सिलिगुड़ी।
बीते दिनों पश्चिम बंगाल के सिलिगुड़ी में आयोजित दो दिवसीय ‘कलवार, कलाल, कलार एकता महाकुंभ’ में बिहार के उपमुख्यमंत्री तारकिशोर प्रसादजी ने अपनी उपस्थिति से कार्यक्रम को गरिमा प्रदान की। डिप्टी सीएम तारकिशोर प्रसाद ने अपनी तमाम व्यवस्तताओं के बावजूद पूरे दो दिन अधिवेशन में मौजूद रहे और दोनों ही दिन अपने उदबोधनों में समाज के विकास, एकता तथा अन्य मुद्दों पर विचार रखे। इस दौरान शिवहरेवाणी के संपादक सोम साहू ने उनसे बाचतीच की। पेश हैं बातचीत के कुछ अंशः-
शि.वा.- सर, आज दो दिनी एकता महाकुंभ का अंतिम दिन है, यह अधिवेशन ‘कलवार, कलाल, कलार एकता’ के अपने मिशन में कितना कामयाब रहेगा, आपको क्या लगता है?
प्रसाद- हमारा समाज एक विराट समाज है जिसमें सैकड़ों उपवर्ग हैं, सरनेम है। हम सब भगवान सहस्त्रबाहु और बलभद्र के वंशज हैं, हमारा यह गौरवशाली इतिहास हमें आपस में जोड़ता है। फिर भी क्षेत्रीय दृष्टि से, भाषायी दृष्टि और सांस्कृतिक दृष्टि से भी हमारे समाज में काफी विविधताएं हैं। ऐसा विराट और गौरवशाली समाज किसी एक मुद्दे पर एक जैसा सोचे, एकमत हो जाए, यह तो लगभग असंभव है। फिर भी, समाज को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर एकजुट करने के किसी भी प्रयास की सराहना की जानी चाहिए। इस संदर्भ में यह आयोजन निःसंदेह प्रशंसनीय है, और हमें लगता कि एकता की दिशा में एक पहल हुई है जो बहुत आगे तक जाएगी।
शि.वा.-अधिवेशन में तय हुआ है कि समाजबंधु आगामी जनगणना में जाति के कॉलम में कलवार, कलार, कलाल में किसी एक शब्द का प्रयोग करें, इस पर आप क्या कहेंगे?
प्रसाद- यह बहुत अच्छा निर्णय है जिसका लाभ संपूर्ण समाज को मिलेगा। दरअसल, अलग-अलग राज्यों में हमारे समाज को कलवार, कलाल, कलार में से किसी एक या दो नाम से आरक्षण दिया गया है। जैसे पश्चिम बंगाल में कलवार के नाम से आरक्षण प्राप्त है, तो राजस्थान में कलाल के रूप में कोटा मिलता है। इसी तरह यूपी, बिहार, मध्यप्रदेश और अन्य राज्यों में भी अलग-अलग नाम से आरक्षण दिया गया है। किसी भी समाजबंधु को जाति के कॉलम में वही नाम भरना चाहिए, जिस नाम से उसके राज्य में आरक्षण दिया गया है। इससे हमारे बच्चों को करियर में लाभ प्राप्त होगा, तो वहीं समाज भी एकसूत्र में बंधेगा।
शि.वा.- राजनीति में कलचुरी समाज का भविष्य क्या देखते हैं?
प्रसाद- वर्तमान भी अच्छा है और भविष्य इससे भी अच्छा होगा। राजनीति में हमारा समाज आगे बढ़ रहा है। अलग-अलग राज्यों में हमारे समाज के नेता सरकार में हैं। कई विधायक हैं, मंत्री भी हैं। मैं बिहार का डिप्टी सीएम होने के साथ ही वित्त मंत्री और वाणिज्यकर, शहरी विकास एवं आवास के विभाग भी देख रहा हूं। मैं बिहार विधानसभा में 2 लाख 37 हजार करोड़ का बजट प्रस्तुत करके यहां आया हूं, मेरे बजटीय प्रावधानों की सभी जगह सराहना की जा रही है, मीडिया रिपोर्ट्स भी आपने देखी होंगी, सभी जगह बिहार के लिए बजट को ऐतिहासिक बताया जा रहा है। कहने का मतलब यह है कि कलचुरी समाजबंधु किसी क्षेत्र में पीछे नहीं हैं, अवसर मिलने पर स्वयं को सिद्ध करते हैं। समाज में जैसे-जैसे एकता मजबूत होगी, वैसे-वैसे सियासत में उनकी स्थिति और बेहतर होती जाएगी। इसीलिए, राष्ट्रीय कलचुरी महासंघ की राष्ट्रीय संयोजिका श्रीमती अर्चना जायसवाल ने एकता जो पहल इस अधिवेशन के माध्यम से की है, वह स्वागतयोग्य है।
शि.वा.- सामाजिक स्तर पर क्या प्रयास होने चाहिए जिससे समाज के कल्याण और विकास को गति मिले?
प्रसाद- सामाजिक स्तर पर तीन बिंदुओं पर काम करने की बेहद जरूरत है। एक काम तो यह करना होगा कि जो समाजबंधु अपना व्यापार या उद्योग चला रहा हैं, या कोई काम कर रहे हैं जिसमें कई लोगों को रोजगार दिया हुआ है तो वर्तमान समय में उन्हें अपने यहां नौकरियों में स्वजातीय युवाओं को उनकी योग्यता के अनुसार वरीयता देनी चाहिए। ताकि स्वजातीय युवाओं को रोजगार मिल सके। दूसरे, सक्षम समाजबंधुओं को तय करना चाहिए कि वह साल में एक, दो, पांच-दस जो भी उनसे हो सकता है, गरीब कन्याओं का विवाह कराएं या उसमें योगदान करें। तीसरा, बिंदु यह है कि स्वजातीय बच्चों की पढ़ाई-लिखाई के लिए एक फंड बनना चाहिए। सक्षम समाजबंधुओं को तय करना चाहिए कि कोई भी योग्य बच्चा पैसों की कमी के कारण शिक्षा से वंचित न रहे।
शि.वा.- यह सब हो सकता है? कैसे होगा?
प्रसाद- स्थानीय स्तर पर करना होगा। सामाजिक संगठनों की जो स्थानीय इकाइयां है, या स्थानीय स्तर पर जो सामाजिक संगठन हैं, उन्हें यह जिम्मेदारी लेनी होगी।
शि.वा.- सुना है कि राजनीति में आने के लिए आपने पारिवारिक स्तर पर काफी संघर्ष किया है, जरा इस बारे में बताइए?
प्रसाद- मेरे पिता सहरसा के बहुत बड़े बिजनेसमैन थे, बड़े-बड़े नेताओं से उनके संबंध थे, लेकिन वह चाहते थे कि मैं कारोबार संभालूं। जबकि, मैं छात्र जीवन में ही राजनीति से जुड़ गया था। पिता को बिना बताए किसी न किसी बहाने से राजनीतिक कार्यक्रमों में भाग लेने चला ही जाता था। पिताजी को बहुत बाद में इसका पता चला।
शि.वा.- आपने अपना कीमती समय शिवहरेवाणी को दिया, इसके लिए बहुत-बहुत आभार।
प्रसाद- आपका भी बहुत-बहुत आभार, शिवहरेवाणी को मेरी शुभकामनाएं।
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