शिवहरे वाणी नेटवर्क
झांसी।
'जिसका कोई नहीं उसका तो खुदा है यारो..' कहने को ये एक फिल्मी गाने के शब्द हैं, लेकिन भारत जैसे देश में सच्चाई को बयां करते हैं, और इस हकीकत को ललितपुर की नेहा से बेहतर कौन जान सकता है भला। ललितपुर जिले के गांव जमालपुर की की16 वर्षीय नेहा शिवहरे एक गंभीर बीमारी से पीडि़त थी, मजदूर पिता की इतनी सामर्थ्य नही थी कि उसका इलाज करा सकें। 'बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ' के मौजूदा दौर में भी उपयुक्त उपचार नहीं मिलने के कारण बेटी नेहा तिल-तिल कर मौत की ओर बढ़ रही थी। लेकिन, जिंदगी उस पर ऐसी मेहरबान हुई, कि आज वह काफी हद तक स्वस्थ हो चुकी है।
ललितपुर के पोस्ट बांसी के तहत आने वाले गांव जमालपुर में रहने वाले भागीरथ शिवहरे पेशे से मजदूर हैं। उनकी पांच बेटियों में से तीसरे नंबर की बेटी नेहा शिवहरे लगातार कमजोर होती जा रही थी। भागीरथ शिवहरे अपनी क्षमता के हिसाब से उसका उपचार करा रहे थे लेकिन नेहा की हालत कोई सुधार नहीं आया। पूरा परिवार बेटी को बचा न पाने से हताश था। इसी बीच नेहा की बीमारी की जानकारी तालबेहट निवासी एक शिवहरे समाजसेवी को हुई। उन्होंने झांसी की 'कलचुरी कलार सर्ववर्गीय समाज' संस्था के अध्यक्ष ह्रदेश राय और सालिगराम राय को इसकी जानकारी दी। संस्था के दोनों पदाधिकारियों ने नेहा और उसके परिजनों को झांसी बुलवा लिया। 28 जुलाई 2016 को नेहा के परिजन उसे लेकर ह्रदेश राय और सालिगराम राय से मिले। उस समय 14 साल की नेहा का वजन मात्र 14 किलो था, हाथ-पांव किसी तीन साल के बच्चे के तरह बेहद पतले थे, पेट बहुत ज्यादा बाहर निकला हुआ था। सांसें बेहद कमजोर थीं, ऐसा लग रहा था कि अब नहीं, तो तब…यह जिंदा बचेगी नहीं।
माता-पिता की विपन्नता और लाचारी को देखते हुए संस्था ने नेहा का उपचार कराने की ठानी। संस्था के पदाधिकारियों नेहा को झांसी के सिविल अस्पताल ले गए जहां कलचुरी समाज के चिकित्सक डा. डीएस गुप्ता (शिवहरे) पोस्टेड हैं जिनकी छवि अपने पेशे के प्रति बेहद ईमानदार डाक्टर के रूप में है। डा. गुप्ता ने नेहा की सभी जाचें कराईं, पता चला कि नेहा की किडनी लगभग फेल हो चुकी थी, फेफड़े पानी भरने से गलने लगे थे। नेहा सिविल अस्पताल में दस दिन भर्ती रही, इसके बाद डा. गुप्ता ने उसे मेडिकल कालेज रैफर कर दिया। मेडिकल कालेज में नेहा के फेफड़े से पानी निकाला गया। उसे 6-7 बोतल खून चढ़ाया गया, जिसकी सारी व्यवस्था 'कलचुरी कलार सर्ववर्गीय समाज' ने की। इसके बाद भी डाक्टर इस बात की गारंटी लेने के लिए तैयार नहीं थे कि वे नेहा को बचा पाएंगे या नहीं।
लेकिन, 'कलचुरी कलार सर्ववर्गीय समाज' ने उम्मीद नहीं छोड़ी। मेडिकल कालेज में करीब महीना-डेढ़ महीने तक नेहा को भर्ती रखवाया, उसकी दवाइयों और तीमारदार परिजनों के खाने-पीने का इंतजाम करते रहे। करीब डेढ़ महीने बाद नेहा की स्थिति सुधरने लगी। चिकित्सकों का कहना था कि दवाइयां लंबी चलेंगी, तभी कुछ कहा जा सकता है। नेहा को मेडिकल कालेज से छुट्टी दे दी गई, लेकिन तब से उसकी रेगुलर दवाई चली, लाइफलाइन अस्पताल में डा. प्रवीण जैन नियमित अंतराल पर उसकी चिकित्सकीय परीक्षण करते हैं, दवाएं लिखते हैं। ये सारी व्यवस्थाएं ह्रदेश राय और सालिगराम राय द्वारा 'कलचुरी कलार सर्ववर्गीय समाज' की ओर से कराई जाती हैं। आज इस क्रम को करीब दो साल हो गए हैं। नेहा पहले से काफी अच्छी हो चुकी है। वजन 35 किलो हो गया है, फेफड़े पूरी तरह ठीक काम कर रहे हैं, किडनी में शानदार सुधार है। नेहा की गतिविधियां बढ़ गई हैं।
बीती वार जनवरी में झांसी में आइका सम्मान का कार्यक्रम हुआ था, जिसमें नेहा को भी बुलाया गया। था। तब समाज के लोगों ने नेहा पर अपने स्नेह की बरसात कर दी, उसे तमाम गिफ्ट दिए, और भी सहायताएं की गईं। नेहा शिवहरे ने बताया कि हीतेश राय और सालिगग्राम राय ने कलचुरी कलार समवर्गीय समाज की ओर सो दो वर्षों तक उसका इलजा कराया, अपने खर्चे से डाक्टरों को दिखाया, दवाएं दिलवाईं। आज वह बिल्कुल ठीक है, जिसकी उम्मीद खुद उसे भी नहीं थी।
बीते दिनों नेहा अपनी मां के साथ दवा लेने के लिए झांसी आई थी, हर बार की तरह संस्था ने तीन महीने की दवा नेहा को दिलवाई। उन्हें नगद सहायता देकर विदा किया गया। ह्रदेश राय और सालिगराम राय ने नेहा के स्वास्थ्य में हो रही प्रगति पर हार्दिक प्रसन्नता व्यक्त की है। उन्होंने कहा कि अब नेहा की पढ़ाई-लिखाई और उसकी शादी भी उनकी संस्था 'कलचुरी कलार सर्ववर्गीय समाज' ही कराएगा।
नेहा की कहानी इस हकीकत को बया करती है कि सरकार की ओर से समाज के लिए कल्याणकारी पहल तब तक आगे नहीं बढ़ सकती, जब तक कि हम यानी आम नागरिक उसे दिल से आगे न बढ़ाएं। 'कलचुरी कलार सर्ववर्गीय समाज' ने एक बेटी को बचाने की जो मुहीम छेड़ी, वह निसंदेह प्रशंसनीय है। स्नेह, हमदर्दी और सामाजिकता की ऐसी मिसालें भारत में ही मिलती हैं, भारत मे ही मिल सकती हैं..क्योंकि यहां लोगों के दिलों में जिंदा है करुणा का भाव…अब तक।
(संस्था ने बताया कि नेहा के उपचार के लिए समाजबंधुओं की ओर से 68 हजार रुपये का योगदान प्राप्त हुआ जिसमें 50 हजार रुपये खर्च हो चुके हैं। इस खर्चे मे सभी जांचे,डा०साहब की फीस,खून चडाना,खाना-पीना(नेहा,पिता,माता) फल,दूध,दबाईयां,किराया और नगदी इत्यादि शामिल है।)
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