आगरा।
ताजनगरी आगरा की ऐतिहासिक राम बारात उत्तर भारत की सबसे मशहूर और प्राचीन राम बारात मानी जाती है। आगरा के इस गौरवपूर्ण आयोजन के साथ किस तरह शिवहरे समाज की भागीदारी पर शिवहरेवाणी ने बीते रोज एक आलेख प्रकाशित किया था। आज हम जिक्र कर रहे हैं उस शख्सियत का जिसने राजा जनक बनकर आगरा के शिवहरे समाज का गौरव बढ़ाया। वह थे स्व. श्री सीतारामजी शिवहरे ।
यह बात है 1989 की, जब सदर क्षेत्र में जनकपुरी बनाई गई थी। उस वक्त स्व. श्री सीताराम शिवहरे आगरा में आबकारी कारोबार से जुड़ी एक प्रमुख फर्म में साझीदार थे। तब आगरा के आबकारी कारोबार में उनका बड़ा नाम था, और उनकी साझीदार फर्म आगरा में इस कारोबार को लीड करती थी। फर्म का कार्यालय लॉरीज होटल में था। इस फर्म में श्री किशन शिवहरे एवं श्री भगवान स्वरूप शिवहरे भी पार्टनर थे। संयोग से ये दोनों ही पार्टनर बाद में आगरा के शिवहरे समाज की प्रमुख धरोहर दाऊजी मंदिर समिति के अध्यक्ष भी रहे।
कौन बनता है राजा जनक
रामबरात का आयोजन रामलीला ग्राउंड में होने वाली रामलीला के अंतर्गत सीता स्वयंवर एवं विवाह का ही एक अंग है। इसके अंतर्गत आगरा में ही किसी एक क्षेत्र को जनकपुरी में जनकमहल बनाया जाता है और उसी क्षेत्र के एक प्रतिष्ठित व्यक्ति को राजा जनक बनाया जाता है। राजा जनक को वही कार्य करने होते हैं जो एक पिता अपनी बेटी की शादी मे करता है। रामबरात के स्वागत सत्कार के साथ बड़हार की भव्य दावत राजा जनक के जिम्मे होती है, जिसमें आगरा में राजनीतिक, सामाजिक और व्यावसायिक क्षेत्र की प्रमुख हस्तियों के अलावा रामलीला और जनकपुरी आयोजन समिति के पदाधिकारी सदस्यों के साथ ही जनकपुरी क्षेत्र के लोग भाग लेते हैं।
1989 के सितंबर माह में रामबारात आयोजन के लिए सदर क्षेत्र में जनकपुरी सजाई गई थी। राजा जनक बनाया गया था श्री सीताराम शिवहरे पुत्र स्व. श्री झम्मनलाल शिवहरे को जो ताजगंज स्थित गल्लामंडी में रहते थे, जहां उनका निवास ‘जहाज वाली कोठी’ के नाम से आज भी जाना जाता है। रामबरात को ठहराने की व्यवस्था शहजादी मंडी स्थित गोपीचंद शिवहरे सनातन धर्म कन्या इंटर कालेज में की गई थी। स्टेडियम के पास विशाल मैदान में जनकमहल बनाया गया था। श्री सीताराम शिवहरे ने राजा जनक की भूमिका बखूबी अदा की। राम बरात के स्वागत सत्कार के साथ बड़हार की शानदार दावत भी दी।
स्व. श्री सीताराम शिवहरे के पुत्र श्री जीवन शिवहरे ने शिवहरेवाणी को बताया कि उनके अनुमान से बड़हार की उस दावत में दस हजार से भी काफी अधिक लोगों ने भोजन किया था। यह दावत भी सनातन धर्म कन्या इंटर कालेज में हुई थी। उस दावत की व्यवस्थाएं संभालने वालों में जनकपुरी कमेटी के लोगों के साथ ही श्री सीताराम शिवहरे के परिवार के सदस्य, रिश्तेदार औऱ कई शिवहरे समाजबंधु भी शामिल थे। उस आयोजन का कोई फोटो मांगने पर श्री जीवन शिवहरे ने खेज जताते हुए कहा कि इस आयोजन से जुड़ा कोई फोटो उनके पास नहीं है। अफसोस यह कि इस के पांच वर्ष बाद 1994 में जब संजय प्लेस में जनकपुरी सजाई गई थी, तब जनकमहल पर सभी जीवित जनकों का सम्मान किया गया था, तब का एक सामूहिक फोटो उनके पास था लेकिन वह भी नहीं मिल पाया। आपको बता दें कि 16 सितबर, 2014 को श्री सीताराम शिवहरे का 82 वर्ष की अवस्था में स्वर्गवास हो गया था।
(हम आभार व्यक्त करते है ताजगंज में गल्ला मंडी निवासी श्री राजीव शिवहरे का जिन्होंने शिवहरेवाणी को श्री सीताराम शिवहरे के राजा जनक बनने की जानकारी फोन पर दी। साथ ही महत्वपूर्ण इनपुट देने के लिए दाऊजी मंदिर समिति के पूर्व अध्यक्ष श्री भगवान स्वरूप शिवहरे का भी आभार।)
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