November 1, 2024
शिवहरे वाणी, D-30, न्यू आगरा, आगरा-282005 [भारत]
समाचार

ग्वालियरः दुर्लभ बीमारी से हार गया बालक संस्कार शिवहरे; समाजसेवी श्री सुरेशचंद्र शिवहरे के परिवार पर वज्रपात; आज श्रद्धांजलि सभा

ग्वालियर।
ग्वालियर के प्रतिष्ठित समाजसेवी श्री सुरेशचंद्र शिवहरे के 14 वर्षीय पौत्र संस्कार शिवहरे को एक दुर्लभ बीमारी ने लील लिया। परिवार में सबके प्रिय संस्कार शिवहरे ने 8 नवंबर को अंतिम सांस ली। वह काफी समय से एक दुर्लभ बीमारी से संघर्ष कर रहा था, और तमाम कोशिशों के बाद भी उसे बचाया नहीं जा सका। उसकी स्मृति में ग्वालियर के तानसेन नगर में रमटापुरा स्थित सहयोग गार्डन में 10 नवंबर को अपराह्न 3 से 4 बजे तक एक श्रद्धांजलि सभा आयोजित की गई है। 

श्री सुरेशचंद्र शिवहरे के पुत्र श्री संजीव शिवहरे एवं पुत्रवधु श्रीमती रुपिका शिवहरे का पुत्र संस्कार शिवहरे स्पाइनल मस्क्युलर अट्रॉफी (Spinal Muscular Atrophy) नाम की एक ऐसी दुर्लभ बीमारी से पीड़ित था जिसमें बच्चे के बचने की संभावना बहुत कम होती है। जन्म से ही बहुत सुंदर और हष्ट-पुष्ट संस्कार अपनी बाल चपलताओं के चलते सबका प्रिय था, घर में सबलोग प्यार से उसे मिलन पुकारते थे। श्री सुरेशचंद्र शिवहरे के प्रतिष्ठित और बहुत संपन्न परिवार में किसी ने कल्पना भी नहीं की होगी कि एक जानलेवा दुर्लभ बीमारी की जद में आकर मिलन इतनी कम उम्र में उनसे बिछड़ जाएगा। संस्कार की इस बीमारी की जानकारी 5-6 वर्ष पहले उस समय सामने आई, जब एक दिन स्कूल में खेलते हुए अचानक वह गिर पड़ा। 
परिजनों ने चिकित्सकों को दिखाया तो यह उसे इस बीमारी के होने की जानकारी सामने आई। परिजनों ने उसके उपचार की हर संभव कोशिश की। पिछले कुछ दिनों से बीमारी गंभीर रूप लेती जा रही थी। संस्कार का वजन बढ़ रहा था, चलना-फिरना भी मुश्किल हो गया था, बीमारी के आगे सब लाचार और बेबस थे। बीती 24 सितंबर को उसकी तबीयत अधिक बिगड़ गई, उसे अस्पताल में भर्ती कराया गया। बीते रोज संस्कार बीमारी से हार गया।

क्या है स्पाइनल मस्क्युलर अट्रॉफी
यह एक दुर्लभ बीमारी है जो दस लाख लोगों में किसी एक को होती है और इससे पीड़ित बच्चों की उम्र ज्यादा नहीं होती। ज्यादातर बच्चे 10 से 15 साल की उम्र में दुनिया छोड़ जाते हैं। स्पाइनल मस्कुलर एट्रोफी बीमारी के लिए जिम्मेदार जीन शरीर में तंत्रिका तंत्र के सुचारु रूप से कार्य करने के लिए आवश्यक प्रोटीन के निर्माण को बाधित कर देता है, जिसके फलस्वरूप तंत्रिका तंत्र नष्ट हो जाता है और मांस-पेशियां इतनी कमजोर हो जाती हैं कि बच्चा हिलने-डुलने की स्थिति में भी नहीं रहता। बीमारी के गंभीर रूप लेने पर पीड़ित बच्चों की मौत हो जाती है। 
 

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