आगरा।
आज के दौर में अपने बच्चों के रिश्ते तय करना आसान नहीं रहा। एक दौर संयुक्त परिवारों का भी था जिसमें परिवार के मुखिया पर अपने बच्चों, भतीजे-भतीजियों या नाती-नातिन के लिए रिश्ते तलाशने की जिम्मेदारी हुआ करती थी। उस सच्चे दौर में मुखिया को ज्यादा भागदौड़ भी नहीं करनी पड़ती थी, रिश्तेदारों के जरिये 100-200 किलोमीटर के दायरे में अच्छे रिश्ते मिल ही जाते थे। तब अपेक्षायें ज्यादा नहीं थी, पारिवारिक पृष्ठभूमि और प्रतिष्ठा के आधार पर रिश्ते तय होते थे। रिश्ते बनाना पुण्य का काम समझा जाता था।
लेकिन, अब वैसा नहीं है। अस्सी के दशक में शिक्षा के तीव्र प्रसार के साथ समाज की स्थितियां भी बदलने लगीं। पढ़-लिखकर युवा अच्छी नौकरियों के लिए या व्यापार के लिए दूर-दराज जाने लगे। संयुक्त परिवार की अवधारणा को ठेस लगी। परिवार के सदस्यों में दूरी के चलते सौहार्द्र का ह्रास हुआ, आर्थिक संकोच ने लोगों को आत्मकेंद्रित बना दिया। और, पढ़े-लिखे युवक-युवतियों के लिए सुयोग्य जीवनसाथी की तलाश एक समस्या बनती गई। आज स्थिति यह है कि लोग अपने करीबी रिश्तेदारों के बच्चों तक के लिए रिश्ते बताने से कतराते हैं। एक तो उनके पास ‘झंझट’ में पड़ने का टाइम नहीं है, और दूसरे रिश्ते में किसी गड़बड़ी या ऊंच-नीच होने का भय क्योंकि वे खुद समाज से इतने कटे हुएं हैं कि जिसका प्रस्ताव दे रहे हैं, उसका सच जानने के सूत्र उनके पास नहीं। ऐसे में रिश्ते बनाने का काम अब दलालों के हाथ में आ गया है जिन्हें सिर्फ अपनी छब्बी से मतलब होता है। और, इसके लिए वे कुछ भी करने से नहीं चूकते।
एक बानगी देखिए… आगरा के एक शिवहरे परिवार का ताजा किस्सा है। इस परिवार की योग्य बेटी के लिए रिश्ते की बात चली जयपुर के एक संपन्न और प्रतिष्ठित परिवार के बेटे के लिए। बात लगभग सिरे चढ़ चुकी थी। लड़की वालों ने अपने पंडितजी को इस बारे में जानकारी दी, जो पहले से उनकी बेटी के लिए रिश्ता तलाश रहे थे। छब्बी मारी जाते देख पंडितजी ने बामन बुद्धि भिड़ाई और जयपुर वाली पार्टी के बारे मे कुछ ऐसी मनगढ़ंत बाते कह डालीं जिसे सुन लड़की वालों का मन बदल गया और उन्होंने जयपुर से रिश्ते की बात तोड़ दी। उधर रिश्ते की बात टूटते ही पंडितजी ने तत्परता से अपने एक अन्य जजमान की बेटी का रिश्ता जयपुर के उसी लड़का से करा दिया। आगामी नवंबर में जयपुर में शादी है।
Download Form:
https://www.shivharevaani.com/dist/Shivharevaani-Sammelan-form.pdf
अपने बच्चों के रिश्ते के लिए माता-पिता को परेशान होते देख शिवहरेवाणी ने विवाहयोग्य युवक-युवती परिचय सम्मेलन कराने का निर्णय लिया है। शिवहरे समाज आगरा के सहकार में आगामी 19 नवंबर को सूरसदन में होने वाले इस परिचय सम्मेलन में अधिक से अधिक विवाहयोग्य युवाओं को एक मंच पर लाकर उन्हें अपना परिचय स्वयं देने के लिए प्रेरित किया जाएगा। क्योंकि, परिचय की खास बात यह होती है कि यह दो समान विचार वाले लोगों को तत्काल आपस में मिलाता है जहां से उनके बीच एक रिश्ते की नींव पड़ती है। परिचय सम्मेलन में शिवहरे, जायसवाल, राय, चौकसे, गुलहरे, परनामी, पोरवाल, मेवाड़ा, पारेता, सुवालका, कर्णवाल, वालिया, अहलुवालिया समेत कलार-कलवार समाज के सभी वर्गों के युवाओं को शामिल किया जाएगा, ताकि अभिभावकों को अपने बच्चों के लिए सुयोग्य जीवनसाथी के अधिकतम विकल्प मिल सके। परिचय सम्मेलन के लिए युवक-युवतियों का पंजीकरण पूरी तरह निःशुल्क रहेगा। पंजीकरण फार्म जारी कर दिए गए हैं। परिचय सम्मेलन में देशभर में कहीं से भी कलार-कलवार युवक-युवती भाग ले सकते हैं। हालांकि फोकस आगरा के साथ पड़ोसी फिरोजाबाद, इटावा, भिंड, मुरैना, ग्वालियर, शिवपुरी, झांसी और धौलपुर के समाज पर रहेगा। इन जिलों में समाज की स्थानीय इकाइयों को भी अपने यहां से अधिकतम भागीदारी के लिए प्रेरित किया जाएगा। इसी क्रम में एक बैठक फिरोजाबाद के शिवहरे समाज के साथ 3 अगस्त को शाम चार बजे शिवम रेस्टोरेंट में होने जा रही है।
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