November 23, 2024
शिवहरे वाणी, D-30, न्यू आगरा, आगरा-282005 [भारत]
समाचार

लालबाग के राजा का कलचुरी शिवहरे कनेक्शन…नर सेवा ही नारायण सेवा

शिवहरे वाणी नेटवर्क
मुंबई।
मुंबई में गणेशोत्सव के पवित्र दिनों में सबसे ज्यादा चर्चा में रहते हैं लालबाग के राजा। यह दक्षिण मुंबई में स्थित सबसे प्रसिद्ध गणेश मंडल में से एक हैं। 84 साल से स्थापित किए जा रहे लालबाग के राजा के बारे में प्रसिद्ध है कि यह गणेश जी हर प्रकार की मनोकामना पूर्ण करते हैं। बड़े-बड़े सेलिब्रिटी यहां दर्शन को आते हैं। हर बार की तरह इस बार भी श्रद्धालुओं को दर्शन के लिए घंटों लाइन में लगना पड़ रहा  है। इंतजार के इन मुश्किल घंटों में श्रद्धालुओं को सेवा प्राप्त होती है वहां के जाने-माने उद्योगपति श्री ओपी गुप्ता (शिवहरे) की। लाखों श्रद्धालुओं के लिए लाइन में ही चाय, बिस्कुल और पानी का इंतजाम उपलब्ध कराने का काम उन्हीं की देखरेख औऱ संयोजन में चलता है। 

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लालबाग में ही पीएम इंडस्ट्रीज और ओम इंडस्ट्रीज के नाम से दो औद्योगिक इकाइयां संचालित करने वाले श्री ओपी गुप्ता (शिवहरे) पिछले दस वर्षों से लालबाग के राजा की सेवा इसी तरह कर रहे हैं। वह लालबाग के राजा की सेवा के लिए गठित संस्था नारायण उद्योग भवन के अध्यक्ष हैं जिसमें उस क्षेत्र के कई उद्योगपति और व्यापारी शामिल हैं। लालबाग के राजा के पंडाल में इस संस्था की ओर से प्रतिदिन एक लाख से अधिक चाय और एक लाख से अधिक बिस्कुल के पैकेट वितरित किए जाते हैं। पानी की डिमांड इससे अधिक रहती है।

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बीते दिनों शिवहरे वाणी के उपसंपादक अतुल शिवहरे मुंबई गए तो लालबाग के दर्शन के लिए उन्हें भी लाइन में लगना पड़ा। उन्होंने देखा कि कुछ लोग लगातार पानी, चाय और बिल्कुल लेकर उनके और लाइन में लगे अन्य लोगों के पास आ रहे थे और उन्हें ग्रहण करने का विनम्र आग्रह कर रहे हैं। उनसे पूछताछ में अतुल शिवहरे को नारायण सेवा भवन के बारे में पता चला। संस्था के लोगों का आभार व्यक्त करने इच्छा लेकर वह पास ही लगे नारायण सेवा भवन के पंडाल में पहुंचे, जहां उनकी मुलाकात श्री ओपी गुप्ता (शिवहरे) से हुई। बातों-बातों में पहले यह जानकारी मिली कि श्री ओपी गुप्ता का आगरा से भी संबंध है और फिर यह कि वह कलचुरी हैं, शिवहरे हैं। 

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श्री ओपी गुप्ता मूल रूप से इटावा के कामैद गांव के रहने वाले हैं। उनके पिता स्व. श्री झुम्मकलाल गुप्ता ने मुंबई में फल व्यवसाय शुरू किया था। 1957 में जब श्री ओपी गुप्ता कक्षा 4 में थे, तो परिवार भी मुंबई आ गया। श्री ओपी गुप्ता ने मुंबई में ही रहकर आगे की पढ़ाई की और इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग की। उनका विवाह आगरा में नाई की मंडी स्थित हल्का मदन में रहने वाले स्व. श्री लज्जाराम शिवहरे की पुत्री उमा देवी से हुआ। 

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इलेक्ट्रिकल इंजीनियर के तौर पर पहले उन्होंने जॉब की लेकिन जल्द ही अपना काम शुरू कर दिया। उन्होंने मुंबई में चलने वाले लोकल ट्रेन के इंजनों का रखरखाव करने वाली एक कंपनी के लिए स्टेपडाउन ट्रांसफार्मर बनाने का काम किया। ये ट्रांसफार्मर 50, 100, 150 किलो तक का होता है। कंपनी इन ट्रांसफार्मरों को टैंकिंग, ऑयलिंग और टेस्टिंग के बाद रेलवे को सप्लाई करती है। अब उनके पुत्र राजीव गुप्ता ने काम को आगे बढ़ाते हुए सेंट्रल, वेस्टर्न और वेस्ट-सेंट्रल रेलवे के लिए एयरकंडीशन्स कोचों के मरम्मत, रखरखाव का कार्य अपनी कंपनी द्वारा शुरू किया है। 

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तमाम व्यस्तताओं के बाद भी गणेश महोत्सव के दौरान लालबाग का राजा के दर्शन के लिए आने वाले श्रद्धालुओं की सेवा करने में श्री ओपी गुप्ता कभी पीछे नहीं रहे हैं। वह पिछले दस साल से यह काम नारायण उद्योग भवन संस्था के माध्यम से कर रहे हैं। इन दिनों में उनकी प्रतिदिन सुबह की शुरुआत श्रद्धालुओं की आवश्यकता के अनुरूप चाय, बिस्कुट के पैकेट और पानी की पूरी व्यवस्था करने से होती है। इसके बाद अधिक से अधिक समय लालबाग के राजा के पास संस्था के पंडाल में रहते हैं। श्री ओपी गुप्ता अपने परिवार के साथ शिवाजीनगर में रहते हैं जो लालबाग से 7 किलोमीटर दूर है। उनकी दोनों फैक्ट्रियां लालबाग में ही हैं। श्रद्धालुओं की सेवा में उनके कर्मचारी भी श्रमसेवा देते हैं। 

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जैसा कि सभी जानते हैं कि लालबाग का राजा के गणेशजी के बारे में मान्यता है कि वह मनोकामना पूर्ण करते हैं। हालांकि यह मान्यता पिछले 8-10 वर्षों में ही बनी है। तब से यहां भारी संख्या में लोग उमड़ने लगे हैं। हालांकि श्री ओपी गुप्ता (शिवहरे) इन बातों पर अलग सोच रखते हैं। वह स्वयं भी धार्मिक प्रवृत्ति के हैं लेकिन ऐसी मान्यताएं को समझ से परे मानते हैं। शिवहरे वाणी से बातचीत में उन्होंने तर्क दिया कि परमात्मा  तो वास्तव में क्रोध, मान, माया, लोभ..और ऐसे सभी भावों से रहित है। ईश्वर संसार के सर्वजगत के प्रति कल्याण का भाव होता है। उनके ह्रदय में सबके लिए प्रेम, करुणा, दया और आनंद है, किसी के प्रति कोई राग नहीं है। यह समभाव ही ईश्वर का वास्तविक भाव है। लेकिन, समझने वाली बात यह है कि ईश्वर तो संसार की सारी चीजों को त्याग चुका है,  इसीलिए ईश्वर है। और, भक्तगण उस ईश्वर के पास संसार मांगने आते हैं। जबकि, हमें ईश्वर से वो मांगना चाहिए जो उसके पास है। हम मनुष्यों को ईश्वर से शांति, आनंद, मंगल और उनकी कृपा की इच्छा व्यक्त करनी चाहिए। 

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