन्हें पता चलता तो वो उसे मुंबई से वापस बुला लेते और उनके क्रिकेटर बनने का सपना टूट जाता, जो उसके पिता का भी सपना था। भूपेंज्र जायवाल खुद भी भारत की अंडर-19 टीम में दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ खेल चुके हैं, लेकिन टीम इंडिया के लिए खेलने का उनका सपना पूरा नहीं हो पाया था।
यशस्वी ने एक इंटरव्यू में संघर्ष के दिन याद करते हुए कहा था, 'राम लीला के समय मेरी अच्छी कमाई हो जाती थी। मैं यही दुआ करता था कि मेरी टीम के खिलाड़ी वहां न आएं लेकिन कई खिलाड़ी वहां आ जाते थे, तब मुझे बहुत शर्म आती थी। मैं हमेशा अपनी उम्र के लड़कों को देखता था। वो घर से खाना लाते थे। मुझे तो ख़ुद बनाना था और ख़ुद ही खाना था। दोपहर और रात का खाना टेंट में मिलता था इसके अलावा नाश्ता दूसरों के भरोसे होता था। टेंट में मैं रोटियां बनाता था। वहां बिजली नहीं थी इसलिए हर रात कैंडल लाइट डिनर होता था।' इतने संघर्षों के बावजूद इस खिलाड़ी ने पहले मुंबई की टीम में जगह बनाई. वो इंडिया की अंडर 19 टीम में शामिल हुए और अब उन्होंने अपने बल्ले से अंडर 19 वर्ल्ड कप में कोहराम मचा दिया है। इस टूर्नामेंट में उन्होंने अब तक पांच मैच खेले हैं, जिनमें तीन में वे अर्धशतक लगा चुके हैं, जबकि पाकिस्तान के खिलाफ उन्होंने बेहतरीन शतक जड़ा।
इस टूर्नामेंट में यशस्वी के बल्ले से ऐसे रन निकले हैं.
– श्रीलंका के खिलाफ 74 गेंद पर 59 रन ( 8 चौके)।
– जापान के खिलाफ 18 गेंद पर नाबाद 29 रन (5 चौके, 1 छक्का)।
-न्यूजीलैंड के खिलाफ 77 गेंद पर नाबाद 57 रन (4 चौके, 2 छक्के)।
– क्वार्टर फाइनलः ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ 82 गेंदों पर 62 रन (6 चौके, 2 छक्के)।
-सेमीफाइनलः पाकिस्तान के खिलाफ 113 गेंदों पर 105 रन ।
समाचार
Desh Ka Beta…यशस्वी जायसवाल ने पूरी की पिता की इच्छा..सेमीफाइनल शतक जड़कर पाकिस्तान को रौंदा
- by admin
- October 29, 2016
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- 8 years ago
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