सीकर /सबलगढ़।
राजस्थान के सीकर जिले में खाटू श्याम मंदिर के वार्षिक लक्खी फाल्गुन मेले में इन दिनों आस्था के अलग-अलग रंग नजर आ रहे हैं। कोई पदयात्रा कर रहा है तो कोई दंडौती यात्रा, कुछ तो पेट के बल लेटते हुए मंदिर जा रहे हैं। लेकिन, रामकृष्ण शिवहरे उर्फ सोनू की यात्रा इन सबसे अनोखी रही। सोनू लकड़ी के फट्टे पर ठुकीं कीलों पर दंडौती होते हुए खाटू श्याम पहुंचा। रींगस से शुरू हुए सोनू शिवहरे को मंदिर तक पहुंचने में चार दिन लग गए। 20 मार्च की शाम 5 बजे वह खाटू श्याम मंदिर के द्वार पर पहुंचा तो पुलिस प्रशासन के लोगों ने उसके लिए श्रद्धालुओं से एक लाइन खाली कराकर उसे भगवान के दर्शन कराए।
मध्य प्रदेश में मुरैना के सबलगढ़ निवासी 26 वर्षीय रामकृष्ण शिवहरे उर्फ सोनू शिवहरे पुत्र स्व. श्री रामचरन शिवहरे ‘मागरौल वाले’ ने शिवहरेवाणी को बताया कि पूरी यात्रा में उन्हें श्रद्धालुओं का प्यार मिला। बाबा श्याम के दीवाने भक्तों ने उनके पांव छुकर आशीर्वाद लिए। यात्रा बहुत मुश्किल थी लेकिन श्याम दीवानों की प्रेरणा से मुश्किलें आसान हो गईं। रामकृष्ण शिवहरे ने 16 मार्च की शाम को रींगस से अपनी यात्रा शुरू की थी जहां से खाटू श्याम मंदिर 17 किलोमीटर दूर है। वह अपने साथ लकड़ी का आठ फुट लंबा एक पतला फट्टा लाए थे जिसमें उन्होंने 8 किलो लोहे की कीलें ठोंकी हुई थीं। कीलों की संख्या अंदाजन 1300-1400 रही होगी। रींगस से उन्होंने इसी तख्ते पर पेट पलायन यात्रा शुरू कर दी। उन्हें कीलों पर पेट के बल दंडौती करते हुए आगे बढ़ते देख श्रद्धालु उनके भक्तिभाव से बहुत प्रभावित हुए, हजारों लोगों ने उनके पैर छूकर आशीर्वाद लिया। लोगों ने खाटूश्याम के भजन सुनाकर उनका हौसला बढ़ाया, उनके भोजन-पानी का ख्याल भी रखा।
सोनू शिवहरे की यात्रा कितनी मुश्किल रही होगी, इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि महज 17 किलोमीटर की दूरी तय करने में उन्हें चार दिन लग गए। 20 मार्च की शाम 5 बजे वह खाटू श्याम मंदिर के मुख्य द्वार पर पहुंचे तो वहां मौजूद पुलिस और प्रशासन के लोगों ने उनका साथ देते हुए श्रद्धालुओं की एक लाइन को खाली करा लिया, यहां उन्होंने खाटू श्याम के दर्शन किए। इस दौरान उनकी आंखों से आंसू निकल पड़े। सोनू शिवहरे ने बताया कि उनके आंसू भगवान से यात्रा पूरी करने की खुशी का इजहार थे। दर्शन के बाद सोनू शिवहरे की अपनी फर्स्टएड कराई गई। उनकी हथेलियों में खून निकलने लगा था, पेट के हिस्से पर भी कुछ घाव हुए हैं। फर्स्टएड कराने के बाद रामकृष्ण शिवहरे बस से अपने घर सबलगढ़ के लिए रवाना हो गए।
खास बात यह है कि रामकृष्ण शिवहरे ने अपने परिवार के लोगों को भी नहीं बताया था कि वह खाटू श्याम में इस तरह कीलों पर पेट पलायन यात्रा करने वाला है। सबलगढ़ में रामकृष्ण शिवहरे के बड़े भाई श्री राधाकृष्ण शिवहरे उर्फ बंटी ने शिवहरेवाणी को बताया कि उन्हें भी इस बारे में कोई जानकारी नहीं थी, उन्हें तो फेसबुक में एक फोटो से इस बारे में पता चला। बंटी सबलगढ़ में प्रॉपर्टी-प्लाटिंग का काम करते है, जबकि रामकृष्ण उर्फ सोनू कपड़े का कारोबार करता है।
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देखा न ऐसा श्याम दीवाना; सबलगढ़ के सोनू शिवहरे रींगस से कीलों पर दंडवत होते हुए पहुंचा खाटू श्याम मंदिर; रास्तों में हौसला देते रहे भक्तगढ़
- by admin
- March 20, 2024
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- 1 year ago


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