November 23, 2024
शिवहरे वाणी, D-30, न्यू आगरा, आगरा-282005 [भारत]
शिक्षा/करियर

गोलगप्पे बेचने वाले यशस्वी जायसवाल के शतक जूनियर टीम इंडिया जीती

शिवहरे वाणी नेटवर्क
आगरा। 
मुंबई में कभी गोलगप्पे बेचकर गुजारा करने वाले और टैंट में रात गुजारने वाले 17 वर्षीय यशस्वी जायसवाल ने अंडर-19 क्रिकेट में श्रीलंका के खिलाफ नाबाद 114 रन ठोककर टीम इंडिया को शानदार जीत दिलाई। सलामी बल्लेबाज यशस्वी ने 128 गेंदों पर आठ चौके और तीन छक्के लगाए। मेजबान श्रीलंका ने नौ विकेट पर 212 रन का स्कोर बनाया, जिसे टीम इंडिया ने 42.4 ओवर में दो विकेट खोकर हासिल कर लिया। इसी के साथ टीम इंडिया पांच वनडे मैचों की सीरीज 3-2 से जीत ली। 
यशस्वी जायसवाल के इस प्रदर्शन ने एक बार फिर साबित कर दिया कि संघर्ष करने वालों की कभी हार नहीं होती है। बीते दिनो सचिन तेंदुलकर ने यशस्वी के संघर्ष को सुना तो बहुत प्रभावित हुए। उन्होंने यशस्वी को अपने घर बुलाकर मुलाकात की। इस दौरान यशस्वी को कवर ड्राइव समेत कई शॉट्स को लेकर महत्वपूर्ण टिप्स दीं। जो शायद श्रीलंका के खिलाफ इस इनिंग में काम आई। फिलहाल अपने संघर्ष के सहारे यशस्वी अब अपने सपने को साकार करने के करीब पहुंच गया है। आज उसे ही नहीं, पूरे देश को भरोसा है कि वह टीम इंडिया की टीम में खेलेगा। 
यशस्वी यूपी के भदोही का रहने वाला है। उसके पिता भूपेंद्र कुमार जायसवाल साधारण पेंट व्यवसायी हैं।  देश के लिए क्रिकेट खेलने की तमन्ना मे यशस्वी महज 10 साल की उम्र में मुंबई चले गए। मुंबई में यशस्वी के चाचा का घर इतना बड़ा नहीं था कि वो उसे साथ रख सकें। लिहाजा यशस्वी ने एक डेयरी में काम किया और वहीं सोता था लेकिन बाद में वहां से उसे भगा दिया गया। महज 11 साल की उम्र में आ पड़ा मुश्किल वक्त भी उसने देश के लिए क्रिकेट खेलने के अपने सपने के सहारे झेला।
इसके बाद चाचा ने मुस्लिम यूनाइटेड क्लब से अनुरोध किया कि वो यशस्वी को टेंट में रहने की इजाज़त दें। यशस्वी तीन साल मुस्लिम यूनाइटेड क्लब के गार्ड के साथ टेंट में रहा। पूरी कोशिश यही होती कि मुंबई में उनकी संघर्ष से भरी ज़िंदगी की बात मां-बाप तक नहीं पहुंचे. अगर उनके परिवार को पता चलता तो क्रिकेट करियर का वहीं अंत हो जाता। उनके पिता कई बार पैसे भेजते लेकिन वो कभी भी काफी नहीं होते. राम लीला के समय आज़ाद मैदान पर यशस्वी ने गोल-गप्पे भी बेचे। लेकिन इसके बावजूद कई रातों को उन्हें भूखा सोना पड़ता था।
 

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