शिवहरे वाणी नेटवर्क
दमोह।
आइये इस सावन में फिर हरियाली की बात करते हैं। प्रदूषण की समस्या से हम तभी निजात पा सकते हैं, जब प्रत्येक राष्ट्र, समाज और व्यक्ति पर्यावरण संरक्षण को अपना कर्तव्य मानते हुए इस दिशा में प्रयास करे। दमोह के विशाल शिवहरे और उनके दोस्तों की दास्तान इसी की जीती-जागती मिसाल है। विशाल शिवहरे के संयोजन में चंद दृढ़-प्रतिज्ञ युवाओं की पहल मिशन ग्रीन दमोह ने इस ऐतिहासिक नगरी की पथरीली धरती पर हरियाली बिखरने का काम किया है।
वर्ष 2016 के जुलाई माह के बाद शुरू हुए इस अभियान के तहत दमोह में 50,000 से अधिक पौधे रौंपे जा चुके हैं और इनमें हजारों पौधे अब पेड़ों का रूप ले चुके हैं। शिवहरे वाणी से बातचीत में विशाल शिवहरे ने बताया कि मध्य प्रदेश शासन के वित्त मंत्री श्री जयंत मलैया के पुत्र सिद्धार्थ मलैया के निर्देशन में चल रहे इस मिशन के टीम प्रमुख मनीष तिवारी हैं। मिशन के तहत पौधारोपण के लिए 60 स्थलों का चयन किया गया, जहां पौधे लगाए गए। खास बात यह है कि चंद युवाओं की इस पहल से दमोह की पब्लिक इस तरह जुड़ी, कि इसने देखते ही देखते एक अभियान का रूप ले लिया। खास बात यह है कि स्कूली बच्चों की भागीदारी ने अभियान को गति प्रदान की और आज दो साल के अंदर हजारों पेड़ों का सौंदर्य दमोह की प्राकृतिक छटा में चार चांद लगा रहा है।
विशाल शिवहरे ने बताया कि वैज्ञानिक दृष्टिकोण ही हमारे मिशन ग्रीन दमोह की कामयाबी का मूलमंत्र है। मसलन, हमने पहले एक तकनीकी समिति का गठन किया। स्थानीय नर्सरी विशेषज्ञों के साथ ही बाहर से हॉर्टीकल्चर स्पेशलिस्ट बुलाए गए, जिन्होंने 60 स्थलों का चयन कर उनका डिजाइन तैयार किया। उनकी मिट्टी की जांच के उपरांत उसके अनुकूल प्रजातियों के सामान्य एवं विकसित पौधे लगाए गए।
विशाल शिवहरे के मुताबिक, विकसित पौधे लगाने के पीछे विजन यह है कि इससे काम लगभग आधी लागत में हो जाता है। मसलन हाईब्रिड पौधों की कीमत करीब 50 रुपये प्रति पौध आती है और उसे पेड़ बनाने तक ट्री-गार्ड से लेकर अन्य कार्यों में आने वाला खर्च करीब 1500 रुपये आता है और इसमें तीन साल का वक्त लग जाता है। विकसित पौधों से तीन साल की बचत के साथ ही खर्च भी लगभग आधा आ जाता है। यही वजह से 2016 में रौंपे गए कई विकसित पौधो आज 25-30 फुट ऊंचे छायादार पेड़ों में तब्दील हो चुके हैं। दमोह के कई दफ्तरों, स्कूलों, कालेजों, सार्वजनिक स्थलों, पार्कों, धार्मिक स्थलों, बाग-बगीचों में आज मिशन ग्रीन दमोह के तरह अब तक साढ़े चार हजार विकसित पौधे लगाए जा चुके हैं, जिनमें से साढ़ तीन हजार पौधे अब पेड़ बन चुके हैं और अपनी हरियाली की छटा बिखेरकर शहरवासियों को स्वच्छ हवा दे रहे हैं। इसके अलावा, शहर के स्कूलों में जाकर बच्चों को इस अभियान से जोड़ा और उन्हें अब तक 30.000 पौधे वितरित किए जा चुके हैं, जिन्हें उन्होंने अपने आंगन, बगीचे, मंदिर या पार्कों में रौंपा।
कुल मिलाकर दमोह में हरियाली की यह दास्तान बताती है कि इच्छाशक्ति और संकल्प दृढ़ हो तो हर समस्या का समाधान संभव है। मिशन ग्रीन दमोह की सबसे बड़ी सफलता यह है कि इसने दमोह में पर्यावरण प्रेमियों की एक फौज खड़ी कर दी है जो अपने शहर को हरा-भरा बनाने लिए दीवानी है। इस मिशन ने प्रकृति प्रेम की कई रोचक कहानियां रची हैं।
मिशन के संयोजक विशाल शिवहरे को भरोसा है कि ऐतिहासिक धरोहरों और प्राकृतिक सौंदर्य के लिए अपनी विशेष पहचान रखने वाला दमोह शहर जल्द ही अपनी हरियाली के लिए भी जाना जाएगा। विशाल शिवहरे पेशे से व्यवसायी हैं और हरियाली के इस मिशन में उनकी धर्मपत्नी श्रीमती रीना शिवहरे भी बढ़-चढ़कर भागीदारी कर रही हैं।
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