शिवहरे वाणी नेटवर्क
भोपाल।
छोटी पहल कई बार हमें बड़ी मंजिल पर ले जाती है। जरूरत संभावनाओं को पहचानने की है जिसमें अक्सर हम चूक जाते हैं। लगभग सालभर होने को आया, इसी shivharevaani.com पर आपने कलचुरी सेना के 'मिशन एक रुपया' के बारे में विशेष रिपोर्ट पढ़ी थी। सामाजिक उत्थान की दिशा में यह एक अनोखी पहल थी और लग रहा था कि संपूर्ण कलचुरी समाज इसमें शरीक होगा और कलचुरी सेना इस पहल को मजबूती से चलाकर यह अन्य समाजों के लिए मिसाल प्रस्तुत करेगी। लेकिन अफसोस! इस पहल में छिपी असीम संभावनाओं को पहचाना नहीं गया और यह पहल आगे नहीं बढ़ पाई। इसके बरक्स, कलचुरी सेना की इस पहल को काफी समय बाद विश्वकर्मा समाज ने अपनाया और आज 3000 परिवारों द्वारा 1 रुपये रोज के योगदान से उसके पास राहत कोष में 5 लाख रुपये जुट गए हैं। इन पैसों से कई महिलाओं को स्वरोजगार के लिए सिलाई मशीन दी जा चुकी है, कई समाजबंधुओं की बीमारियों में मदद की गई और दो होनहार बच्चों को इंटरनेशनल स्पर्धा में भागीदारी करने के लिए आर्थिक सहायता उपलब्ध कराई गई। विश्वकर्मा समाज की यह पहल आज मीडिया की सुर्खियों में है, जबकि इस पहल का श्रेय कलचुरी सेना को जाना चाहिए था जो वास्तव में पहली बार इस कांसेप्ट को लाई थी, मगर वह चूक गई या यूं कहें कि हम चूक गए।
समाज की एकजुटता और जागृति के लिए कई अभिनव अभियानों को शुरू कर चुकी कलचुरि समाज सेना ने पहली बार यह नया प्रयोग किया है। यह परिकल्पना कलचुरी सेना के संस्थापकों में शामिल विपिन राय ने सबसे पहले दी थी। उन्होंने कल्चुरी कल्याण कोष गठित करने का विचार रखा जिसमें समाज के प्रत्येक परिवार की ओर से एक रुपये प्रतिदिन का योगदान होगा। कलचुरी समाज की संख्या के हिसाब से अनुमान लगाया कि एक साल में 15 करोड़ रुपये इस कलचुरी कल्याण कोष में जमा सकते हैं। इस कल्याण कोष का प्रयोग निम्न लक्ष्यों में किया जाना चाहिएः-
*समाज के जरूरत मंद को स्वास्थ लाभ के लिए*
*समाज के व्यक्ति की उच्च शिक्षा मे सहायता।*
*समाज की बेटी के विवाह में सहायता।*
*समाज के निशक्तजन की मदद हेतु।*
*असहयाय व बृद्धजनो की मदद हेतु।*
*किसी परिवार की आर्थिक परेशानी मे सहायता।*
हालांकि, इन सब लक्ष्यों में उन्होंने समाज के कमजोर आर्थिक वर्ग के ऊर्जावान युवाओं के उत्थान को सबसे महत्वपूर्ण माना था। विपिन राय की परिकल्पना के अनुसार, इस कोष से वास्तविक पात्र को कारोबार के लिए आर्थिक सहायता उपलब्ध कराई जा सकती है, जिसे बेहद मामूली ब्याज या फिर केवल मूलधनराशि की मियादी तरीके से वापसी की शर्त पर दिया जा सकता है। समाज के ही लोग उसके कारोबार को सफल बनाने में अपना लॉजिस्टिक सपोर्ट दे सकते हैं। यानी कि उसके उत्पाद की मांग और आपूर्ति में समाज अहम योगदान कर सकता है। मसलन, एक युवा इस कोष से एक लाख रुपये लेकर कॉपी बनाने की यूनिट लगाता है। अब समाज के वे लोग जो स्टेशनरी का काम करते हैं, जो कापियां बेचते हैं, उस युवा की प्रेस में बनीं कॉपियों को अपनी दुकानों में रखे। इससे उस स्टार्टअप के सफल होने की संभावना अधिक होगी और कोष को पैसे की वापसी भी सुनिश्चित होगी। यह तो इस परिकल्पना का एक पक्ष है।
काफी सोचविचार के बाद 12 अगस्त, 2017 को इस मिशन को लांच कर दिया गया। शुरुआत में इस कोष में दो लोगों के द्वारा क्रमशः 100 रुपये और 365 रुपये जमा कराए गए। खाता खोला गया *श्री कलचुरी सेवा नागरिक समिति, *स्टेट बैंक आफ इंडिया, एकाऊंट नं -37007350829, IFSC code – SBIN0005193*। लेकिन किन्हीं कारणों से यह पहल सफल नहीं हो पाई।
इस बारे में कलचुरी सेना के अध्यक्ष कौशल राय का कहना है कि शुरू में इस दिशा में काफी प्रयास किया गया, सोशल मीडिया से इसका काफी प्रचार-प्रसार किया गया था। तीन महीने में कोष में 15 हजार रुपये जमा भी हुए थे। उनका कहना है कि इस प्रकार के मिशन तभी सफल हो सकते हैं जब समाज के लोग अपनी तरफ से जागरूकता दिखाएं और कोष में एक रुपये प्रतिदिन जमा करें। मिशन एक रुपये खत्म नहीं हुआ है, अब भी समाज के बंधु इस कोष में योगदान करना चाहते हैं, तो उनसे अथवा कलचुरी समाज के पदाधिकारियों से संपर्क कर सकते हैं।
फिलहाल, ऐसे शुभ अभियानों के लिए कभी देर नहीं होती, जब चाहें तब इसे शुरू किया जा सकता है। जरूरत इस बात की है कि हम इस छोटी सी पहल के महत्व को समझें, शंका-आशंकाओं से बाहर निकलें, कलचुरी कल्याण कोष को समृद्ध करने के लिए एक रुपये प्रतिदिन का योगदान करने के लिए स्वयं आगे आएं। अब तो प्रेरित करने के लिए विश्वकर्मा समाज की एक मिसाल भी है हमारे समाने।
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