शिवहरे वाणी नेटवर्क
छिंदवाड़ा।
मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा में 25 वर्षीय यश चौकसे उर्फ बिट्टू की मौत की घटना ने झकझोर कर रख दिया है। गुरुवार को बिट्टू का शव उसके कमरे में फंदे पर लटका मिला था। शव के पास ही एक सुसाइड भी मिला जिसमें लिखा था, 'मैं अपने आपसे प्रताडि़त हूं। जो भी काम करता हूं उसमें असफल हो रहा हूं। मेरी मौत के लिए मैं स्वयं जिम्मेदार हूं, इसके लिए किसी को परेशान न किया जाए।'
ऐसी घटनाएं सवाल उठाती है कि हम किस तरह का समाज बना रहे हैं। भौतिकतावाद की अंधी दौड़ में शामिल होकर हमारा समाज सफलता को कमाई और सामाजिक प्रतिष्ठा से जोड़कर देख रहा है, और अपने इस पैमाने से बाहर के लोगों को नाकाम मानते हुए खारिज कर देता है। यही वजह है कि आज हमारे देश में बड़ी संख्या में युवा खुदकुशी कर रहे हैं और इनमें भी बड़ी संख्या ऐसे पढ़े-लिखे नौजवानों की है जो प्रतिभाशाली होने के बाद भी कामयाबी के इन खाचों में फिट नहीं बैठते। लिहाजा सामाजिक उपेक्षा के चलते वे अवसाद में डूब जाते हैं और खुदकुशी करने की ओर प्रवृत्त हो जाते हैं। हम अपने आसपास ही देखते हैं कि उन युवाओं को सफल माना जा रहा है जिन्हें बड़े पैकेज पर कंपनियों में काम मिल गया है, या कोई छोटी-बड़ी सरकारी नौकरी मिल गई है अथवा किसी तरह अच्छा पैसा कमा रहा है, भले ही पैसा कमाने के लिए वह भ्रष्टाचारी तंत्र का हिस्सा बन गया हो। और, यदि कोई युवक ऐसा नहीं कर पाता है तो वह अपने घर में उपेक्षा का शिकार हो जाता है, परिवार और समाज के लोग उसे कोसते हैं। आज जरूरत इस बात की है कि हम अपने नजरिये को बदलें, युवाओं के प्रति संवेदनशील बनें, उनकी प्रतिभा को पहचानें, उन्हें आगे बढ़ने में सहयोग दें, उनका हौसला बढ़ाएं, ताकि भविष्य में कोई युवा बिट्टू की तरह जिंदगी से अलविदा करने को मजबूर न हो।
बिट्टू पुत्र अनिल चौकसे पहाड़े कॉलोनी गली नम्बर 18 में किराए के मकान में अपनी दादी के साथ रहता था। दादी बीमार होने की वजह से उसकी बुआ के घर चली गई थी, लिहाजा इन दिनों वह घर पर अकेला ही था। गुरुवार की सुबह काफी देर तक बिट्टू का कमरा नहीं खुला तो मकान मालिका ने दरवाजा खटखटाया। काफी देर तक जब दरवाजा नहीं खुला तो तो आस-पास के लोगों की मदद से दरवाजा तोड़ा तो सीलिंग फैन से बंधी चुन्नी पर बिट्टू का शव लटका मिला। पास ही सुसाइड नोट मिला। पुलिस हैंडराइटिंग एक्सर्ट्स से सुसाइड नोट की लिखावट की जांच करा रही है, ताकि पता चले कि यह मामला आत्महत्या का है या हत्या का। लेकिन, बिट्टू के सुसाइड नोट की भाषा हमारी जेहनियत पर बड़ा सवाल खड़ा करती है।
समाचार
बिट्टू की मौत का जिम्मेदार कौन, समय या समाज ?
- by admin
- October 29, 2016
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- 8 years ago
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