शिवहरे वाणी नेटवर्क
सिवनी।
एक और बेटी ने अपने परिवार और कलचुरी समाज को गौरवान्वित किया है। मध्य प्रदेश के सिवनीमालवा के एक साधारण कलचुरी परिवार की बेटी शिखा मालवीय का चयन सिविल जज के पद पर हो गया है। श्री राम बाबू मालवीय एवं श्रीमती उषा मालवीय की होनहार पुत्री शिखा की कामयाबी बताती है कि धैर्य के साथ किए गए सतत प्रयास ही सफलता की गारंटी है।
मध्य प्रदेश हाई कोर्ट, जबलपुर द्वारा संचालित सिविल जज परीक्षा के अंतिम परिणाम बीती 12 जनवरी को घोषित किए गए जिसमें शिखा का नाम पाकर पूरे परिवार में खुशियां दौड़ गईं। मित्रों, रिश्तेदारों और शुभचिंतकों की ओर से बधाई मिलने का सिलसिला अब तक जारी है।
शिखा के साथ ही उनके पति लोकेश दुबे को भी बधाइयां मिल रही हैं, जिन्होने अपनी पत्नी को मंजिल पर पहुंचाने के लिए हर कदम पर साथ दिया।
शिखा मालवीय पढ़ाई में शुरू से ही होनहार रहीं। उन्होंने हायर सेकेंडरी की शिक्षा सिवनीमालवा स्थित बेथल स्कूल से की थी। इसके बाद इंदौर के देवी अहिल्या विश्वविद्यालय से में बीए एलएलबी और फिर एलएलएम किया। दोनों ही पाठ्यक्रमों में उन्होंने विश्वविद्यालय टॉप किया।
विधि शिक्षा में शानदार उपलब्धि के लिए मध्य प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल और लोकसभा अध्यक्ष एवं इंदौर की भाजपा सांसद सुमित्रा महाजन ने उन्हें गोल्ड मैडल प्रदान किया था।
एलएलएम की पढ़ाई के बाद शिखा मालवीय का विवाह लोकेश दुबे से हो गया जो खुद भी बहुत होनहार वकील हैं। वर्तमान में वह सुप्रीमकोर्ट में सीनियर काउंसल होने के साथ ही कई बड़ी लॉ कंपनियों और संस्थाओं को सेवाएं दे रहे हैं। वह राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग से भी जुड़े हुए हैं।
लोकेश ने ही शिखा मालवीय के सिविल जज बनने के सपनों को पंख लगाने का कार्य किया। शिखा ने विवाह के बाद भी परीक्षा की तैयारी जारी रखी, दिल्ली मे कोचिंग भी ली और अंततः मंजिल पा ही ली।
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