शिवहरे वाणी नेटवर्क
रांची।
यह विडंबना है जिस देश में मातृशक्ति को सर्वोपरि मानते हुए उसे पूजा जाता है, उस देश में मातृशक्ति को दबाने और कुचलने वालीं कई कुप्रथाएं भी पनपीं हैं। डायन प्रथा के चलते पिछले दस साल के अंदर एक हजार से अधिक महिलाओं को डायन बताकर उनकी हत्या की जा चुकी है। चैत्र नवरात्र पर शिवहरे वाणी की स्पेशल सीरीज में आज आपकी मुलाकात कलचुरी समाज की एक ऐसी महिला से करा रहे है, जिसने मिसेज एशिया इंटरनेशनल का खिताब जीतने के बाद ग्लैमर की चकाचौंध में खोने के बजाय झारखंड के पिछड़े इलाकों में जाकर डायन प्रथा के खिलाफ अभियान चला रखा है। हम बात कर रहे हैं श्रीमती रिंकू भगत की। पेशे से वकील रिंकू भगत की कहानी का सबक यह है कि किसी भी व्यक्ति की असल कामयाबी मंजिल पर पहुंचने में नहीं, बल्कि मंजिल पर टिके रहने और स्वयं को उसका सही हकदार साबित करने में होती है।
बीते वर्ष 26 नवंबर को चीन के शंघाई में हुई मिसेज एशिया स्पर्धा में रिंकू भगत को जब मिसेज एशिया इंटरनेशनल का खिताब मिला था, उस समय उनके लिए कई विकल्प खुले थीं। लेकिन रिंकू ने इस खिताब से जुड़ी अपनी नैतिक जिम्मेदारी को समझा और झारखंड के उन इलाकों में पहुंच गईं जहां महिलाओं को डायन बताकर मार देना आम बात होती जा रही थी। रांची, धनबाद जैसे शहर हों या चाईबासा और आसपास के आदिवासी इलाके, ऐसी घटनाएं हर जगह से आ रही थीं। रिंकू भगत ने अन्धविश्वास के चलते हो रही ऐसी हत्या के खिलाफ जागरूकता फ़ैलाने का बीड़ा उठाया है।
रिंकू भगत आशा नाम एक संस्था के साथ डायन प्रथा उन्मूलन के लिए गांव-गांव घूमकर लोगों को जागरूक कर रही हैं। नुक्कड़ नाटकों के जरिये तो कभी पुलिस-प्रशासन के साथ मिलकर लोगों को डायन प्रथा के खिलाफ उठ खड़े होने की समझाइश देती हैं। आने वाले समय में रिंकू का इरादा इस अभियान को और वृहद स्तर पर ले जाने का है।
फिलहाल रिंकू भगत झारखंड बार काउंसिल का चुनाव लड़ रही हैं और यदि जीत गईं तो झारखंड बार काउंसिल में अब तक की पहली महिला अधिवक्ता होंगी। वह तिरंगा यात्रा की एंबेस्डर भी हैं। यही नहीं, रिंकू महिलाओं की व्यक्तिगत स्वच्छता पर भी काम रही हैं और एकल संस्था के माध्यम से खासकर आदिवासी इलाकों में महिलाओं को फ्री सैनेट्री पैड उपलब्ध करवा रही हैं। वह राज्य मानवाधिकार आयोग से भी जुड़ी हुई हैं। साथ ही कलचुरी समाज कार्यक्रमों भी भाग लेती रही हैं।
झारखंड के रांची शहर में जन्मीं 41 वर्षीय रिंकू भगत की प्रारंभिक शिक्षा रांची में ही हुई, जिसके बाद उन्होंने लॉ यूनीवर्सिटी ऑफ कोलकाता से कानून की पढ़ाई करने के बाद झारखंड हाईकोर्ट में वकालत की। इसी दौरान रिंकू का विवाह सेना की मेडिकल कोर के मेजर डा. एनके मधुकर से हुआ। पति का तबादला रांची से हिमाचल होने पर वह भी उनके साथ चली गईं। वहां मंडी में सामाजिक कार्यों में उनकी रुचि को देखते हुए डिफेंस वुमन वेलफेयर की चेयरपर्सन बना दी गईं।
इस दौरान उन्होंने सैनिकों व शहीद सैनिकों की पत्नियों व परिवार की समस्याओं के समाधान के लिए कानूनी सहायता के साथ साथ उन्हें आत्मनिर्भर बनाने के लिए मधुबनी व वेस्ट मैटेरियल से क्राफ्ट बनाना सिखाकर रोजगार का जरिया दिया। पति की प्रेरणा से रिंकू ने सौंदर्य स्पर्धाओं में भागीदारी की। पहले मिसेज हिमाचल चुनीं गईं। फिर चेन्नई में मिसेज इंडिया का टायटल जीतकर चीन में हुई मिसेज एशिया स्पर्धा में भारत का प्रतिनिधित्व किया और खिताब भी जीता।
अमानवीय है डायन प्रथा
दरअसल झारखंड ही नहीं, देश में कई राज्यों के पिछड़े इलाकों में ओझाओं, तांत्रिकों के कहने पर किसी भी महिला को डायन करार दिया जाता है. ऐसे मामले साधारणतया तब होते हैं जब गांव वाले ओझा के पास किसी व्यक्ति या कई व्यक्तियों की गंभीर बीमारी, आपदा या फिर परिवार, गांव पर पड़ी किसी भारी मुसीबत को दूर करने के लिए पहुंचते हैं। ओझा अपनी तंत्रमंत्र की शक्ति के छलावे में डाल कर इस परेशानी के लिए किसी महिला को दोषी ठहरा उसे डायन घोषित कर देता है। तब सारे गांव वाले उसे सजा देने पर उतारू हो उठते हैं। उस महिला को खींच कर भीड़ के सामने लाया जाता है और फिर निर्वस्त्र कर मारापीटा जाता है। कई दफा तो उस का सिर मुंडवा कर और चेहरे पर कालिख पोत कर पूरे गांव में भी घुमाया जाता है। चाकू आदि किसी तेज धार वाले औजार से चीरे तक लगाए जाते हैं। उसे मलमूत्र पीने तक को मजबूर किया जाता है। इतना सह कर भी यदि महिला जीवित रह जाती है तो उसे गांव से निकाल दिया जाता है।
Leave feedback about this