शिवहरे वाणी नेटवर्क
कोलकाता।
कोलकाता के सिद्धार्थ जायसवाल ने बीती 30 नवंबर को बेंगलुरु में आयोजित एशिया पेसिफिक बॉडी बिल्डिंग चैंपियनशिप में गोल्ड मैडल हासिल किया है। स्पर्धा में उनका मुकाबला आस्ट्रेलिया, दक्षिण अफ्रीका और कई अन्य देशों के चैंपियन बॉडी बिल्डर्स से था लेकिन सिद्धार्थ फ्रंट, बैक, साइड और ओवरऑल पोजिंग राउंड्स मे सभी प्रतिस्पर्धियों पर भारी पड़े।
एक बिजनेसमैन से बॉडी बिल्डर बनने का सिद्धार्थ का सफर काफी रोचक रहा है, और उन तमाम लोगों के लिए मिसाल है जो एक स्वस्थ औऱ सुडौल शरीर तो चाहते हैं लेकिन इंद्रियों के मोहपाश से खुद को मुक्त नहीं कर पाते। सिद्धार्थ जायसवाल ने शिवहरेवाणी से बातचीत में कहा कि बॉडी बिल्डिंग किसी साधना से कम नहीं है, क्योंकि यह एक्सरसाइज के साथ इच्छाओं पर नियंत्रण रखने का भी मामला है। खासकर कंप्टीटिव लेवल पर यह तपस्या और कठिन हो जाती है क्योंकि इस दरम्यान खानपान के तमाम नियंत्रणों के साथ एक्सरसाइज का लेवल लगातार बढ़ाना होता है।
वह बताते हैं कि स्पर्धा के एक महीने पहले से ही उन्होंने चाय और चावल बिल्कुल त्याग दिए थे। आखिरी दो सप्ताहों में उन्होंने केवल उबली डाइट ली। इसके बाद अंतिम पांच दिन नमक का सेवन बंद कर दिया। और स्पर्धा से पहले के दो दिन यानी 28 नवंबर से 30 नवंबर तक पानी त्याग दिया। इस दौरान बमुश्किल आधा लीटर पानी का सेवन किया होगा। वजह यह है कि शरीर में पानी की मात्रा कम होने से बॉ़डी के कट्स और मसल्स को उभारना आसान हो जाता है।
अखिल भारतीय जायसवाल (सर्ववर्गीय) महासभा के प्रदेश अध्यक्ष (पश्चिम बंगाल), सामाजिक चिंतक और समाजसेवी श्री सतीश जायसवाल के पुत्र सिद्धार्थ जायसवाल 15 वर्ष पहले हैदराबाद से एमबीए करके लौटे, तो पिता के बिजनेस को आगे बढ़ाना ही उनका सपना था। मुख्य प्रबंधक के रूप में अपनी फर्म नेशनल एरकन के बिजनेस को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया। बॉडी बिल्डर बनने का तो ख्वाब में भी नहीं सोचा था। अलबत्ता सुबह-सुबह जिम करना शुरू से उनके डेली रूटीन में था।
करीब दस वर्ष पहले जिम के साथियों की सलाह और धर्मपत्नी श्रीमती सोनम बालुजा जायसवाल के इसरार ने उन्हें प्रेरित किया। पश्चिम बंगाल के पीडब्लूडी इलेक्टिकल डिपार्टमेंट से जुड़े अपने बिजनेस के व्यस्त शेड्यूस से सुबह-शाम का वक्त निकालकर जिम जाना और वहां पसीना बहाना उनका रोज का शगल बन गया। एक्सरसाइज और डाइट प्लान के साथ अपने शरीर को एब्स, बाइसेप्स, ऑब्लीग्स, विंग्स समेत सभी स्टैंडर्ड्स पर तैयार किया।
बीते वर्ष दिसंबर में ऊटी में हुए नेशनल लेवल कंप्टीशन में उन्होंने सिल्वर मैडल जीता, और इसके बाद कोलकाता में इंटरनेशनल बॉडी पॉवर कंप्टीशन में भी सिल्वर मैडल हासिल किया। इन सफलताओं ने उन्हें और प्रेरित किया। अब 39 वर्ष की आयु में बेंगलुरू में उन्हें बड़ी कामयाबी हासिल हुई है जिस पर उनका पूरा परिवार नाज कर सकता है।
सिद्धार्थ अपनी सफलता का श्रेय अपने पिता श्री सतीश जायसवाल और मां स्व. श्रीमती रैना जायसवाल को देते हैं, जिन्होंने
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