January 31, 2025
शिवहरे वाणी, D-30, न्यू आगरा, आगरा-282005 [भारत]
वुमन पॉवर

युवा शक्ति….सृष्टि शिवहरे ने इस तरह अचलेश्वर महादेव मंदिर को बनाया हाइटेक, तैयार किया भगवान का डाइट चार्ट

शिवहरे वाणी नेटवर्क
ग्वालियर। 
नई सोच, सृजनात्मकता और ऊर्जा …ये शक्तियां युवाओं के पास होती हैं। इन्हीं शक्तियों के बल पर युवाओं ने हमेशा बदलाव की अगुवाई की है। विश्व का इतिहास इसकी गवाही देता है। हर क्रांति, हर परिवर्तन के पीछे दअसल युवाओं की सोच ही रही है।  युवाओं ने अपनी इन शक्तियों का अहसास व्यष्टि से लेकर समष्टि तक, या कहें कि अपने घर से लेकर ब्रहमांड तक में कराया है। इन दिनों ग्वालियर की आस्था का केंद्र अचलेश्वर महादेव मंदिर के हाईटेक व्यवस्थाओं के चर्चे हर ओर हैं। और, इन चर्चाओं में एक नाम सुश्री सृष्टि शिवहरे का उभरता है। उम्र तो उनकी यही कोई 22 साल होगी, लेकिन ओहदा सुनकर चौंक जाएंगे। वह हैं अचलेश्वर महादेव मंदिर की मार्गदर्शक व्यवस्थापक सचिव। इस जिम्मेदारी को संभालने वाली वह पहली महिला हैं। महज छह महीने के कार्यकाल में उन्होंने मंदिर को आधुनिक हाइटेक व्यवस्थाओं से लैस कर दिया है। और तो और, अचलेश्वर महादेव भी अब उनके डाइटचार्ट के हिसाब से स्वादिष्ट व्यंजनों का आनंद ले रहे हैं। इन सुखद और हाइटेक व्यवस्थाओं से श्रद्धालुओं से लेकर बाहर सड़क किनारे बैठे भिक्षुक तक, सभी बेहद प्रसन्न हैं।

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आपका बता दें कि ग्वालियर में मंदिर अचलेश्वर महादेव यहां रहने वाले लोगों की आस्था का केंद्र है। । अचलेश्वर महादेव का निर्माण समाजसेवी मोतीराम शिवहरे ने करवाया था, और इसका प्रबंधन ट्रस्ट कमेटी के द्वारा होता आया है। अभी तक उम्रदराज प्रतिष्ठित समाजसेवी ही इसका प्रबंधन देखते आ रहे हैं। लोहिया बाजार में मैनावाली गली निवासी श्री राजेश शिवहरे एवं श्रीमती ममता शिवहरे की पुत्री सृष्टि शिवहरे स्नातकोत्तर की छात्रा हैं और सिविल सर्विसेज की तैयारी कर रही है।  वह पिछले दस साल से नियमित रूप से सुबह 5 बजे से 7 बजे तक अचलेश्वर महादेव की सेवा करती आ रही हैं। उनके सेवाभाव से मंदिर प्रबंध समिति के सदस्य काफी प्रभावित थे। पिछले वर्ष नवंबर में समिति के कुछ लोगों ने सृष्टि से ट्रस्ट में शामिल होने और व्यवस्थापक पद का चुनाव लड़ने का आग्रह किया। । सृष्टि दिन में ट्यूशन्स भी पढ़ाती है, खुद भी पढ़ाई करती है, लिहाजा पहले तो उसने अपनी व्यस्तता का हवाला देते हुए क्षमा चाही लेकिन समिति के सदस्यों द्वारा बहुत जोर दिये जाने पर उसने सोचा कि शायद बाबा की यही मर्जी है और वह राजी हो गई।दिसंबर में चुनाव से पांच दिन पहले उसने दावेदारी दाखिल की, और चुनाव में पांच साल से अध्यक्ष चुने आ रहे श्री रामकुमार गोयल को 1400 मतों से हरा दिया। 

