November 1, 2024
शिवहरे वाणी, D-30, न्यू आगरा, आगरा-282005 [भारत]
समाचार

घर में लक्ष्मी का वास चाहते हैं तो आज भूलकर भी न करें ये 7 काम; इसलिए होती है यम की पूजा

आगरा।
नरक चतुर्दशी कार्तिक कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाई जाती है। इस दिन मुख्य रूप से यम देव को प्रसन्न करने के लिए पूजन और दीपदान किया जाता है। पुराणों के अनुसार इस दिन कुछ कामों से बचना चाहिए जिससे घर में सुख समृद्धि के साथ माता लक्ष्मी की कृपा दृष्टि भी बनी रहे। 

शुभ मुहुर्त

  • नरक चतुर्दशी तिथि आरंभ 03 नवंबर 2021 प्रातः 09:02
  • नरक चतुर्दशी तिथि समाप्त 04 नवंबर 2021 प्रातः 06:03
  • अभयंग स्नान अनुष्ठान के लिए शुभ समय 4 नवंबर को सुबह 05.40 बजे से 06.03 बजे तक ।
  • हनुमान जयंती की पूजा सुबह 9 बजकर 02 मिनट के बाद कर सकते हैं।
  • शाम को यम दीपक जलाने के लिए शुभ समय 3 नवबर का शाम 6 बजे से लेकर रात 8 बजे तक ।

इस दिन यमराज को प्रसन्न करने के लिए दीपदान करने का विधान है। घर के मुख्य द्वार पर सरसों के तेल का दीया जलाना चाहिए और घर के भीतर और बाहर नाली के आस-पास भी दीया प्रज्ज्वलित करके रखना चाहिए। इस दिन दीप दान करने से माता लक्ष्मी का वास घर में बना रहता है।
 

आज न करें ये 7 काम 

  • इस दिन भूलकर भी देर से सोकर नहीं उठना चाहिए। ऐसा करने से लक्ष्मी रुष्ट हो जाती है और घर में दरिद्रता आती है।
  • इस दिन कभी भी घर को पूरी तरह से बंद करके नहीं जाना चाहिए। ऐसा माना जाता है कि इस दिन घर के मुख्य द्वार से माता लक्ष्मी का प्रवेश होता है और बंद घर से वो वापस लौट जाती हैं।
  • नरक चतुर्दशी के दिन भूलकर भी मांसाहार न करें। ऐसा माना जाता है कि इस दिन जीव जंतुओं को हानि पहुंचाने और मांसाहार करने से लक्ष्मी जी नाराज हो जाती हैं।
  • नरक चतुर्दशी के दिन भूलकर भी झाड़ू को पैर न मारें और झाड़ू  को घर से फेंकें।
  • इस दिन कलह कलेश न करें। ऐसा करने से लक्ष्मी जी की कृपा दृष्टि नहीं होती है और घर में गरीबी का वास होता है।
  • इस दिन घर की दक्षिण दिशा में भूलकर भी गंदगी एकत्र नहीं करनी चाहिए। इसे यम की दिशा माना जाता है और इसे गंदा रखने से यमराज नाराज होते हैं।
  • नरक चतुर्दशी के दिन कभी भी तेल का दान नहीं करना चाहिए। इससे घर की लक्ष्मी नाराज हो जाती हैं।

इसलिए होती है यमराज की पूजा

नरक चतुर्दशी के दिन मुख्य रूप से यमराज की पूजा की जाती है। एक पौराणिक कथा के अनुसार जब भगवान विष्णु ने वामन अवतार लेकर दैत्यराज बलि से तीन पग धरती मांगकर तीनों लोकों को नाप लिया तो राजा बलि ने उनसे प्रार्थना की- ‘हे प्रभु! मैं आपसे एक वरदान मांगना चाहता हूं। यदि आप मुझसे प्रसन्न हैं तो वर देकर मुझे कृतार्थ कीजिए। तब भगवान वामन ने पूछा- क्या वरदान मांगना चाहते हो, राजन? दैत्यराज बलि बोले- प्रभु! आपने कार्तिक कृष्ण त्रयोदशी से लेकर अमावस्या की अवधि में मेरी संपूर्ण पृथ्वी नाप ली है, इसलिए जो व्यक्ति मेरे राज्य में चतुर्दशी के दिन यमराज के लिए दीपदान करे, उसे यम यातना नहीं होनी चाहिए और जो व्यक्ति इन तीन दिनों में दीपावली का पर्व मनाए, उनके घर को लक्ष्मीजी कभी न छोड़ें। राजा बलि की प्रार्थना सुनकर भगवान वामन बोले- राजन! मेरा वरदान है कि जो चतुर्दशी के दिन नरक के स्वामी यमराज को दीपदान करेंगे, उनके पितर कभी नरक में नहीं रहेंगे और जो व्यक्ति इन तीन दिनों में दीपावली का उत्सव मनाएंगे, उन्हें छोड़कर मेरी प्रिय लक्ष्मी अन्यत्र न जाएंगी। तभी से नरक चतुर्दशी का महत्व है और इस दिन बड़ी श्रद्धा भाव से दीप दान किया जाता है। 
 

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