November 1, 2024
शिवहरे वाणी, D-30, न्यू आगरा, आगरा-282005 [भारत]
समाचार

ग्वालियर/मोहनाः चार दिन बाद भी हेमंत शिवहरे का पता नहीं, ‘फ्रेडशिप डे’ के अगले ही दिन दर्दनाक हादसे के शिकार हुए दो दोस्त, प्रशासन पर भारी लापरवाही का आरोप, आक्रोश

ग्वालियर। 
ग्वालियर के मोहना निवासी हेमंत शिवहरे का चार दिन बाद भी पता नहीं चला है। पार्वती नदी के उफान में वह अपने दोस्त के साथ कार समेत बह गया था। दोस्त की लाश और कार तो मिल गई है लेकिन हेमंत का अभी तक कोई पता नहीं चला है। गोताखोर की तलाश बढ़कर अब सुल्तानगढ़ डैम तक जा पहुंची है। समय बीतने के साथ परिवार की उम्मीदें भी टूटती जा रही है। मां का रो-रोकर बुरा हालत है। इस पूरे मामले में प्रशासन की घोर लापरवाही भी सामने आ रही है, जिसके चलते लोगों में आक्रोश है। बताया जा रहा है कि पार्वती नदी में पास के डैम से पानी छोड़ा गया था जिसके चलते नदी में अचानक उफान आ गया। यदि प्रशासन की ओर से चेतावनी जारी की जाती तो शायद यह दर्दनाक हादसा नहीं होता। 
बता दें कि हेमंत शिवहरे (26 वर्ष) मोहना के एक प्रतिष्ठित शिवहरे परिवार से हैं जिसका क्षेत्र में खासा राजनीतिक प्रभाव माना है। हेमंत की दादी श्रीमती कपूरी देवी और चाची श्रीमती अंजलि शिवहरे मोहना ग्राम पंचायत की सरपंच रह चुकी हैं। पिता श्री नेमीचंद शिवहरे भी मोहना ग्राम पंचायत के सदस्य रहे हैं और वर्तमान में व्यापारी संघ के अध्यक्ष भी हैं। हेमंत के चाचा विष्णु शिवहरे एडवोकेट हाल ही में मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय अभिभाषक संघ ग्वालियर के वरिष्ठ उपाध्यक्ष चुने गए थे। श्री विष्णु शिवहरे एडवोकेट ने शिवहरेवाणी को बताया कि हेमंत घर से दो किलोमीटर दूर आगरा-मुंबई नेशनल हाइवे-46 पर ब्रजवासी नाम से एक होटल है। बीती 2 अगस्त को वह रोज की तरह दोपहर करीब 12.30 बजे अपने होटल के लिए निकला था। लेकिन रात को घर नहीं लौटा। उन्होंने बताया कि हाइवे पर हेमंत के होटल के पास ही उसके बचपन के दोस्त मोनू राठौर (25) का बलराम ढाबा है। लिहाजा दोनों साथ ही लौटते थे। उन्होंने बताया कि 2 अगस्त को होटल में एक पार्टी थी, जिसके चलते उन्हें लौटने मे देर हो गई थी। रात करीब 2.30 बजे हेमंत शिवहरे अपनी ब्रेजा कार से मोनू के साथ लौट रहा था। वे हाइवे पर पार्वती नदी की पुलिया से गुजर रहे थे, कि इसी दौरान अचानक पार्वती नदी मे उफान आने से पानी पुलिया के ऊपर आ गया जिसमें उनकी कार बह गई। तलाश में नदी से मोनू की लाश और हेमंत की कार तो मिल गई है। लेकिन हेमंत का अभी तक कुछ पता नहीं चल सका है। एलएलबी कर चुके हेमंत तीन भाइयों में सबसे बड़ा था। उसका छोटा भाई अंकित एनआईटी ग्वालियर से इंजीनियरिंग करने के बाद भोपाल में रह कर प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहा है। सबसे छोटा भाई आदर्श शिवहरे ग्वालियर से बीकॉम कर रहा है। हेमंत शिवहरे और मोनू राठौर बचपन के दोस्त थे, एक अगस्त को उन्हें मिलकर फ्रेंडशिप डे सेलिब्रेट किया था। अगले ही दिन हादसा हो गया। 
हेमंत के पिता नेमीचंद ने बताया कि हेमंत ने तीन साल पहले हाईवे पर ब्रजवासी होटल शुरू किया था। वह दोपहर को घऱ से होटल के निकलता था और आधी रात तक लौटता था। उन्होंने बताया कि दो अगस्त की रात को तेज बारिश हो रही थी, बिजली की सप्लाई भी कट गई थी और मोबाइल काम नहीं कर रहा था। ऐसे में हेमंत रात 2 बजे तक घर नहीं लौटा तो हमने सोचा कि वह रात को होटल में ही रुक गया होगा। अगली सुबह मोनू का भाई धर्मेंद्र राठौर उन्हें तलाशते हुए घर आया तब उनकी तलाश शुरू हुई। 4 अगस्त को हेमंत की कार मिली, और उसके बाद मोनू की लाश भी मिल गई।  6 अगस्त की दोपहर को समाचार लिखे जाने तक हेमंत का कुछ पता नहीं चला है। तलाश अब घटनास्थल से करीब 12 किलोमीटर दूर सुल्तानगढ़ डैम तक पहुंच गई है, जहां गोताखोरों की सहायता के लिए भारी लोगों की भीड़ भी पहुंची हुई है।
नेमीचंद शिवहरे ने बताया कि हेमंत को कार चलाने का बहुत शौक था और अभी 16 जुलाई को ही उसने अपनी मारुति स्विफ्ट को हटाकर नई ब्रेजा कार खरीदी थी। हमें क्या पता था कि नई कार ही उसकी कब्र बन जाएगी। हेमंत क्षेत्र में इतना लोकप्रिय था कि हादसे की जानकारी मिलते ही हजारो लोग घटनास्थल पर एकत्र हो गए और तब से उसकी तलाश में प्रशासन की सहायता के लिए मौके हरवक्त तैयार रहते हैं।  हेमंत की मां का रो-रोकर बुरा हाल है, हादसे के बाद उन्होंने अन्न का एक दाना तक नहीं खाया है। हेमंत के 70 वर्षीय बाबा भी सदमे की स्थिति में है। नेमीचंद शिवहरे स्थानीय प्रशासन की लापरवाही ने उनके बेटे को छीन लिया। प्रशासन ने डैम का गेट खोलने से पहले कोई चेतावनी जारी नहीं की, और ना ही विभाग ने पुलिया पर लोगों को सचेत करने के लिए कोई व्यक्ति तैनात किया।
 

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