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व्यवस्थापक का पदभार संभालने के बाद श्रृष्टि ने वो काम किया, जिसकी उम्मीद सभी को थी। मंदिर की रसोई जहां प्रतिदिन अचलेश्वर महादेव का भोग तैयार होता है, बेहद गंदे और खराब हालत में थी। सृष्टि ने रसोई का पुनर्निर्माण कराया, सुंदर टायल्स लगवा कर उसे देखने-दिखाने लायक बना दिया। मंदिर में सीसीटीवी कैमरे लंबे समय से बंद पड़े थे, उन्हें ठीक कराया और अपने मोबाइल से संयोजित कर लिया। इस तरह सृष्टि जब मंदिर में नहीं होती है, तब भी उसकी निगरानी रहती है। मंदिर का लाइटिंग सिस्टम हाइटेक कराया, पानी की टंकियां साफ कराईं। इन सभी कामों में सृष्टि की सृष्टि आधुनिक सोच परिलक्षित होती है। 
इन ढांचागत व्यवस्थाओं को दुरुस्त कराने के बाद सृष्टि ने बाबा का डाइटचार्ट तैयार किया। सुबह 8 बजे बाल भोग जिसमें प्रतिदिन पोहा या उत्पम जैसे आहार, दोपहर 12 बजे भोजन जिसमें कच्चा-पक्का खाना (हर सोमवार को दाल टिक्कड़), शाम 5 बजे  फलाहार, सायं 8 बजे संध्याकालीन भोजन जिसमें पराठा, सब्जी, नमकीन व मिठाई, और रात्रि 9 बजे केसर-पिस्ते का दूध दिया जाता है। इस डाइटचार्ट के हिसाब से प्रतिदिन 250-300 लोगों का भोजन हर टाइम बनता है। मंदिर के बाहर बैठने वाले भिक्षुक से लेकर यहां आने वाले श्रद्धालु बड़े चाव से इस प्रसादी का आनंद लेते हैं।  बीती 5 जून को हुए विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर सृष्टि ने मंदिर में वृक्षारोपण कराया और पेड़-पौधों का विधिविधान से पूजन करवाया। मंदिर के बाहर सड़क किनारे बैठने वाले भिक्षुकों की सेवा में सृष्टि शिवहरे का काम बहुत अनुकरणीय है। हाल में सृष्टि ने भिक्षुकों के लिए उपचार की व्यवस्था की है। केअरएंड अवेयर फाउंडेशन के संचालक श्री आकाश शिवहरे के साथ मिलकर सृष्टि एवं महेंद्र भदकारिया ने अचलेश्वर मंदिर के पास बैठने वाले गरीब, बेसहारा एवं पीड़ितों का उपचार एवं मरम-पट्टी आदि की।  भिक्षुकों को कोई स्वास्थ्य संबंधी दिक्कत होती है, तो सृष्टि उनकी सेवा के लिए सदैव तत्पर रहती हैं। अब अचलेश्वर महादेव का डाइटचार्ट तैयार होने के बाद से ये भिक्षुक भी प्रसादी के रूप में नित अलग-अलग व्यंजनों का आनंद लेते हैं। 

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सृष्टि बताती हैं कि मंदिर के प्रबंधन को कुशलता से अंजाम देने में उन्हें आत्मिक संतुष्टि मिलती है। वह बचपन से यहां आती रही हैं, और शायद बाबा की कृपा से प्रबंधन की जिम्मेदारी मिली है। सृष्टि पीएससी (प्रोवेंशियल सिविल सर्विसेज) की तैयारी कर रही हैं और एक बार प्रारंभिक परीक्षा क्वालिफाई कर चुकी हैं। शिवहरे वाणी से बातचीत में उन्होंने कहा कि पहले लगता था कि इतनी बड़ी जिम्मेदारी लेकर अपनी तैयारी को जारी कैसे रख पाऊंगी लेकिन बाबा की कृपा से उसमें किसी प्रकार की बाधा नहीं आ रही है। वह निरंतर अपने लक्ष्य की ओर बढ़ रही है, तैयारी के साथ कोचिंग और ट्यूशन्स भी पढ़ाती हैं। 

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