ग्वालियर।
एक्ट्रेस, राइटर, फैशन-डिजाइनर आकांक्षा शिवहरे कैंसर से जिंदगी की जंग हार गईं। बीते रोज उन्होंने ग्वालियर के एक अस्पताल में अंतिम सांस ली। रविवार 20 फरवरी को उनका अंतिम संस्कार किया गया। आकांक्षा शिवहरे ने 37 साल के छोटे से जीवन में कैंसर जैसी घातक बीमारी के कई हमलों का बहादुरी, दृढ़ता और धैर्य से सामना किया। उन्होंने कैंसर से लड़ने और मुकाबला करने के अपने अनुभवों पर एक किताब ‘लेमनेड’ भी लिखी है, जो कैंसर पीड़ितों को संघर्ष करने का हौसला देती रहेगी।
ग्वालियर में सिटी सेंटर निवासी बिजनेसमैन श्री सुनील शिवहरे ‘पप्पू’ और श्रीमती राजकुमारी शिवहरे की बेटी आकांक्षा शिवहरे ने 2008 में टीवी सीरियल ‘आत्मजा’ से अपने एक्टिंग करियर की शुरुआत की थी। इस सीरियल में उन्होंने एक डॉक्टर की भूमिका की। इसके बाद एक अन्य सीरियल ‘पूरवा सुहानी…’ में भी उन्होंने डॉक्टर का ही रोल किया। इसके बाद आकांक्षा ने तेलुगू फिल्मों ‘इडिआसलू कथा’ और ‘नीलू कानू’ में बतौर एक्ट्रेस काम किया। आकांक्षा की जिंदगी में अब तक सब कुछ ठीक चल रहा था, लेकिन 2012 में उन्हें ब्रेस्ट कैंसर की बीमारी का पता चला। महज 27 वर्ष की आयु में, जब एक बेहतरीन एक्ट्रेस बनने के उनके सपनों को पंख मिले ही थे, अचानक एक घातक बीमारी ने परवाज थाम दी।
लेकिन, आकांक्षा ने हिम्मत हारने के बजाय कैंसर से लड़ने की ठानी। पापा सुनील शिवहरे, मां श्रीमती राजकुमारी शिवहरे और भाई विनायक शिवहरे ने उनका हौसला बढ़ाया। आकांक्षा का लंबा इलाज चला, सर्जरी हुई और अंत में ब्रेस्ट कैंसर जैसी बीमारी को मात दे ही दी। ब्रेस्ट कैंसर से उबरने के बाद उन्होंने ग्लैमर वर्ल्ड में स्वयं को फिर से स्थापित करने का प्रयास किया जो बेहद मुश्किल था। उन्हें हिंदी और अंग्रेजी में बनने वाली फिल्म ‘टु बी ऑर नॉट टु बी’ में काम करने का मौका मिला। एक अन्य फिल्म ‘ए थिन लाइन’ भी मिली। खास बात यह है कि दोनों फिल्में महिला प्रधान थीं, जिसमें आकांक्षा मुख्य भूमिका में थीं।
इन फिल्मों में काम करने के दौरान ही आकांक्षा ने नियमित रूप से होने वाला स्वास्थ्य परीक्षण कराया तो पता चला कि अब बोन कैंसर ने उन्हें गिरफ्त में ले लिया है। अब आकांक्षा को एक बार फिर एक्टिंग छोड़कर दर्दनाक सर्जरी से गुजरना था। आकांक्षा ने एक इंटरव्यू में बताया था कि बोन कैंसर का सुनकर वह डिप्रेशन में चली गई थीं। अकेले में बैठकर सोचा करती, ऐसा मेरे साथ आखिर क्यों हुआ। लेकिन फिर सोचा इस दुनिया में हजारों-लाखों लोग कैंसर से पीड़ित हैं, वो भी जी रहे हैं। इसलिए खुश रहना शुरू किया और मन में उठने वाले विचारों को लिखने का फैसले लिया क्योंकि कैंसर के बारे में वही सही लिख सकता है, जो इसका मरीज हो। अपनी किताब ‘लेमनेड’ में उन्होंने कैंसर के मरीज को होने वाली परेशानियों को लिखा है। खास बात यह किताब उन्होंने व्यंग्य शैली में किताब लिखी है जो बताता है कि उन्होंने किस सकारात्मक मनःस्थिति से इस बीमारी का सामना किया होगा।
लेकिन, तमाम उपचार के बावजूद आकांक्षा बोन कैंसर से उबर नहीं सकीं और धीरे-धीरे कैंसर ने लीवर को भी गिरफ्त में ले लिया था। बीमारी चौथे चरण में पहुंच चुकी थी। कैंसर ने आकांक्षा को दुनिया से काट दिया। घर और अस्पताल…जीवन में बस यही बचा था। कुछ दिन से उनकी तबीयत ज्यादा खराब चल रही थी। शनिवार 19 फरवरी को ग्वालियर के एक अस्पताल में उनका निधन हो गया। आकांक्षा आज हमारे बीच नहीं हैं, लेकिन कैंसर से उनका संघर्ष उनकी किताब ‘लेमनेड’ के रूप में लोगों को प्रेरणा देता रहेगा। डबरा के प्रतिष्ठित ‘शिवहरे परिवार’ की आकांक्षा की शुरुआती शिक्षा शिमला में चेलसिया स्थित सीजेएम बोर्डिंग स्कूल में हुई। दिल्ली विश्वविद्यालय से उन्होंने ‘जर्नलिज्म एंड मास कम्युनिकेशन’ से स्नातक किया था।
शोकाकुल परिवारः-
हरीबाबू शिवहरे ‘डबरावाले’, अशोक शिवहरे ‘रिटायर्ड कमिश्नर’, राजेंद्र शिवहरे, नारायण शिवहरे (सभी ताऊजी), राकेश शिवहरे (चाचा) एवं समस्त शिवहरे परिवार।
फर्मः-
श्रीराम एंड कंपनी (आबकारी)
श्री विनायक गैस सर्विसेज, थाटीपुर (भारत गैस)
संपर्कः-9425113000, 9575313000
समाचार
अलविदा आकांक्षा शिवहरे; कैंसर से जंग हार गई एक्ट्रेस; ग्वालियर में हुआ अंतिम संस्कार
- by admin
- February 20, 2022
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